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विभाग की उदासीनता ने तोड़ा किसानों का कमर, सस्ते दामों पर धान बेंचने पर मजबूर हो रहे किसान

बिचौलियों के तादाद में हो रहा जमकर इजाफा

विनय मिश्रा की रिपोर्ट….

भारत एक कृषि प्रधान देश है आज भी भारत में 70 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर हैं पर उत्तर मुगल काल से लेकर आज तक ठगे किसान ही जाते हैं कहीं बिचौलियों का अलग मापतौल और हिसाब किताब किसानों पर कहर बरपा रहा है तो कहीं सरकार के कामो में लेट लतीफी के कारण किसान मजबूरन सामंतवादी व्यवस्था का शिकार हो जाते हैं। खरीफ की फसल का सही समय पर सरकार द्वारा भुगतान न होने और रवि की फसल बोने की जल्दबाजी के लिए किसान बिचौलियों को सस्ते दाम पर ही अपना धान बेंच देते हैं।
शहडोल।।
जिले के किसान खुले बाजार में धान बेचने को विवश हो रहे हैं। इस कारण कम दाम पर उनके धान बिक रहे हैं। बड़े मोटे व्यापारी धान खुले बाजार में 1900 से लेकर 1950 रुपये प्रति क्विंटल के दाम में खरीदकर उन्हें अच्छे दामों में बेंच रहे हैं, जबकि साधारण धान का समर्थन मूल्य पैक्स और व्यापार मंडल में 2183 रुपये निर्धारित है। रबी की बुआई के लिए किसानों को तत्काल पैसे की जरूरत ने मजबूर कर दिया है। इन दिनों समिति में नमी के कारण धान की खरीदारी में बाधा आ रही है। सामान्य रूप से अभी धान में 19 से 20 प्रतिशत तक नमी है, जबकि समितियां 17 प्रतिशत तक की नमी रहने पर ही धान की खरीदारी करती है। वैसे भी समितियों में धान का भुगतान पाने में अलग ही झंझट है। किसान इन सारी परिस्थितियों
में बाजार का ही सहारा ले रहे हैं।
गांव-देहातों में में बिचौलियों का डेरा….

बिचौलिए डोर टू डोर किसानों के संपर्क में हैं और किसान के ज्यादा देर इंतजार नहीं करने की स्थिति को भांप उनकी उपज कौड़ी के भाव खरीद रहे हैं। किसान ने अपना दर्द बयाँ करते हुए बताया कि उनकी हालत दयनीय है। सिस्टम की उदासीनता से मन खिन्न है। खुले बाजार में हमारा धान औने पौने दाम पर बिक जाने का इंतजार हो रहा है। आधा से अधिक उपज बिक जाएगा तब समर्थन मूल्य पर खरीद रफ्तार पकड़ेगी। यह सब कुछ कागज पर नकली खेल खेलने के लिए किया जा रहा है। आखिरी समय में तेज रफ्तार से कागजी खरीद और भुगतान के साथ-साथ खरीद का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। किसानों ने कहा कि आखिर हर साल देर क्यों होती है। सिस्टम पिछली त्रुटियों से सबक लेकर खरीद में सुधार क्यों नही लाता। खरीदी में देरी क्यों होती है। इसलिए बेहतर प्रबंध नहीं होता कि किसानों के धान खरीद का कोरम पूरा करना है।
धान खरीद की प्रक्रिया में सिस्टम की चींटी चाल ने किसानों को ऐसा झटका दिया है कि उनकी माली हालत खराब होती जा रही है। ऐसे में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद का कोरम जरुर शुरू हुआ। लेकिन जरूरत के मद्देनजर मेहनत को खुले बाजार में नीलाम करने को किसान लाचार हो गए हैं।
मप्र छग की सीमाओं पर खुला व्यापार…

मप्र छग की सीमाओं पर बिचौलियों ने खुला व्यापार खोल रखा है जहाँ धान की कीमत समर्थन मूल्य में न खरीदकर अपने मनचाहे दामो में खरीदकर उन्हें मोटे दामो में बेंच रहे हैं। जिस पर अंकुश लगा पाने में न ही सम्बंधित विभाग सक्षम है और न ही एडमिनिस्ट्रेशन।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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