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तो पैसे तय करते हैं जेल के बंद कमरों की सुविधा

 

 

अपराधियों के लिए ऐशगाह बना जेल

रकम के हिसाब से मिलती है सुख-सुविधा

शहडोल।।
सम्भाग मुख्यालय के अनूपपुर जिले से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है जहाँ एक जेल प्रहरी द्वारा एक परिजन को कैदी से मुलाकात के एवज में 200 रु खुद के लिए 2000रु जेलर साहब के लिए रखने का दावा कर रहा है हलाकि इसके बाद जेलर साहब हरकत में आ गए और जेल प्रहरी को सस्पेंड का कर दिया पर जेलर साहब को अपने जमीर से सवाल जरूर कर लेना चाहिए कि क्या वो वीआईपी ट्रीटमेंट देने के लिए परिजनों से प्रहरी के माध्यम से रुपये नही लेते??

अनूपपुर ही नही बल्कि तमाम जेलों के यही हालात..

रिश्वत और घूंस का यह रश्म जेल में इस कदर चलन में है मानो जिसके पास जितना पैसा वह जेल में उतना ज्यादा महफूज महसूस करता है।हमारे अपने नेटवर्क ने बताया कि आदतन अपराधी जेल में जेल का स्वामित्व लिए बैठे रहते हैं और वह उन्हें जेल में किसी प्रकार की तकलीफ न होने की गारन्टी रुपयों से लेते हैं यही नही इस गारंटी की कड़ी में यदा-कदा कोई बड़ा व्यक्ति या रसूखदार भी जेल की चहारदीवारी में पहुँच जाता है जिसके लिए वीआईपी ट्रीटमेंट के रूप में जेलर समेत उनकी टीम तैनात रहती है।
बीते कुछ वर्षों के अखबार की कतरन और सुर्खियों को समेटने पर पता चला कि जेल में आए वीआईपी की खातिरदारी से जिला ही नही बल्कि उपजेल भी अछूता नही रहा है कहने को कानून भले ही सबको एक समान नजरों से देखता है पर इस नजर का असली साइड इफेक्ट जेल में समझ आता है।

कैसे व कौन पहुँचाता है पैसा…

पैसे का यह पूरा खेल जेल की चहारदीवारी से शुरू हो जाता है जहाँ या तो कोई आदतन अपराधी या नामी गिरामी दान या दूसरे शब्दों में कहें तो जेलर के बाद जेल चलाने वाले वो लोग जिनके दम पर जेल की चहारदीवारी में डिस्को से डॉन्स तक का पैमाना तय किया जाता है। बीड़ी-गुटखा,तम्बाकू व अन्य खाद्य पदार्थो को पहुँचवाने के एवज में जेल प्रहरी से लेकर जेलर द्वारा एक निश्चित अमाउंट तय कर दिया जाता है जहां बिना किसी झिझक के उक्त व्यक्ति के पास सुविधा शुल्क के माध्यम से हर सुविधा पहुँच जाती है। सूत्रों ने बताया कि कई बार तो बड़े अपराधी मालदार पार्टी को देखते ही उससे नेटवर्क साधकर उसके सुरक्षा की गारंटी लेकर उसे घर से ज्यादा रुपये मंगवाने की बात करते हैं ऐसे में वह रुपया गेट से शुरू होकर उन अपराधियो तक बड़े आराम से पहुंच जाता है।
कानून का यह खेल बड़ा ही मजेदार है पैसे रखो और जितना चाहो सुविधा का लुत्फ उठाओ चाहे बाहर अपराध करो या फिर जेल में रहते हुए।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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