दिव्यकीर्ति सम्पादक-दीपक पाण्डेय, समाचार सम्पादक-विनय मिश्रा, मप्र के सभी जिलों में सम्वाददाता की आवश्यकता है। हमसे जुडने के लिए सम्पर्क करें….. नम्बर-7000181525,7000189640 या लाग इन करें www.divyakirti.com ,
7k Network

होम

Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

कोतमा विधानसभा चुनाव के पूर्व राजनीतिक उलटफेर से पार्टी कार्यकर्ताओं में छाई मायूसी।

कोतमा विधानसभा चुनाव के पूर्व राजनीतिक उलटफेर से पार्टी कार्यकर्ताओं में छाई मायूसी।

अनूपपुर।।

जिले में एक तरह की मुर्दा शांति है, कुछ इस तरह जैसे किसी ने बिना साइलेंसर लगाए बंदूक चला दिया हो। और लोग डर के मारे खिड़की-दरवाजे बंद कर रोशनदान से सांसे ले रहे हों। और दीवारों से कान सटाकर बाहर की हर गतिविधि से साक्षात्कार होना चाहते हों।

बहरहाल यह शांति दूसरे दृष्टिकोण से देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के बिगुल बजने की है। तथा विधानसभा चुनाव की सम्पन्नता हेतु बनी कार्यकारणी से असहमत खेमा शांति मुद्रा में चला गया है। कांग्रेस की बनी कार्यकारणी से असहमत समूह ने अपनी नाराजगी तो जाहिर कर दिया है। लेकिन बरसात के कसमसाहट वाली गर्मी के वजह भाजपा अपनी नाराजगी जाहिर करने से परहेज कर रही है। वहीं कोतमा विधानसभा में बृजेश गौतम को मिली नवीन जिम्मेदारी ने समर्थको को मायूस और हताश तो किया ही है। लेकिन जो बृजेश गौतम को विधायक टिकट दिलाने हेतु भाजपा पार्टी टूटन-घुटन का शिकार होकर दो खेमो बंट गई थी। अब वह भाजपा, हाईकमान के निर्णय के बाद मूर्छित अवस्था में भी हाय-राम, हाय-राम कर रही है।

इसके अतिरिक्त कोतमा विधानसभा सामान्य सीट होने के साथ साथ सबसे विवादास्पद सीट भी है। अपितु विवादों से शांति और शांति से विवादों का सिलसिला तो चलता रहा, लेकिन ऊर्जावान राजनीति का परिवर्तन का सिलसिला वर्ष 1999 के बाद आया है। और वर्ष 2003 में जयसिंह मरावी के बाद यह परिवर्तन स्थापित हुआ है। जिसके बाद वर्ष 2008 में दिलीप जायसवाल जिन्होंने कहा था कि “सर को ताज़ नहीं बनाउंगा” के उद्धघोष से चुनाव सम्पन्न हुआ था। लेकिन यह सिलसिला वर्ष 2013 में मनोज कुमार अग्रवाल ने तोड़ दिया था और प्रचंड वोट से जीत दर्ज किए थे। वहीं वर्ष 2018 में युवा नेता सुनील सराफ ने जीत दर्ज कर युवाओं के अंदर राजनीति की एक नई ऊर्जा का संचार तो किया था। लेकिन सुनील सराफ जीत का सिलसिला कब अत्याधिक जोशीलापन में तब्दील होकर मुसीबत बन गया, इस बात से सुनील सराफ बेखबर रहे और आये दिन विवादों को लेकर अखबार की सुर्खियों में बने रहे। वहीं कांग्रेस में सुनील सराफ की जो स्थिति है वह किसी से छिपा नहीं है। हालही में बनी कार्यकारणी में सुनील सराफ के समर्थकों को जिम्मेदारी न देकर कांग्रेस ने सुनील सराफ को टिकट वितरण के पूर्व ही आड़े हाथों ले लिया है। व यह संशय और गहरा दिया है कि अभी कोतमा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना प्रत्याशी बदल सकती है। व सम्भवतः कांग्रेस को ऐसे निर्णय लेने के लिए स्वयं सुनील सराफ ने विवश कर दिया है। इस सब के अतिरिक्त सुनील सराफ का विवादों से चोलीदामन का साथ रहा है और आए दिन अपने तरह-तरह के विवाद से अखबारों व न्यूज़ चैनल की सुर्खियों में छाए रहते थे। हालांकि चुनाव के दरमियान कोतमा में लॉ एन्ड आर्डर ध्वस्त होना आम बात है जोकि हालही के नगरीय निकाय चुनाव में हुआ था।

वहीं कांग्रेस सुनील सराफ के रूप में जोखिम अगर लेती है, तो सम्भवतः कोतमा विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर तो होगी ही, लेकिन कांग्रेस मनोज अग्रवाल के रूप में एक प्रबुद्ध नेता को 5 वर्ष के लिए पीछे भी धकेल देगी। इसके अतिरिक्त कांग्रेस में सुनील सराफ के विवादों पर जिले के अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता कई बार अपने आपको अलग ही करते नजर आए हैं। इसलिए सन्दर्भ में यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी के निर्णय पर अनूपपुर कांग्रेस कार्यकर्ता सुनील सराफ के समर्थन में खुलकर आ पायेंगे? वहीं दूसरी ओर अगर मनोज कुमार अग्रवाल की बात की जाए तो वह स्वच्छ छवि के रूप में कोतमा विधानसभा में स्थापित हैं। और इस पर यह कहना कोई जल्दबाजी नहीं होगी कि कोतमा का इतिहास स्वयं को दोहारने हेतु दहलीज में खड़ा हो गया है। यानि वर्ष 2013 के इतिहास को मनोज अग्रवाल दोहरने के लिए उत्सुक जरूर होंगे।

टिकट के दावेदार को मिली चुनावी जिम्मेदारी से कोतमा विधानसभा सभा में भाजपा कार्यकर्ता चारो खाने चित्त।

बृजेश गौतम को कोतमा विधानसभा में चुनावी टिकट दिलवाने के लिए समर्थक दिन रात ऐड़ीचोटी का जोर लगाए हुए थे। लेकिन प्रदेश पार्टी हाईकमान बृजेश गौतम को जिला चुनाव संयोजक बनाकर कार्यकर्ताओं को मायूस और हताश तो किया ही लेकिन अब किस चेहरे पर भाजपा दांव खेलने के लिए उत्सुक है इस पर पूर्ण विराम भी लगा दिया है। वहीं बृजेश गौतम के कोतमा विधानसभा चुनाव की तैयारी की बात करें तो अनूपपुर मुख्यालय से अपना मोह भंग कर कोतमा में चुनाव हेतु अपनी जमीन बनाने चले गए थे। तथा सपने संजोए हुए थे कि शाम-दाम-दंड-भेद से पार्टी टिकट देगी। लेकिन पार्टी ने बृजेश गौतम को जिला चुनाव संयोजक बनाकर विधायक का स्वप्न धरासाई कर दिया है। अब ऐसे में भाजपा किस नये चेहरे की तलाश करती है इस पर भाजपा पार्टी का निर्णय आने तक संशय बरकरार रहेगा।

-राज कमल पाण्डेय

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

ये भी पढ़ें...

error: Content is protected !!