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शराब ठेकेदारों की पैकार बनी आबकारी

न अवैध अहातों पर लगाम,न ओवररेट पर ध्यान,

शहडोल।।

जिले में शराब बेचने का अपना कोई पैमाना तय नही है न ही ठेकेदार द्वारा न ही आबकारी द्वारा, मनचाहे दर पर पियक्कड़ों को पूरे जिले में शराब बेंची जा रही है । जिले के हर दुकानों का यही हाल है ओवररेट शराब बेंचना जैसे ठेकेदार के लिए जरूरी और विभाग की मजबूरी हो गई हो न किसी दुकान में बिल दिया जाता है और न ही शराब बोतल या क्वार्टर का पैमाना बनाया गया है ।

क्वार्टर-बोतल में कमीशन का खेल…

शराब बॉटल में सरकार द्वारा तय गाइडलाइंस के अनुसार एमआरपी और एमएक्सपी दो तरह के पैमाने तय किए गए हैं यानि mrp से नीचे नही mxp से ऊपर नही इन दोनों का हिसाब लगाने पर mrp और mxp का निर्धारण कर ठेकेदार और दुकानदार कमीशन का पूरा खेल खेलते हैं ।
गणित के हिसाब से समझिए तो एक क्वार्टर की कीमत 170रु जिसकी mrp150रु है और mxp170,दुकानदार द्वारा इस क्वार्टर के बॉटल को कस्टमर के हिसाब से 550 से 600 या 650 रु मुह चीन्हकर दे दिया जाता है यानि जो जितना दे सकता है।कमीशन के इस पूरे खेल में बॉटल का हिसाब तब भी समझ आया किन्तु क्वार्टर 150 से 170 का क्वार्टर180 में बेचा जा रहा है क्या आपने दुनिया का कोई भी ऐसा उत्पाद देखा है जिसे कीमत से ज्यादा दाम पर बेचा जाए और उसका कोई बिल तक न दिया जाए । खैर छोड़िए जब “सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का” यानि आबकारी ठेकेदारों के गोद मे आलिंगन कर रही है ।

जिले भर में पैकारी, कार्यवाही महुआ-लुहान पर….

जिले में शराब ठेकेदारों का एक ग्राफ उठाया जाए तो ज्ञात हो जाएगा कि ठेकेदार लायसेंस की आड़ में कितना खेल खेलते हैं ठेकेदार द्वारा लिए गए लायसेंसी दुकान के क्षेत्र में पान की टपरियो,दुकानों,होटलों,रेस्टोरेंट में बड़े पैमाने पर अवैध पैकार है किन्तु आबकारी द्वारा महुआ-लुहान पर कार्यवाही कर खुद की पीठ थपथपा ली जाती है।

पूरे जिले में अवैध अहाता….

मप्र सकरार की डिप्लोमेसी कहें या फिर विभाग की लचर व्यवस्था, बीते कुछ वर्ष पहले मप्र सरकार ने लायसेंसी अहातों में ही शराब पीने की स्वीकृति प्रदान की थी किन्तु समय बीतने के बाद सरकार का यह फरमान विभाग की बेबशी के आगे दम तोड़ दिया और होटलो-दुकानों-रेस्टोरेंट में नाश्ता-भोजन की आड़ में बड़ी आसानी से सुराप्रेमी बैठकर शराब पीते हैं जिसका कुछ हिस्सा महीने के मैनेजमेंट के रूप में स्थानीय थाने को पहुँच जाता है ।इस अवैध अहाते पर कार्यवाही की कड़ी में विभाग छोटे-मोटे गरीब दुकानों होटलों पर कार्यवाही की हिमाकत तो कर लेते है किन्तु पूंजीपतियों के होटलों और रेस्टोरेंट में नजर उठाने की हिम्मत तक नही कर पाते ।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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