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दर्जनों किसानों पर दोहरी मार, भुगतान के बाद भी बकाया नहीं हटा

farmers debt issue

50 लाख चुकाने के बावजूद 157 किसान कर्ज के बोझ तले दबे

मध्य प्रदेश के 157 किसानों की आर्थिक परेशानी एक नया मोड़ ले चुकी है। किसानों का कहना है कि उन्होंने पिछले दस वर्षों में मिलकर लगभग 50 लाख रुपये कर्ज के रूप में बैंक को चुका दिए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अब भी ‘डिफॉल्टर’ की श्रेणी में रखा गया है। लंबे समय से समाधान न मिलने पर उनकी नाराज़गी बढ़ती जा रही है और कई किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वे सामूहिक रूप से जलसमाधि लेने पर मजबूर होंगे।

पीड़ित किसानों के अनुसार, वे वर्षों पहले कृषि कार्य के लिए ऋण लेकर चुके थे। समय पर किस्तें चुकाने के बावजूद बैंक रिकॉर्ड अपडेट नहीं हुआ, जिसकी वजह से उनका नाम लगातार डिफॉल्टर सूची में बना रहा। किसानों ने कई बार बैंक अधिकारियों से लेकर जिला स्तर तक शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला।

किसानों का कहना है कि डिफॉल्टर टैग के कारण उन्हें नए ऋण, सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ नहीं मिल पा रहा। खेती की लागत बढ़ने के साथ आर्थिक दबाव इतना बढ़ गया है कि कई परिवार आज भी कर्ज के भय में जी रहे हैं। इससे उनकी कृषि पर सीधा असर पड़ा है और उपज उत्पादन भी प्रभावित हुआ है।

स्थिति बद से बदतर तब हो गई जब कुछ किसानों को पता चला कि उनके भुगतान का रिकॉर्ड सिस्टम में दर्ज ही नहीं हुआ। कुछ मामलों में तो फाइलें गायब होने और तकनीकी गड़बड़ी जैसी वजहें बताई गईं। किसानों का आरोप है कि बैंक की लापरवाही और रिकॉर्ड प्रबंधन की खामियों की वजह से वे 10 साल से आर्थिक और मानसिक तनाव झेल रहे हैं।

अब किसानों ने एकजुट होकर स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्या का हल जल्द नहीं निकला, तो वे सामूहिक जलसमाधि जैसे कठोर कदम उठाने पर विवश होंगे। मामले ने स्थानीय प्रशासन और बैंकिंग संस्थानों को भी सतर्क किया है, जिसके बाद समाधान तलाशने पर चर्चा शुरू हो गई है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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