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क्या आप जानते हैं?भारत के इन शहरों में नही होता रावण दहन बल्कि की जाती है पूजा

क्या आप जानते हैं?भारत के इन शहरों में नही होता रावण दहन बल्कि की जाती है पूजा
डेस्क धर्म….

हमने टीवी सीरियल और रामायण में भगवान राम और रावण की कहानी देखी व पढ़ी है।जहाँ भगवान राम ने रावण का वध किया था वहीं इसके पीछे कई सारे मिथक भी हैं।रावण को पूरे पृथ्वी में महा प्रतापी, ज्ञानी व बुद्धिमान मानने के साँथ ही भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है। हर वर्ष दशहरा में रावण का पुतला दहन किया जाता है आइए जानते हैं की भारत के किन शहरो में रावण दहन नही होता।

 

भारत में ऐसी कई जगह हैं जहां रावण को जलाने की बजाए उसकी पूजा की जाती है मप्र के मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था ऐसे में मंदसौर रावण का ससुराल हुआ इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसकी पूजा की जाती है
कनार्टक के कोलार जिले में भी रावण की पूजा की जाती है। यहां की धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, रावण भगवान शिव का भक्त था, जिस कारण यहां के लोग रावण की पूजा करते हैं इसके अलावा कर्नाटक के मंडया जिले के मालवली नामक स्थान पर रावण का मंदिर बना हुआ है, जहां लोग उसे महान शिव भक्त के रूप में पूजते हैं।
राजस्थान के जोधपुर में रावण का मंदिर है यहां के कुछ समाज विशेष के लोग रावण का पूजन करते हैं और खुद को रावण का वंशज मानते हैं।यही कारण है कि यहां के लोग दशहरा के अवसर पर रावण का दहन करने के बजाए रावण की पूजा करते हैं.
आंध्रप्रदेश के काकिनाड में रावण का मंदिर बना हुआ है यहां आने वाले लोग भगवान राम की शक्तियों को मानने से इनकार नहीं करते, लेकिन वे रावण को ही शक्ति सम्राट मानते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ रावण की भी पूजा की जाती है।
हिमांचल के कांगड़ा जिले के एक कस्बे में भी रावण की पूजा की जाती है।मान्यता है कि रावण ने यहां पर भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया था. यहां के लोगों की ये भी मान्यता है कि अगर उन्होंने रावण का दहन किया तो उनकी मौत हो सकती है।इस भय के कारण भी लोग रावण के दहन नहीं करते हैं बल्कि पूजा करते हैं।
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के चिखली गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता है।यहां के बारे में कहा जाता है कि रावण की पूजा नहीं करने पर गांव जलकर राख हो जाएगा इसलिए इस गांव में दशहरे पर रावण का दहन करने के बजाए पूजा की जाती है।
अमरावती के गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय द्वारा रावण का पूजन होता है कहा जाता है कि यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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