दिव्यकीर्ति सम्पादक-दीपक पाण्डेय, समाचार सम्पादक-विनय मिश्रा, मप्र के सभी जिलों में सम्वाददाता की आवश्यकता है। हमसे जुडने के लिए सम्पर्क करें….. नम्बर-7000181525,7000189640 या लाग इन करें www.divyakirti.com ,
Search
Close this search box.

बच्चों पर अपनी पसंद न थोपें- ट्विंकल आडवाणी 

बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

स्कूल कॉलेज के रिजल्ट आते हैं, हर पेरेंट्स हजारों उम्मीदें लगाकर रखते हैं हमारा बच्चा डॉक्टर, इंजीनियर, सीए बने। कुछ तो देखा देखी ही बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध बाहर भेज देते हैं। अपनी पसंद थोप देते हैं। शायद यही वजह है कि आजकल बच्चे भी डिप्रेशन में रहते हैं जिसके कारण वे बुरी लत का शिकार हो जाते हैं, कुछ राह ही भटक जाते हैं।

आजकल एक बात पर गौर कीजिये कि पेरेंट्स का निर्णय कहीं ना कहीं बच्चों के लिए बहुत घातक सिद्ध हो रहा है। पिछले कुछ सालों में अचानक से युवाओं के डिप्रेशन व बच्चों के मिसगाइड होने के मामले सामने आए हैं। संख्या इतनी ज्यादा है और हैरानी की बात है कि सब अच्छे परिवारों से संबंध रखते हैं। कहीं ना कहीं यही मानसिक दबाव उन्हें हिंसक भी बना रहा है।

कभी-कभी कुछ खबरें सोचने को मजबूर कर देती है कि जीवन में आगे बढ़ रहे हैं या संस्कार में पीछे…. जवाब ही नहीं मिलता, मिले भी कैसे। हम खुद को ही परिवार को समय नहीं दे पाते। हर कोई जीवन में व्यस्त है एक होड़ सी लगी है। मैं फर्स्ट, मेरे पास गाड़ी ,मेरा बैंक बैलेंस ,मेरे बच्चे का बड़ा स्कूल -कॉलेज, बड़ा पैकेज न जाने क्या-क्या। इस होड़ का असर सबसे ज्यादा बच्चों व युवाओं पर हो रहा है ।

आज भारत डिप्रेशन व आत्महत्या के मामले में दूसरे स्थान पर आ गया है ।20 प्रतिशत आबादी डिप्रेशन में है- कारण अकेलापन ,नंबर वन बनने का ख्वाब , ब्रेकअप ,परिवार की अशांति ,आर्थिक परेशानी और दिखावा, कारण जो भी हो मगर उसका निवारण एक ही है। ‘सकारात्मक सोच’ ऐसे लोगों की पहचान करना भी मुश्किल होता है क्योंकि जब वह किसी को कुछ बताएंगे ही नहीं तो परेशानी का पता कैसे चलेगा। हम अगर अपने आसपास अपने ही परिवार में सचेत होना पड़ेगा हम सब के आसपास और कहीं ना कहीं हम सब के परिवारों में भी ऐसे लोग होते हैं जिसकी हमें पहचान तो होती है मगर उसे हम गंभीरता से नहीं लेते और कई बार हम कुछ लोगों को खो देते हैं, मगर अब समस्या के समाधान भी हैं ।

इन बातों का रखें ध्यान

अपनी पसंद की चीजों में व्यस्त रहें पेंटिंग, डांसिंग, सिगिंग, लेखन जो भी अच्छा लगता हो। अध्यात्म से जुड़ सकते हैं। कहते हैं आध्यात्मिक व्यक्ति अन्य की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं क्योंकि उनके सोचने समझने की शक्ति मजबूत होती है। अध्यात्म से जुडना, गुरुत्व का पालन करना जीवन में बहुत जरूरी है। अपनी बातें किसी दोस्त या परिवार से जरूर शेयर करते रहें। किसी बात को पकड़कर ना रखें, खुश रहना आपके हाथ में है। खुद को समय दें, कहीं घूमने जाएं। अपने रिश्ते को अहमियत दे।

ट्विंकल आडवाणी बिलासपुर(छ.ग) 

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

ये भी पढ़ें...

error: Content is protected !!