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SHAHDOL – हार गया न्याय… जीत गया कब्जेदार इलियास

थानें की चौखट पर माथा टेक बुजुर्ग जफर नें कहा साहब कम से कम कागज तो देख लो …


सुना है न्याय अंधा नही होता पर यहाँ न्याय की आंख में सचमुच में पट्टी बंध गई है, झूँठी और अफवाह की खबरों में जिला प्रशासन भी चमक गया और एक बेगुनाह के विपक्ष में फैसला सुना दिया गया शर्म की बात है कि अखबारों में झूँठी खबर छपने के बाद भी प्रशासन उस पर संज्ञान ले लेता है और थाना प्रभारी पर जबरिया दबाव बनाया गया।उक्त इलियास नामक व्यक्ति ने अपने हरे नोटों की दम पर सबको अपने बस में कर लिया ताज्जुब की बात है कि पार्षद का चुनाव लड़ने वाले एक ऐसे शख्श ने जिसने कभी चुनाव नही जीता और जो पार्षद है वो इस झूंठे खेल में अपनी भूमिका निभा रहा है और बाबा नामक व्यक्ति जो अरसों पहले से जिला बदर था वो भी इन नेताओं के साँथ अपनी भूमिक निभा रहा था शर्म है ऐसे प्रशासन पर जो एक सही व्यक्ति को न्याय नही दिला पाए। जब एसपी से बात नही बनी तो नवागत आईजी पे जबरन झूँठी खबर पर दबाव बनाया गया ताकि उनके किसी भी झूंठे बेबुनियाद तर्क पर वरिष्ठ अधिकारियों की सहमति मिल जाए। जफर जैसे ऐसे कितने फरियादी हैं जो थाने की चौकठ पर न्याय की आस लिए बैठे रहते हैं और उन्हें थाने ही नही बल्कि उपर से कोई न्याय नही मिलता। मैं ऐसी बातों का जिक्र नही करता फिर भी हतप्रभ हूँ कि एसपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले से कन्नी काट रहे हैं ।इस पूरे मामले में थाना प्रभारी ने स्वीकार किया है कि उक्त व्यक्ति इलियास के पास कोई दस्तावेज नही हैं जबकि इसके इतर जफर के पास सारे दस्तावेज हैं।

इस पूरे मामले पर जहाँ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने पल्ला झाड़ लिया है वही झूँठी खबर प्रकाशित करने वाले समाज के दर्पण पर अब लोग अपनी शक्ल टटोल रहे हैं ताज्जुब है प्रशासन पर की जफर रो-रो कर गिड़गिड़ा रहा है पर प्रशासन बैकफुट पर है।

शहडोल कोयलांचल।।
सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं हो सकता, यह कहावत अब गलत साबित होती नजर आ रही है, क्योंकि सत्य न सिर्फ परेशान है बल्कि पराजित होनें के साथ न्याय के लिये उस चौखट पर माथा टेक कर गिडगिडा़ रहा है जिस चौखट पर न्याय की आस में वह हर व्यक्ति अपनी फरियाद लेकर आता है जिसके साथ अन्याय हो रहा होता है। लेकिन शहडोल एक ऐसा जिला है जहां न्याय के लिये आप कितनी भी चौखटों पर माथा टेक लें, अपनी फरियाद लेकर कहीं भी चले जाये, कितनी भी मिन्नते कर लें सुनवाई उसी की होगी जो रशूखदार है, ऐसा इसलिये कहा जा रहा है कि एक बुजुर्ग पीडित कंपकपाते हांथों में अपनें पुस्तैनी मकान के कागजों को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को दिखाना चाह रहा है, उन्हें हकीकत से रुबरु कराना चाह रहा है लेकिन उसकी सुननें वाला कोई नहीं है। अपनें ही जर्जर मकान में काम लगानें पर वह आरोपी बन जाता है, फिर भी यह सोचकर चुप रहता है कि शायद उसे न्याय मिले। उसके हांथों में मौजूद दस्तावेज इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं कि वह ही इस भूमि का स्वामी है पर धन्य है प्रशासन उसके यह दस्तावेजों उन्हें रद्दी नजर आते हैं, और तमाम नोटिस और पाबंदियों के बाद वह रशूखदार घर बैठे अपनें नेटवर्क से बिना किसी दस्तावेजी आधार के फिर दिन दहाडे उसी स्थान में कब्जा करनें में कामयाब हो जाता है जिसके लिये उसनें अपनें रशूख का इस्तेमाल किया। पीडित जफर नें कहा कि साहब गरीब हूं,बुजुर्ग हूं बेबस हूं काश मैं भी रशूखदार होता तो न्याय के लिये चौखट पर माथा न टेकना पड़ता।

दिन दहाडे कर फिर इलियास नें कर लिया कब्जा, वीडियो आया सामनें, जिम्मेदार कब लेंगे संज्ञान

पीडित जफर बुढार के वार्ड क्रमांक 11 स्थित अपनें जिस जर्जर मकान पर बुधवार को मजदूरों से काम लगाया था, उसके पहले उसनें अपनें उक्त भूमि के संपूर्ण दस्तावेज व कार्य किये जानें के दौरान इलियास द्वारा विवाद उत्पन्न किये जानें की लिखित सूचना स्थानीय पुलिस को दी थी। कार्य किये जानें के दौरान जफर को जिस बात का अंदेशा था वही हुआ, इलियास के परिजन उसके कार्य किये जानें का विरोध करनें लगे, और जब सूचना पुलिस को लगी तो मौके पर पहुंची पुलिस नें दोनों ही पक्षों को थानें में बैठा लिया। पुलिस नें पीडित के विरुद्ध मामला भी दर्ज किया, और संबंधित स्थान पर इस बात का नोटिस चस्पा कर दिया कि उक्त स्थान पर कोई भी व्यक्ति अब किसी भी तरह कि गतिविधियां करते यदि पाया जाता है तो उस पर कार्यवाही कि जावेगी। दूसरी तरफ रशूखदार इलियास को न ही पुलिस का भय रहा और न ही प्रशासन के डर, इन तमाम कायदों को धता बताते हुये इलियास अपनें रशूख के बल पर अपनें कारिंदों द्वारा उसी मकान में फिर से सामान रख देता है। बकायदे इसकी सूचना मूल मकान मालिक जफर स्थानीय पुलिस को देता है, लेकिन इलियास पर कार्यवाही करनें की जगह पुलिस सूचना के आधे घंटे बाद पहुंचती है और तब तक इलियास अपनें मंशूबे में कामयाब हो जाता है, मूकदर्शक बन पुलिस यह सब कुछ देखती जरुर है लेकिन कार्यवाही के नाम पर इलियास का कुछ नहीं हो पाता। अपनें एसी वाले कमरे से निकले बिना इलियास जिस दम से पूरे सिस्टम को दो दिनों में खेला वह किसी से छुपा नहीं है।

थाना प्रभारी नें कहा कि नहीं है इलियास के पास कोई दस्तावेज

एक तरफ जहां अपनें पुस्तैनी संपत्ति के प्रमाण के लेकर न्याय की आस में बुजुर्ग जफर दर दर भटक रहा है, वहीं थाना प्रभारी संजय जयसवाल नें भी इस बात को पुष्ट किया कि इलियास से जब कब्जे वाली जगह के दस्तावेज चाहे गये तो वह नपा के टैक्स कि एक रशीद को छोड़ कुछ पेश न कर सका। बीते दो दिनों से जिस जर्जर मकान में लाखों के कीमती सामान को फेंकनें और लूटनें की बात को बढ़ चढ़ कर बताया गया उससे भी पर्दा हटाते हुये थाना प्रभारी नें स्पष्ट किया कि उस मकान में नमक की कुछ बोरियां, जूट कि थोडी बहुत रस्सी और झाडू के अलावा कुछ नहीं था, जिसे निकालकर इलियास के दरवाजे पर सुरक्षित रखा गया है। लेकिन रशूखदार इलियास की जिद के आगे यह सभी बातें अनदेखा कर दी गई और जिम्मेदार महकमा न जानें क्यों इस कदर दवाब में आ गया कि दिन दहाडे इलियास कब्जा अपनी जिद पूरी करनें में कामयाब रहा यह भी समझ से परे हैं।

तो क्यों नहीं किया गया इलियास पर मामला दर्ज

आंख में आंसू लिये बेबस जफर का कहना है कि अब तो यहां से न्याय की आस ही नहीं रही, जब ताला लगाकर कोई संपत्ति हड़प सकता है तो यहां कुछ भी संभव है, मेरी गुहार सुननें वाला कोई नहीं है। अपनें ही मकान पर काम लगाने पर मैं आरोपी बन जाता हूं , जिस कब्जेदार इलियास के पास कागज का टुकड़ा नहीं है उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती, खुलेआम कब्जा कर लेता है पर पुलिस कुछ नहीं करती। पीडित नें कहा कि न्याय के लिये जीवन के अंतिम क्षण तक लड़ाई लडूंगा, न्याय की आस में हर चौखट पर जाऊंगा पर चुप नहीं बैठूंगा।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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