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चार माह से लाइन हाजिर हैं दो आरक्षक , जाँच व कार्यवाही की समय सीमा कब होगी पूर्ण

हमेशा छोटे सिपाहियों पर ही गाज क्यों गिरती है

विनय मिश्रा….

हमने अक्सर देखा है कि जिले की किसी थाना अन्तर्गत यदि कोई भी घटना घटित होती है तो उसका जिम्मेवार सदैव छोटे सिपाही होते हैं यानि उन्हें ही किसी पाप का हिस्सा बनाकर कार्यवाही की वैतरणी चढ़ाई जाती है। कभी पुलिस प्रशासन के उन वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्यवाही नही होती जो वास्तव में इस अपराध के जड़ होते हैं। जिला पुलिस मुख्यालय अन्तर्गत कोई भी छोटे-बडे अवैध कारोबार हों और पुलिस के मुख्य अधिकारी को न पता हो ऐसा तो सम्भव नही है। फिर भी हमेशा छोटे कर्मचारियों को ही बलि का बकरा बनाया जाता है।

अनूपपुर।।
बीते 17 अप्रैल को अनूपपुर जिला अन्तर्गत दो आरक्षकों को लाइन हाजिर कर दिया गया था उन पर आरोप था कि सट्टे में पकडाए आरोपी का उनसे तालमेल था और उन पर आज भी जाँच चल रही है जाँच का कोई निष्कर्ष नही निकला यानि अभी तक जाँच चल रही है।छोटे सिपाहीं हैं अपना दर्द कहें भी तो किससे।

भारतीय न्याय प्रणाली में जाँच की प्रक्रिया का कोई समय सीमा तो है नही यानि जाँच जब तक मुनासिब हो जाँच करते रहें। खैर जाँच की बात हो रही है तो निश्चित तौर पर अगर उन दो आरक्षकों की उन सटोरिए से हेलमेल है तो उन पर कार्यवाही हो अन्यथा अब तक जाँच का हवाला देकर उन्हें लाइन हाजिर कब तक करना है इसका समय भी निर्धारित कर लिया जाए। आरक्षकों को लाइन हाजिर करके मानो भूल गए हों कि आगामी आदेश तक आप लाइन हाजिर ही रहोगे ।
महज मौखिक आदेश पर इन दो आरक्षकों को थाने से रवाना कर दिया गया था
जबकि इनकी किसी फरियादी या किसी व्यक्ति विशेष ने शिकायत भी नही की थी।

ये था पूरा मामला…

आईपीएल सट्टेबाजी मामले में एसडीओपी अनूपपुर ने, 2 प्रधान आरक्षक लाइन अटैच किया था सम्भव है वो सटोरिए अभी भी बाहर आकर उसी काम को अंजाम दे रहे हों पर उन आरक्षकों पर अभी तक जांच ही चल रही है।

जिला मुख्यालय में 7 अप्रैल को आईपीएल क्रिकेट को लेकर सट्टेबाजी हो रही थी। कोतवाली पुलिस की ओर से इस मामले में दो युवकों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें लोकेश जगवानी और रत्नेश जगवानी का नाम सामने आया। इस पूरी कार्रवाई में पुलिस पर ही आरोप लगे थे।
रुपयों का लेनदेन और सट्टेबाजी के प्रमुख सरगना को छोड़ देने के आरोप के बाद पुलिस अधीक्षक की ओर से एसडीओपी अनूपपुर से पूरे मामले की जांच भी कराई जा रही है।

7 अप्रैल को हुई इस घटना के 10 दिन बाद कोतवाली में पदस्थ दो प्रधान आरक्षक रामखेलावन यादव और विकास दहायत को पुलिस अधीक्षक ने लाइन अटैच कर दिया है। किन्तु लाइन हाजिर करने के बाद उन आरक्षकों को पर अभी तक जाँच ही चल रही है या फिर ऐसा माने की छोटे सिपाहियों पर ऐसे जाँच कार्यवाहियां चलती रहती हैं जिनकी कोई तारीख या समय सीमा निर्धारित नही है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से हमने समाचार के माध्यम से अपील की है आशा है उन आरक्षकों की बहाली हो।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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