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वायरल झूठ: एक साल से प्रेम प्रसंग, शादी से किया इन्कार कर दी हत्या या आत्महत्या

रीना की सुसाइड मिस्ट्री नौकरी, पारिवारिक विवाद और भू-माफिया के खेल के इर्द-गिर्द

मौत के 72 घंटे बाद मां की लिखित शिकायत, बेबुनियाद आरोप गहन जांच में सच्चाई आएगी सामने……

करो फर्ज की पुलिस का सारा का सारा तंत्र भूमाफिया, ड्रग्स माफिया, शराब माफ़िया के इशारे में ही काम करता हो और अब जिले में साहूकार भी चोर और चोर भी साहूकार या नेता कहा जा रहा है, और यह सब तब चल रहा है जब उस तथाकथित माफिया के एक पैर हवालात में और एक जमानत और जीवन कोर्ट कचहरी करते करते बीत रहा हो, कहते है एक अर्शा बीता चच्चा की चकरी करते करते कबाड़ लोहा, घरो के टूटते ताले, शहर चोर के हवाले वाले खेल से ही कभी पेट पर्दा चलता था आज भी, लोग सायाने और पुराने अभी भी है अभी जिन्होंने देखा है उत्तरप्रदेश से आए रस्तोगी के लठैत स्वयं मनचाहा भू गोत्र धारण कर लिया, लेकिन हरक़त जेब कतरे वाली नहीं छूट रही है, हालांकि मामला पुलिस के संज्ञान में भी है, कहानी इतने में ही ख़त्म नहीं होती इनकी ज़ारी नेतागिरी नशा कारोबार की वजह से है जो युवाओ की रगो में जहर घोलने का काम गिरोह बनाकर कर रही है कहा जाता है, इस उचक्के ने रेलवे में कर्मचारी के भेस में एक माफिया की घुस पैठ करा दी है, जिसने बुजुर्ग की चाय नास्ता की ढ़ेरी उजाड़ कर ज़मीन हड़पी है, अब अताताई करतूत की वजह से लोगो में भय होना भी लाजिमी है। लेकिन चोर के दिन थोर कहावत चरितार्थ होती जा रही है। लेकिन चंद खबरनबीस माफिया को प्रमोट करने के पीछे की वज़ह समझ से परे है, किसी ने खूब कहा है हुए नामवर बे-निशाँ कैसे कैसे, ज़मीं खा गई आसमाँ कैसे कैसे।

शहडोल।।

लगभग एक वर्ष से गीता सिंह के रूपए पैसे और जमीन बिक्री के बाद हड़पने वाले मामले में अभिषेक मिश्रा और सहयोगियों पर धोखाबाजी और भू-माफिया के आरोप लगे हैं, अवैध कालोनी विकसित की अवैध मैरिज गार्डन बना लिया, जांच में 67 डिसमिल की जगह 90 डिसमिल जमीन पर अधिपत्य स्थापित कर बिक्री करना पाया गया, बगल की शासकीय भूमि खसरा नंबर 516 हड़प ली गई, हालांकि राजस्व महाअभियान मे माफिया का कब्जा ध्वस्त किया गया, और तो और फर्ज़ी सीमांकन, नक्शा तरमीम की वस्तुस्थिति जानने के बाद जिम्मेदार अफसरों ने सख्ती बरतते हुए दोनों निरस्त कर दिया, अब दोबारा जो सीमांकन हुआ, जो स्थगन का उलंघन करते हुए बाकायदा जो निर्माण कार्य जारी है करोड़ों रुपए खर्च कर मैरिज गार्डन बनाया जा रहा है उसको जमींदोज होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। अब ऐसी स्थिति में फड़फड़ाने वाले माफिया के हाथ में रीना द्विवेदी की मौत या आत्महत्या मामले पर विरोधियों को कैसे ना फंसाया जाए विकलांग मानसिकता से किया गया कृत्य इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल करवाया जा रहा है। अब जब आरोप जिस पर लगाया जा रहा है उसकी जांच पुलिस करेगी लेकिन अखबार में एक पत्रकार के माध्यम से झूठ का रायता फैलाया गया, इसको जिले की जनता भली-भांति समझ सकती है। यह रायता फैलाने से अच्छा होता जिसका आधा आधा करोड़ गटक कर बैठे हो वापस कर दो, छिछरलेदा में लोगों से ठगी करते हुए की जमा पूंजी हाथ से रेत की तरह निकल तो रही है उम्र भी इस कोर्ट से हारे उस कोर्ट दौड़ने में निकल जाएगी।

ऐसे ही किसी ने नहीं कहा सत्यमेव जयते।।    शिकायत दी, मीडिया ने सुना दिया फैसला….

कहते है की अपनी योग्यता का सही उपयोग किया गया तो समाज में पत्रकारिता दर्पण का काम करती है, वही इस विद्या का बेजा इस्तेमाल किया गया तो जनता का पत्रकारिता से विश्वास उठ जायेगा, फर्ज करो की कोई शिकायत किसी के विरुद्ध आई, सामान्य उस शिकायत में इस कदर नमक़ मिर्ची लगाकर पेश कर दिया जाये की एक बेगुनाह परिवार समाज में गुनहगार की नजरो से देखा जाए, फर्जी मढ़ दिया आरोप पुलिस जाँच में तो सामने आएगा ही, लेकिन जिस परिवार में लगभग 90, 70 वर्ष के बुजुर्ग हो जिसपर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे है उसकी माँ किडनी की बीमारी से ग्रसित है, यदि इस बीच कोई अनहोनी हो गई तो जिम्मेदार कौन होगा। एक षड्यंत्र के तहत बुने चक्रब्यूह में अपने इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे बच्चे को फसाया जा रहा है, ह्रदय घात से काम नहीं है, हाल ही में, अलख आलोक श्रीवास्तव बनाम भारत संघ [Writ Petition(s) (Civil) No(s). 468/2020] के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह टिपण्णी की थी कि फर्जी ख़बरों के जरिये फैलने वाला आतंक, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।

मामले की हक़ीक़त और फ़साना
मामले में नीलू पांडेय पति सुरेश पांडेय सेवानिवृत पुलिस विभाग का कहना है की शहडोल की जनता को भली भांति पता है बेबुनियाद एक परिवार को सिर्फ इसलिए टारगेट किया जा रहा की अभिषेक मिश्रा पिता श्रीनारायण मिश्रा निवासी पुरानी बस्ती ने न सिर्फ पुरानी बस्ती का माहौल बिगाड़ा है बल्कि स्थानीय युवाओ को अवैध कारोबार में धकेल रहा है और जो भी इस सामाजिक बुराई का विरोध करता है फर्जी मुकदमो में चुनिंदा पुलिस कर्मियों से मिलकर उलझा देता है, इस बात का ताज़ा उदाहरण छत्रपाल सिंह छब्बू नामक किसान ब्यापारी को टारगेट किया जा रहा है, मैं एक समाजसेविका हूँ अपनी पुरानी बस्ती में शराबखोरी, ड्रग्स की लत में झुझते परिवार को बहुत करीब से देखा है और मैं इस बात का पुरजोर विरोध करती हूँ, करती रहूंगी, मेरी सहेली गीता सिंह जिसके साथ अभिषेक मिश्रा उर्फ़ नित्तू ने धोखाधड़ी ठगी की ज़मीन बेचीं, सराफ डॉक्टर के सामने मार्केट में साझेदारी के लिए पैसे लिए लगभग 49 लाख खाकर बैठा है, कोतवाली पुलिस ने एक साल से मुकदमा दर्ज नहीं किया, उसने जो किया मैंने देखा और अपनी सहेली गीता, राधा के साथ हूँ, गवाही में भी मेरा नाम है इसके चलते ही रंजिशन साजिश रचते हुए, मेरे इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले बेटे का भविष्य खराब करने में तूला है, मैंने पुलिस को 2023 में ही ऐसा षङयंत्र रचने मुझे और मेरे परिवार को फ़साने की शंका जाहिर करते हुए थाना कोतवाली, पुलिस अधीक्षक, एडीजीपी शहडोल, डीजीपी भोपाल में सूचनार्थ एवं शिकायत की थी। अब घटना जो भी है सामने है पुलिस सबका डाटा निकाले सबसे पहले अभिषेक मिश्रा, रोशन यादव, अजीत यादव का और मृतिका रीना का हमने खुद ही सीडीआर मांगी है। सब दूध का दूध, पानी का पानी होगा।

मातम में खोजा माफिया ने अवसर…
मामले और कुछ नहीं अपनी दुश्मनी भंजाने के लिए मृतिका का कन्धा इस्तेमाल किया जा रहा है, एक बात तो माननी पड़ेगी उसे सही दिमाग तो नहीं मिला, लेकिन मल्टी माफ़िया चोर पुलिस का खेल खेलकर तो साबित करने की कोशिश कर रहा है कि शहर को सिंगल मैं ही चला रहा हूँ सब सरकारी वेतन पाने वाले गुलाम। मैं सारे अवैध कारोबार करने के बावजूद महाराजा। तभी तो जिले में अबिलम एक बेगुनाह पर एफआईआर दर्ज करा 30 बोतल में फंसा दिया गया और एक दागदार को सालो पुलिसिया संरक्षण दिए जाने के लिए कोतवाली पुलिस थाना को न्यायलय बनाकर समझौता करती फिरती है, यह बात जिले से लेकर अब सूबे की राजधानी और पुलिस हेड क़्वार्टर में गूंज रही है, दरअसल एक दागदार को इतना वेटेज देने के पीछे के क्या मायने है आला अफसरों को तलाशने होंगे। हाल यह है कि शहर में ईमानदारी कौड़ियों के भाव हो चली है, और वो दिन दूर नहीं बेईमानी सर चढ़ कर अराजकता का माहौल निर्मित करने जद्दोजहद करती नजर आने लगेगी।

यह रही पुलिस की विवेचना
स्थानीय पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक रीना ब्यौहारी में रहकर मास्टर ट्रेनर का कार्य करती थी, किसने रखा कैसे नौकरी कर रही थी, किसके मार्फत काम कर रही थी यह तो जांच के बिंंदु है बीते दिनों वह लापता हो गई थी, परिजनो ने गुम इंसान दर्ज कराया था ब्यौहारी पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, जिसका शव चचाई 4-5 दिन बाद गांव में स्थित सोन नदी में पानी में उतारता मिला है पुलिस ने मामले पर मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। मामले में उसके घर से मोबाइल चालू मिला और स्कूटी सुसाइड नोट मिला, हालांकि परिजनों का कहना है कि उसकी हत्या कर उसके शव को वहां फेंका गया है हालांकि पुलिस ने पूरे मामले पर बारीकी से पड़ताल शुरू की है। जल्द ही मामले में असल बात सामने आएगी की उसने आत्महत्या की है तो किसके कारण की और हत्या है तो किसने उसकी हत्या की सामने होगा।
गौरतलब हो कि आज प्रशासनिक तंत्र इतना मजबूत हो चुका है कि किसी भी मामले में आपराधिक गतिविधियों को अंज़ाम देने वाला अपराधी कानून से बच नहीं सकता, मोबाइल लोकेशन, कॉल हिस्ट्री इत्यादि खंगाले जा सकते हैं वहीं मोबाइल फोन से डिलीट की गई हिस्ट्री भी रिकवर हो जाती है फिर इतने बड़े हत्याकांड या आत्महत्या मिस्ट्री से पर्दा ना उठें सवाल ही नहीं उठता।

इन बिन्दुओ में होनी चाहिए जाँच
दरअसल इस अनसुलझे ममले में गौर करने वाली बात यह है की रीना 4 – 5 दिनों से थी लापता और घर पर एंड्रॉयड मोबाइल चालू मिला कैसे हो सकता है मतलब किसी ने मोबाइल हत्या के बाद इस्तेमाल किया संभवतः साक्ष्य मिटाने के लिए, आखिरी फ़ोन कॉल हिस्ट्री, मोबाइल पर वाट्सअप कॉल, वीडियो कॉल, फेसबुक हिस्ट्री, कैमरा गैलरी, किसी दबाव में थी किसी न किसी को बताया होगा, नीलू पांडेय से कैसे बात होती थी, रीना की माँ की मोबाइल हिस्ट्री, उसके पिता की मोबाइल हिस्ट्री भी महत्वपूर्ण है, सूत्रों के मुताबिक पारिवारिक एक जमीनी विवाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्ब में फसी जिसका मुआवजा भी एक वजह हो सकती है पिता और पुत्री रीना का अक्सर विवाद होता रहा है और यही कारण भी है कि पिता ने मां और बेटी दोनों से किनारा कर लिया था, वही घर चलाने के लिए पढ़ने और कैरियर बनाने की उम्र में नौकरी करती रही, तब किसी रिश्तेदार ने नहीं समाजसेवी नीलू पाण्डेय ने साथ दिया, हालही में जब रीना पुरानी बस्ती से निकली तो मोहल्ले के कई बड़े बुजुर्ग के सामने सुरेश पांडे ने इतनी समय ब्यौहारी ना जाकर सुबह-सुबह चली जाना कहां था, लेकिन रीना का कहना था जरूरी काम है जाना पड़ेगा, कहते हुए निकल गई पड़ताल में पता चला फोन काल पर बहुत व्यस्त रहती थी, वो उस दिन किसी से फोन पर बात कर रही थी और निकल गई, उसकी जीपीएस लोकेशन, कॉल हिस्ट्री, पुलिस सर्विलांस कैमरे, आसपास के कैमरे खगालने से भी बड़ी सफलता मिल सकती है।
प्रतिक्रिया……
मैं प्रशासन से मांग करती हूँ रीना को ब्योहारी में काम का लालच किसने दिया गया, रीना की माँ की जानकारी में सारी जानकारी है चीज़ छुपाई क्यों जा रही है रीना और उनकी मां सावित्री और उनके पापा जो उमरिया रहते है कॉल रिकॉर्डिंग हिस्ट्री खंगाले और आखिरी काल भी खंगाले। और मेरे बेटे की सीडीआर एवं रीना की सीडीआर लोकेशन के निकाले। साथ साथ मेरी पुलिस प्रशासन से मांग है अभिषेक मिश्रा एवं उनके 7-8 साथियो की कॉल हिस्ट्री लोकेशन निकाली जाए। मुझे शंका है यह सब अभिषेक मिश्रा ही करा रहा है हालांकि मैंने 2023 में ही पुलिस में सूचना दे रखी है, पुलिस की विवेचना के पूर्व मेरे बेटे को हत्यारा साबित करने सोशल मीडिया में रेलवे कर्मचारी अजीत यादव सहित गुर्गो से भू-माफिया अभिषेक मिश्रा समाचार छपवाकर वायरल करा रहा है, मैं इनके भी सारे सोर्सेज निकाल रही हूं शिकायत करूंगी, लेकिन उससे पहले मैं खुद चाहती हूँ सच्चाई सामने आये उसकी आत्महत्या या सुसाइड के पीछे क्या वजह है मैं भी जानकार रहूंगी । बच्ची के परिजन पुलिस जांच के अतिरिक्त एसआईटी एवं सीबीआई जाँच कराएं मैं उनके साथ हूं लेकिन फर्ज़ी आरोप लगाकर सामाजिक प्रताड़ित करने वाले लोगो के विरुद्ध मैं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के तहत मुकदमा दर्ज कराऊगी।
नीलू पांडेय, समाज सेविका
शहडोल

पत्रकार संगठन प्रतिक्रिया….
किसी भी कलमकार को प्रकाशन से पूर्व किसी पर आरोप प्रत्यारोप लगने वाली खबरो को लेकर सवपर्थम पुष्टि करना चाहिए साथ ही आरोप लगने वाला ब्यक्ति से उसका पक्ष भी जानना चाहिए, अखबार में प्रकाशित खबरों को पाठको द्वारा विश्वसनीय एवं सत्य मना जाता है अतः इस बात का ध्यान रखना जरुरी होगा।
विनय मिश्रा, जिला अध्यक्ष
एमपी वर्किंग जॉर्नलिस्ट यूनियन-शहडोल
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किसी भी मामले में प्रेस से हमको इतनी छूट नहीं मिली की हम अर्थ का अनर्थ लिखे हमको अपनी हद मालूम होनी चाहिए, बिना सबूत लिख गया समाचार समाज में गलत सन्देश देता है, मामले में पूरी जानकारी आवश्यक है, सुप्रीम कोर्ट का आदेश हर पत्रकार को काम से काम पढ़ना चाहिए।
राहुल सिंह राणा, संभागीय अध्यक्ष
श्रमजीवी पत्रकार संघ, शहडोल..

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अगर किसी का व्यक्ति का पहले ही से कोर्ट कचहरी में मामला चल रहा है उसको टारगेट करने के पहले पत्रकारों को एक बार शिकायत को पढ़ने और समझने की आवश्यकता है, और अब तो सुप्रीम कोर्ट का भी सख्त निर्देश है। खबरों को जांचिए फिर लिखिए।

मनीष शुक्ला, संभागीय अध्यक्ष
मध्यप्रदेश संघ, शहडोल
……..
प्रशासनिक प्रतिक्रिया….
मामले में गुम इंसान ब्यौहारी कायम है, पुलिस को 28 जून को शव मिला है मृतिका भमरहा सिंहपुर की रहने वाली है ब्यौहारी में कमरा ली थी, उसके मामा ने शिनाख्त की, सभी बिंदुओं पर पुलिस गहनता से जांच कर रही है। कथन बयान उपरांत जो निकलकर सामने आएगा कार्यवाही की जाएगी।
दिलीप दाहिया, थाना प्रभारी
देवलौद, शहडोल

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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