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जब नही गला दाल तब बन बैठा पत्रकार, खुद को सम्वाददाता बताने वाला ठग चढ़ा पुलिस के हत्थे

ठग तांत्रिक रंगे हाँथ धराया

ठगी से बचने के लिए पत्रकारिता को बनाया था जरिया

शर्मा परिवार को अरसों से ठग रहा रजनीश

भूत-प्रेत का साया बताकर बरगलाने लगा कालरी कर्मचारी को  न लेखनी न तालीम फिर भी हम पत्रकार

शहडोल।।बुढार

किसी उर्दू शायर ने लिखा है कि-“कोठे तो यूं ही बदनाम है असली खेल तो मीडिया चैनलों में हो रहा है” हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि पत्रकारिता की बाढ़ में अब ऐसे लोग गोता लगा रहे हैं जिनका इस पेशे से कोई सरोकार नही। यानी जैसे बाढ़ अपने साँथ किसी भी तत्व को समेट लेती है उसी प्रकार आज के नौसिखिया पत्रकारों की हालत है। लोकतंत्र का यह चौथा स्तम्भ मानो अब खुद अपने अस्तित्व की तलाश में हो और उसे पुनः किसी बाबा साहेब की आवश्यकता हो। किसी भी प्रकार के अवैध कामो को पनाह देने का लाइसेंस वर्तमान युग मे पत्रकारिता से बेहतर कोई भी लायसेंस नही है। शब्दो की मर्यादा न होती तो हिंदी शब्दकोश में कई ऐसे शब्द हैं जिन्हें आज के चंद पत्रकारों को नवाजा जा सकता है यानी उन्हें बरसाती मेढंक कहें तो कोई संशय नही होगी। यानी अब इस पेशे के कोई ईमान धरम नही रह गया। पत्रकारिता को लेकर ‘परसाई जी ने एक बड़ा ही तीखा व्यंग्य लिखा था कि “हममें से कईयों की लेखनी अब तवायफ हो चुकी है चंद हुक्मरान हमारी अस्मत लूटते रहते हैं और हम रिपोर्ट तक नही कर पाते” इस तीखे व्यंग्य ने आज की पीत पत्रकारिता का भी यही हश्र कर दिया है।

कभी कोयला चोर,कबाड़, खनन,दो नम्बरी,गुण्डे, जुआंरी,सटोरिए अब सभी अपने गोरखधंधा को छिपाने के लिए पत्रकारिता जैसे पवित्र शब्द और ओहदे को बदनाम कर रहे हैं।

ऐसा ही एक वाकया बीते कुछ दिनों पहले हमारे सामने आया जब एक गरीब परिवार को रजनीश जैसे ठग तांत्रिक की वेश में पूरे परिवार को भुखमरी की कगार में लाकर खड़ा कर दिया और पीड़ित परिवार से लाखों-करोड़ों की ठगी कर डाला ।पीड़ित परिवार के लिए एक पत्रकार ने आवाज उठाई किन्तु ठग रजनीश स्वयं एक प्रतिष्ठित अखबार का सम्वाददाता बन बैठा ।

बड़ा शर्म लगता है अखबार के ऐसे मालिको की हरकतें देखकर जो किसी चोर-उचक्के ठग को चंद विज्ञापन के उपहार के लिए ब्यरो और सम्वाददाता का कार्ड थमा देते हैं।

अब तो पुलिस अधीक्षक से यह गुहार है कि ऐसे फर्जी लोगों की तलाश और जांच भी करें जिनके हाँथ अपराध से सने हैं और अब वो पत्रकारिता जैसे सम्मानित पेशे को कलंकित करने इस पेशे में आ रहे हैं।

खुद को सम्वाददाता बताने वाला चढ़ा बुढार पुलिस ने के हत्थे

अपने ठगी की खबर पढ़कर कोरेक्सी रजनीश एक प्रतिष्ठित अखबार का सम्वाददाता बन बैठा था जिस पर पुलिस अधीक्षक शहडोल के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में अवैध नशे के व्यापारियों के विरूद्ध लगातार कार्यवाहियां की जा रही हैं। दिनांक 11-12.07.23 को बुढ़ार पुलिस को सूचना प्राप्त हुई कि कृषि उपज मंडी के पास ग्राउंड बुढार में रजनीश पाठक निवासी भुतही टोला बुढ़ार का अवैध नशीली कफ सीरप रखें हुए नशा करने वाले लोगों को बिक्री कर रहा है। सूचना की तस्दीक हेतु पुलिस की एक टीम ने मुखबिर द्वारा बताये हुए स्थानों पर जाकर दबिश दी। संदेही रजनीश पाठक पिता राजेन्द्र प्रसाद पाठक उम्र 31 वर्ष नि. वार्ड नं. 01 भुतही मोहल्ला बुढार के कब्जे से 13 नग ऑनरेक्स कफ सिरप कोडिन युक्त कुल कीमती 1950 रुपये, एक मोबाईल मिलने पर थाना बुढार में धारा 8, 21, 21 (सी) एनडीपीएस एक्ट, 5 / 13 म.प्र. ड्रग कंट्रोल अधिनियम का कायम कर मामला पंजीबद्ध कर विवेचना की जा रही है।

उक्त कार्यवाही में थाना प्रभारी बुढ़ार निरीक्षक रत्नांबर शुक्ल, उनि गोविंदराम भगत, सउनि वेदप्रकाश तिवारी, सउनि ज्ञानेन्द्र सिंह, आशीष तिवारी, मयंक मिश्रा की भूमिका रही ।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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