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कडकडाती ठण्ड में नगर से कोसों दूर हुआ अलाव

 

आने-जाने वाले लोग खुले आसमान के नीचे तकते राह

बुढार।।धनपुरी

इस कड़कड़ाती ठंड में शबनम अपने शबाब पर है और उसकी बूंदों से पूरी धरा मोती के कणों सी आच्छादित रहती है हमने मुन्शी प्रेमचन्द की  कहानी “पूस की एक रात” पूस में पड़ने वाली ठण्ड और जबरा एक कुत्ते जो दाँत चबाते हुए रात काटता है के किरदार को भी रजाई ओढ़कर कड़कड़ाती ठण्ड में पढ़ा किन्तु इस ठण्ड से अभी तक नगर के जिम्मेदार अंजान हैं।
नगरपंचायत बुढार और नगरपालिका के चौक चौराहों में जलने वाला अलाव अभी तक नही दिखा आने-जाने वाले राहगीर व स्थानीय व्यवसायीयों ने पूष के इस ठण्ड का एहसास कराते हुए बताया कि ठंडी अपने पूरे शबाब पर है किंतु अभी तक नगरपालिका और नगर पंचायत द्वारा अलाव की कोई उत्तम व्यवस्था नही की गई है। इस कड़कड़ाती ठण्ड में जीव जंतु अपना ठौर ढूंढते हैं पर उन्हें खुले आसमान के अलावा अलाव या गर्मी का कोई उपाय नजर नही आता।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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