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क्या आप बताएंगे ‘कप्तान’ की मुजरिम कौन???

चचाई पुलिस को अभी तक नही मिला कोई सुराग
●साक्ष्य मिटाने व अलग साक्ष्य बनाने का भरसक प्रयास
●सत्ता पक्ष के आगे विपक्ष की घिग्घी बंधी
●गनीमत है यह घटना बिहार में नही हुआ,वहाँ सियासत के अलग तेवर हैं
●शहर के जयचन्दों ने ले ली गरीब चालक की जान
●पैसे के आगे बेबशी भीख माँग रहा न्याय का

शहडोल सम्भाग अनूपपुर।।

विनय मिश्रा की कलम से….

 

 

सरकारों और सरकार के अधीनस्थ चुने गए प्रतिनिधियों का दायित्व है कि वह क्षेत्र की जनता व नागरिकों की सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के लिए तत्तपर हो और उनके आम जीवन को भी समृद्ध करने के लिए सार्थक पहल करे।हम किसी पार्टी पर आक्षेप तो नही लगा रहे हैं किंतु भाजपा संगठन ज्वाइन करने मात्र से सारे पापों की वैतरणी खुद ब खुद मुकम्मल हो जाता है।आप अपने इर्दगिर्द और देश मे चल रहे आरजकता पर सरकारों की तानाशाही और सरकार का फैसला देख लीजिए आपको यह अंदाजा लग जाएगा कि जीरो प्रतिषत टॉलरेंस की बात करने वाले सरकार और उनके मानीटरी तन्त्रो का क्या हाल है।
वैसे मप्र की राजनीति से बहुत ज्यादा सरोकार नही है पर यूपी- बिहार की सियासत पूरे देश मे अलग पहचान रखती है वहीं बिहार से आए एक ट्रक ड्राइवर के लाश का शिनाख्त और पोस्टमार्टम सब होने के बाद भी उसमें लीपापोती हो रही है।सूत्रों और मीडिया अखबारों की कतरन समेटने पर पता चल रहा है कि डाक्टर से लेकर पुलिस आरोपी को अभयदान देने और मामले को समेटने में तुले हुए हैं।हद तो तब हो जाती है जब साक्ष्य हटाने से लेकर अन्य सबूतों के साँथ भी छेड़छाड़ किया गया किन्तु पुलिस के हाँथ अब तक खाली ही हैं।यही घटना अगर विपक्ष और एंटी मुस्लिम प्रान्तों की सरकार पर होती तो सत्ता पक्ष आंदोलन करने का छाती पीटने लगते किन्तु आरोपी के तार भाजपा बनाम शहर के जयचन्दों में जुड़ा हैं जिसके कारण अब तक इस मामले को पुलिस डैमेज कंट्रोल करके शांत कर चुकी है।अखबारों और मीडिया का काम है चिल्लाना जो हो रहा है।

“आगे की कहानी जानते हैं क्या है पूरा मामला”…..

अनूपपुर जिले के बरगवां अन्तर्गत सोडा फैक्ट्री में बिहार के बलराज नामक अधेड़ के साँथ
मारपीट किया जाता है उसके सिर में लोहे के रॉड का प्रयोग कर मारा जाता है आनन-फानन में उसे अस्पताल भेजा जाता है जहाँ उसकी मौत हो गई ।
जानकारों और अखबारों में छपी खबरों के अनुसार म ट्रक चालक बलराज के साँथ मारपीट की घटना रात्रि लगभग 9 बजे के आसपास हुई किन्तु उसे चिकिसीय सुविधा तीन घण्टे बाद यानि एंबुलेंश रात में 12 बजे हुकुमचंद्र जूट मिल पहुंची जो पुलिस रिकार्ड मे मौजूद हैं
ट्रक चालक बलराज की मौत को लेकर बुढ़ार पुलिस ने अपनी तरफ से जीरो कायमी कर मामला चचाई थाने को भेज दी।
यह पूरा मामला किसी फिल्म की कहानी की तर्ज पर स्क्रिप्टेड कर दिया गया है।

 

माब्लिंचिंग के हजारों किस्से,पर सुधार न के बराबर

टीटू,अभिषेक,और विश्वनाथ का के द्वारा कारित इस घटना को मॉबलिचिंग का नाम दें तो शायद इसमें कोई अचम्भा नही होगा।हमारे देश मे ऐसी घटना आम हो चुकी है जहाँ एक भीड़ गिरोह बनाकर खुद पुलिस बनकर हथियार उठाकर कोर्ट के रूप में “फैसला आन द स्पाट” कर देती है। बंबू गेट से लेकर सोड़ा फैक्ट्री के मुख्य द्वार तक इस पूरे किस्से को हम और क्या नाम दे सकते हैं यह आप दर्शक और पाठक स्वयं तय करें ।

सता पक्ष की धाक, विपक्ष मौन!

एक मजलूम ट्रक चालक की मौत सत्ताधारी नेताओं से जुड़े लोगों द्वारा कर दिया जाता है और मामले में एक मर्ग तक कायम नही हुआ इस बात से आम जनता को कोई सरोकर नही मीडिया अपना काम कर रही है और सत्ता की धाक के आगे विपक्ष ने मौन साधा हुआ है क्या पता विपक्ष के बोलने पर कब ईडी,सीडी और जाँच पर बात हो जाए।
हालाँकि शव के पंचनामा के दौरान कांग्रेस नेता सौरभ उर्फ मनु सिंह मनु सिंह ने पूरे मामले को सत्ता पक्ष से जोड़ते हुए उनकी करतूतों को बताया किन्तु 4 दिन बीतने पर भी सत्ता पक्ष के आगे विपक्ष की घिग्घी बंधी हुई है और पुलिस अब तक जाँच में जुटी होने का दिखावा कर रही है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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