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नदी को बनाया खेत,जल गंगा सम्वर्धन हो रहा फेल

नदी की धार को रोककर बना रहे खुद का खेत
●पानी की बूंद के लिए तरस रहे जीव-जन्तु

शहडोल।।

नदी-नालों, तालाबों का विराट धरा में अपना अलग महत्व रहा है इसी धरा में कभी 300 से ऊपर तालाबें हुआ करती थी और इस विराट धरा में ऐतिहासिक तालाबो के मलबों में सैकड़ो आशियाने बनते नजर आ रहे हैं और धीरे धीरे इन तालाबों का पतन हो गया।नदी-नालों का इतिहास मिटाने में भी विराट धरा ने बाजी मारी है कई सरकारी जमीनों को सरकार के जिम्मेदारों ने भूमाफियाओं से मिलकर उन्हें आज शासन से बेदखल कर दिया कई नदियों का इतिहास मिट गया और नदियों के इस इतिहास को मिटाने का प्रयास लगातार स्वार्थी तत्वों द्वारा जारी है।ऐसा ही एक मामला ग्राम सरई कापा का है जहाँ गाँव से धनपुरी जाने वाले मुख्यमार्ग में नदी को कुछ स्वार्थी तत्वों ने खुद का खेत बना डाला है और नदी में प्रवाह के नाम पर सिर्फ कुछ बेशरम की पौधे और इर्दगिर्द मलबे नजर आ रहे हैं।

बहुत पुराने नदी के अस्तित्व का समापन…

ग्राम सरई कापा का यह नदी आज से कुछ दशक पहले न सिर्फ जीव जंतु के लिए बल्कि गाँव के एक आधे आबादी के गुजर के काम आता था पानी बारहमास हुआ करता था किंतु नदी के अस्तित्व को मिटाने में कुछ स्वार्थी समाज के लोगों ने कसर नही छोंडा और नदी के धार पर दर्जन की तादाद में खेत बनाकर पूरे नदी का अस्तित्व समाप्त कर दिए।गौरतलब है कि जिस जगह पर या धार पर आज लोगों ने खेत बना लिए है उस हिस्से से गाँव का एक बड़ा समूह धनपुरी हाट-बाजार करने जाया करता था और कभी कवार भारी बारिश के समय इस नदी कें ऊफान के कारण ग्रामीणों को बुढ़ार से होकर गाँव आना पड़ता था।

जिला प्रशासन से गुहार है कि पेड़ लगाने और गंगा सम्वर्धन में जल संरक्षण के नाम से ऐसे जलस्रोतों की भी रक्षा करें ताकि आधुनिक सुख-सुविधा के इस युग मे इंसान तो राहत में है किंतु जीव जंतुओं को बैठने और पानी से गले को तर करने का भी ठौर हो।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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