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हास्य व्यंग्य : बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल

शिवराज सिंह चौहान के अनूपपुर आगमन पर बैनर, होडिंग व कटआउट लगा कर कार्यकर्ताओं ने स्वागत, वंदन अभिनन्दन किया है। और शिवराज सिंह इस अभिनन्दन का हक़ भी रखते हैं। वो इसलिए भी कि 18 साल 4 महीने की जिस सरकार को विपक्ष हिला न पाया हो उस भाजपा को प्रदेश से सूफ़ड़ा साफ करने में अकेले शिवराज ही कारगर सिद्ध हो गए। वर्ष 2018 विधानसभा के चुनाव परिणाम उठाए तो शिवराज को जनता ने पटखनी दे दी थी। लेकिन केंद्र से अमित शाह के दखल के बाद कांग्रेस के 22 विधायक टूट कर भाजपा में आ गए और भाजपा ने 2020 में उपचुनाव करा कर डबल इंजन की सरकार बना ली। बावजूद भाजपा 3 वर्षो में अपनी राजनीतिक जमीन बनाने में विफल रही। और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वयं आकर भोपाल व शहडोल संभाग में भाजपा की राजनीतिक जमींन खंघालनी पड़ी। अपितु मोदी का आना भी तब व्यर्थ हो गया, जब सीधी विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि ने एक आदिवासी लड़के के सिर पर पेशाब कर दिया था। जिसके बाद प्रदेश में भाजपा के आदिवासी वोट बैंक पर गहरा प्रवाह भी पड़ा और मोदी के आगमन पर करोड़ रूपये के इवेंट मैनेजमेंट पानी में बह गया। जिसके बाद शिवराज सिंह आदिवासी वोट बैंक बचाने के लिए आग बबूला होते हुए विधायक प्रतिनिधि का गैर कानूनी तरीके से घर ढहा दिया। लेकिन उक्त मामले पर मनमाना कार्रवाई के बाद आदिवासी वोट बैंक तो 10 से 15 फीसदी सुरक्षित कर लिए अपितु सामान्य वोट बैंक बिगाड़ लेने के बाद शिवराज सिंह के गले से पानी उतरना बंद हो गया। इसके पहले भी शिवराज सिंह के कई मामले सीएम के संवैधानिक पद की मर्यादा से उतर कर कार्य व बात करने का मामला प्रकाश में आते रहे हैं। जिसमे “माई के लाल, माफ़ियाओं को जिन्दा गाड़ दूँगा” आदि आदि इसमें सबसे ज्यादा “माई के लाल” वाले बयान तूल पकड़ी थी जिसके बाद वर्ष 2018 में भाजपा को प्रदेश से अपनी सत्ता खोनी पड़ी थी।

बहरहाल अनूपपुर जिले के तीन विधानसभाओं की जमीनी हकीकत खंघालने के लिए स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहना सम्मेलन के बहाने 9 अगस्त यानि बुधवार को आ रहे था। अतः जिले के तीन विधानसभा की वास्तविक स्थिति से शिवराज सिंह भली भांति परिचित हैं कि यहाँ भाजपा के जय-पराजय से सरकार बनने या बिगाड़ने पर रत्ती भर की खस्ट नही होनी है। और संघ व भाजपा को यह भी मालूम है कि पुष्पराजगढ़ व कोतमा विधानसभा भाजपा के पहुँच से कोसो दूर और रही अनूपपुर विधानसभा सीट तो वह रामलाल व बिसाहूलाल के वर्चस्व की लड़ाई के भेट चढ़ना तय ही है। बावजूद कुर्सी का मोह ऐसा है कि शिवराज सिंह को दर-दर भटका रहा है। और संदेह है कि इस विधानसभा में जनता इन्हें पुनः पदच्यूत करने की तैयारी में है। लेकिन शिवराज सिंह अपनी सरकार बचाने की लड़ाई जारी रखना चाहते हैं और यह कुर्सी मोह व अंतिम सांस तक की लड़ाई शिवराज को बड़े नेता की कतार में खड़ा कर दिया है। अपितु शिवराज सिंह की जो मौजूदा स्थिति है वह इसी से मालूम होता है कि आगे कुंआ और पीछे खाई है। यानि वर्ष 2020 में तोड़मरोड़ कर डबल इंजन की सरकार बना लेने व असहमत समूह को शामिल कर लेने के बाद भी जनता में अपनी गहरी छाप नही छोड़ पाए। और अब आलम यह कि प्रदेश में 1 करोड़ 20 लाख बहनो को प्रति माह 1000 हजार की राशि देने के बाद भी शिवराज सिंह को दर-दर भटकना पड़ रहा है और जनता शिवराज सिंह को स्वीकार करने से परहेज कर रही है। वहीँ प्रदेश के विष्टित सूत्रों के हवाले से खबर है कि संघ की रिपोर्ट ने शिवराज की नींद उड़ाई हुई है तथा भाजपा अंदर ही अंदर प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की तैयारी में जुट गया है। ऐसे में प्रदेश स्तर में वीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब भी देखना शुरू कर दिए हैं। लेकिन प्रदेश से भाजपा की जो राजनीतिक जमीन खिसक रही है उससे भाजपा अंजान हैं, लेकिन संघ इस बात से भली भांति परिचित है। और भाजपा प्रदेश के मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने हेतु उत्सुक तो हैं; लेकिन वह इस बात से बेखबर हैं कि बीते 18 वर्ष से भाजपा की सरकार में बढ़ रहे भ्रष्टाचार, अपराध, बेरोजगारी, आर्थिक तंगी से प्रदेश की जनता आहत है। और यह भारत देश कि जनता ही है जिसने 2 रूपये किलो प्याज के दाम बढ़ जाने पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को गिरा दिया था। बावजूद भाजपा उस टूटन के बाद संभलने में इतना वक्त लगा दिया कि फर्स से अर्स तक और अर्स से फर्स तक का सफर तय कर पाने में कई बार टूट के बिखरी है। इस निमत्ते अगर यह कहा जाए तो कोई जल्दबाजी नही होगी कि “बूड़ा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल.”

-राजकमल पाण्डेय

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Author: Divya Kirti

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