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कोतमा विधानसभा चुनाव : राह नहीं है आसाँ इतना समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।

अनूपपुर।। (कोतमा) 

डेढ़ लाख की आबादी वाला विधानसभा कोतमा जहाँ पुरुष और महिला मतदाताओं में सामान्यता है। अनूपपुर जिले के तीन विधानसभाओं में इकलौता सामान्य सीट कोतमा विधानसभा है जिस पर ब्राम्हण, ठाकुर, गुप्ता आदि सामान्य जाति के दावेदारों की एक लम्बी सूची है। अपितु आम तौर पर देखा या कहा जाए तो “कोतमा विधानसभा के सीट की राह आसान नहीं है और दावेदारों को इतना समझ लेना चाहिए कि इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।” कांटे की टक्कर दो ही पार्टी भाजपा और कांग्रेस में होगी। वहीं वर्ष 2018 के कोतमा विधानसभा चुनाव के परिणाम की बात की जाए तो वह कुछ इस प्रकार थे। “कांग्रेस से सुनील सराफ को 48249 वोट मतदान का 43.87% फीसदी, भाजपा से दिलीप जायसवाल 36820 वोट मतदान का 33.48% फीसदी, गोगपा से रामखेलावन तिवारी 5766 वोट मतदान का 5.24% फीसदी, सीपीआई से संतोष कुमार 5044 वोट मतदान का 4.59% फीसदी, सापेक्ष से किशोरी लाल चतुर्वेदी 4392 वोट मतदान का 3.99% फीसदी, बसपा से सुधीर कुमार पांडेय 2419 वोट मतदान का 2.20% फीसदी, निर्दलीय से निर्मला प्रजापति 1348 वोट मतदान का 1.23% फीसदी आया था।” इसमें सबसे अधिक वोट कांग्रेस से सुनील सराफ को मिले थे। वहीं दूसरे नम्बर पर दिलीप जायसवाल थे। इसके अतिरिक्त कोतमा के 14 विधानसभा चुनाव परिणाम में 9 बार कांग्रेस विजती हुई है तथा 2 बार बीजेपी के अनुकूल परिणाम आए हैं। और इसकी प्रमुख वजह कांग्रेस में टिकट वितरण रहा है। और अंतर्कलह कांग्रेस के पराजय का कारण भी बना है। पूर्व चुनाव के परिणामों से यह स्पष्ट हो जाता है कि कोतमा विधानसभा कांग्रेस का सबसे पुराना गढ़ है और बीजेपी सेंध लगाने के हर भरसक प्रयास पर विफल रही है। ऐसे में वर्ष 2023 के विधानसभा की जो स्थिति है वह भी कुछ इसी प्रकार है जहाँ भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होने के आसार हैं। लेकिन अबकी विधानसभा का चुनाव कहीं न कहीं दावेदारों को टिकट वितरण से ही बहुत कुछ तय हो जायेगा। तथा भाजपा-कांग्रेस से दावेदारों की लम्बी कतार संतुष्ट व असंतुष्ट होने का सिलसिला बढ़ा सकता है। हालांकि कांग्रेस में 3 ही प्रमुख दावेदार मनोज अग्रवाल, सुनील सराफ और नागेंद्र नाथ सिंह हैं। लेकिन बीजेपी में दावेदारों की एक लम्बी सूची है। जिसमें पहली सूची पर दिलीप जायसवाल, मदन त्रिपाठी, हनुमान गर्ग, मनोज द्विवेदी, सुनील चौरसिया हैं। तथा दूसरी सूची में बीजेपी के टिकट से लड़ने के लिए धन और बाहुबल की लाइन लगी हुई है।

बहरहाल कोतमा विधानसभा में भाजपा का कार्यकाल देखा जाए, तो कुछ ज्यादा प्रभावशाली कार्यकाल नहीं था। तथा वर्ष 2018 के चुनाव परिणाम भी बीजेपी के कार्यकाल को स्पष्ट दर्शित करता है। और परिवर्तन हेतु जनता को बल दिया था। जिसमें भाजपा से दिलीप जायसवाल को 12000 वोटो से करारी शिकस्त मिली थी। ऐसे में बीजेपी दिलीप जायसवाल पर पुनः दांव खेलने का मन बना रही होगी तो बीजेपी को 2013 और 2018 के चुनाव परिणाम जरूर देख लेने चाहिए कि कोतमा विधानसभा की जनता किसी नए चेहरे की तलाश में है। तथा बीजेपी के अनुकूल परिणाम आएं इसके लिए टिकट वितरण के पूर्व कांग्रेस के समक्ष दमदार उम्मीदवार मैदान में उतारना होगा। क्योंकि वर्ष 2013 और 2018 में कांग्रेस पर बीजेपी ने अपनी सम्पूर्ण राजनीतिक ऊर्जा झोंक दी थी, बावजूद मनोज अग्रवाल से राजेश सोनी को और सुनील सराफ से दिलीप जायसवाल को करारी शिकस्त मिली थी। ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव के परिणाम कांग्रेस की तरफ 60% और बीजेपी की 40% फीसदी का ही देखा जा सकता है, जिसमें कांग्रेस दो विधानसभा चुनाव परिणाम पर बढ़त में है। और बीजेपी के लिए कोतमा विधानसभा चुनाव लोहे के चने चबाने जैसा है। हालांकि सुनील सराफ का कार्यकाल भी कुछ ज्यादा असरदार कार्यकाल नहीं रहा है और कोतमा विधानसभा क्षेत्र की जनता स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के लिए जद्दोजहद करती रही है। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस अगर सुनील सराफ के रूप में जोखिम लेती है तो सम्भवतः कोतमा विधानसभा चुनाव में मुकाबला बराबर का हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस कोतमा में 60% और 40% फीसदी का मुकाबला करने के लिए सम्भवतः अपना उम्मीदवार इसलिए भी बदल सकती है क्योंकि मनोज अग्रवाल वर्ष 2018 में टिकट से वंचित हुए थे जबकि कांग्रेस के विजय रथ को मनोज अग्रवाल से बल मिला था। जिसके बाद एक बड़ा त्याग करके सुनील सराफ को युवा राजनीतिकारों को तैयार करने का अवसर भी दिया था। जिसमें सुनील सराफ विफल रहे हैं। अब ऐसे में मनोज अग्रवाल कांग्रेस के समक्ष टिकट की मांग करेंगे या नहीं इस पर संशय बरकरार हैं। तथा कांग्रेस भी मनोज अग्रवाल को टिकट देने हेतु तैयार है या नहीं यह भी देखने योग्य है। या फिर कांग्रेस मनोज अग्रवाल और सुनील सराफ के अतिरिक्त किसी जमीनी कार्यकर्ता को टिकट देने का मन बना रही है। यह टिकट वितरण में देखना दिलचस्प होगा।

-राजकमल पाण्डेय

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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