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मप्र में कांग्रेस का क्लीन स्वीप

 

सरकार बनाने में कशमकश जारी

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस-बीजेपी का एक-एक हाँथ होने के बाद बीजेपी सरकार बनाने में अपने बहुमत से कुछ ही दूर है तो वही कांग्रेस अभी कशमकश में है।अन्य दलों के सहयोग के बाद भी कांग्रेस सैकड़ा का आंकड़ा नही छू पाई तो मप्र में मामा का जादू विधानसभा के बाद लोकसभा में भी चलता दिखा इसका प्रत्यक्ष उदारहण शिवराज सिंह की जीत है जहाँ उन्होंने 8 लाख से ऊपर वोटों से जीत दर्ज की यानि अगर यह कहा जाए कि शिवराज करिश्माई नेता हैं तो इसमें कोई दो राय नही।

भोपाल

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की करारी हार हुई। प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का परचम लहराया और कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं लग पाई। ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर मध्यप्रदेश को बीजेपी का अभेद्य किला क्यों कहा जाता है। यहां क्यों कांग्रेस या दूसरी पार्टियां नहीं पनप पाईं। इसके कई फैक्टर हैं।
कई राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि यहां बीजेपी जितनी ताकतवर नहीं है, उसे कहीं ज्यादा कांग्रेस कमजोर है।
चुनाव से पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस अपनी आंखों से अपने नेताओं को बीजेपी में जाते हुए मूकदर्शक बने देखती रही। बड़ी संख्या में शीर्ष नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक बीजेपी में शामिल होते गए। इनमें चौंकाने वाला नाम वरिष्ठ कांग्रेसी सुरेश पचोरी का रहा। इसके अलावा पूर्व कांग्रेस विधायक निलेश अवस्थी, कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय यादव, भोपाल से बसपा के पूर्व सांसद रामलखन सिंह जैसे नेता बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस राज्यभर में जिला, विकासखंड और बूथ स्तर के कांग्रेसियों का ‘भगवाकरण’ होते देखती रही।
कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए मजबूत उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए। ज्यादातर पुराने स्थानीय नेता बीजेपी में शामिल हो गए। जो बचे थे वे चुनाव लड़ने से बचते नजर आए। वहीं कई जगह उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस को जी जान लगाना पड़ा। लेकिन सही प्रत्याशियों का चयन नहीं हो पाया। कांग्रेस ने उम्मीदवार फाइनल किए, तब तक काफी देर हो चुकी थी। बीजेपी ने तो पहले से ही सभी तैयारियां कर ली थी।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद आलाकमान ने इन्दौर के जीतू पटवारी को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया। जीतू पटवारी राहुल गांधी की ‘गुड बुक’ में रहे हैं। लेकिन उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने पर कई कांग्रेसी असहज महसूस करने लगे। इसका प्रभाव कांग्रेस के कैंपेन पर भी पड़ा। रही सही कसर, जीतू पटवारी के विवादित बयानों ने पूरी कर दी। जीतू पटवारी ने इमरती देवी के बारे में विवादित बयान दिया, हालांकि बाद में माफी मांगी। लेकिन उनकी गलत बयानी का प्रभाव भी नजर आया।
भारतीय जनता पार्टी की कामयाबी यह रही कि उन्होंने जहां बड़ी संख्या में कांग्रसियों को बीजेपी में शामिल कराया, वहीं कमलनाथ और दिग्गी राजा को अपने अपने इलाकों में घेर लिया लोकसभा में इस हार के बाद दोनों का राजनैतिक सफर मानो खत्म सा होता दिख रहा है।बहरहाल कांग्रेस का मप्र से सूफड़ा साफ हो गया है जिससे आगामी समय मे कांग्रेस का पुनः मप्र में स्थापित हो पाना मानो असहज महसूस हो रहा है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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