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शिव तेरे राज में वर्षों से भटक रही यह लाडली बहना

मंत्री, सांसद, विधायक की नाकामी का शिकार हो गया पूरा परिवार

बदलते रहे कलेक्टर, आते जाते रहे जीएम

बाबू से शुरू हुआ खेल, गृह मंत्री तक पहुँचा पत्र,पर नही मिला न्याय

 विनय मिश्रा की रिपोर्ट….

 

विधानसभा चुनाव कुछ ही माहों में सम्पन्न होने वाला है। इस चुनाव को लेकर तमाम प्रचार-प्रसार व रोड शो किए जा रहे हैं। जीत-हार की ऐसी नौबत आ गई कि स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी को भी इस कतार में शामिल होना पड़ा और कोदो कुटकी खाने के बहाने दबी जुबां शिवराज सिंह व भाजपा के लिए प्रचार कर गए स्वयं शिवराज भी चुनाव जीतने के लिए इस बार एड़ी चोटी लगा रहे हैं।इसका अहम कारण है कि उनके अधीनस्थ चुने गए जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति उदासीनता।
क्षेत्र की सांसद, विधायकों का जमीनी रिपोर्ट कार्ड खंगाले जाएं तो यह ज्ञात हो जाएगा कि इन्होंने जनता के प्रति किंतनी जवाबदेही तय की है। ऐसे में अभी नवनिर्मित फिल्म जवान का एक डायलॉग है कि हम, जनता लोकतंत्र में अपने किसी भी नेता को चुनते समय या वोट देते समय उनसे व खुद से एक सवाल जरूर करें की हम जिसे चुन रहे हैं वो अगले 5 वर्ष में हमारी शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा, सड़क, पेयजल, खाद्य पदार्थो की उपलब्धता पर क्या करेगा। हम कहानी के डायलॉग का वर्णन इसलिए कर रहे हैं कि क्षेत्र में जिस तरह से भाजपा सांसद विधायको के काम की आलोचना हो रही है वह मीडिया या आम आदमी से छिपा नही है। इसलिए अपना वोट देने से पहले एक बार मंथन जरूर करें।

मंत्री, सांसद, विधायक, सीएमडी, कलेक्टर,जीएम भी बरगलाते रहे

पीड़ित भूपत द्विवेदी ने बताया कि रोजगार को लेकर मैं मंत्री बिसाहूलाल से लेकर सांसद, विधायक, सीएमडी, कलेक्टर, जीएम कार्यालय के चक्कर काट रहा हूँ पर किसी ने भी मेरी न सुनी। मंत्री झूँठ बोलता है सांसद रोज लटकाती है और अपनी मजबूरियाँ सुनाती है। विधायक सुनने को तैयार नही, कलेक्टर कहते हैं मेरे बस की बात नही, जीएम कागजों और सीएमडी का बहाना देते हैं और सीएमडी अपने विभाग द्वारा किए गए लीपापोती पर कार्यवाही करने को कहता है। यह सुनते-सुनते आज 3 वर्ष होने को है धीरे-धीरे मेरी नौकरी रिटायरमेंट की कगार पर है किंतु किसी के कानों में जू नही रेंगता। स्थिति ऐसी हो गई है कि पूरा घर कर्जे में डूब चुका है।अब तो सिर्फ शिवराज से ही आस है।

ये है पूरा मामला

मैं भूपत द्विवेदी पिता स्व. सुन्दर लाल द्विवेदी राजनगर ओ.सी.एम. में हॉलपैक ऑपरेटर के पद पर पदस्थ हूँ। मेरा N.E.I.S. NO. 23681802 है। मुझे निमोनिया, सुगर, दमा व बी. पी. लो की गम्भीर बीमारी हैं में किसी कदर इयूटी कर के अपने ईलाज हेतु आमाखेरवा में गया किन्तु यहाँ ठीक से ईलाज न मिलने के कारण व रिफर न करने के कारण मेरी बीमारी बढ़ती गई और मुझे मजबूरी में निज निवास चन्दिया आना पड़ा मेरी ड्यूटी हॉलपैक ऑपरेटर की है किन्तु मुझसे कोयले की आग बुझाने का काम डरा-धमका कर कराया जाता था मेरी तबियत तभी से और जादा खराब होने लगी, किन्तु आज दिनांक तक न ही मेडिकल का पैसा नहीं दिया गया और न ही गुजार भत्ता ईलाज में मेरी पूरी सम्पत्ति बिक गई मेरे को मानसिक रूप से बहुत प्रताडित किया गया है।

भूपत द्विवेदी ने बताया कि मैं दो बार बिलासपुर ट रूष्ठ. ऑफिस गया हूँ किन्तु वहाँ पर गाड़ों के द्वारा रोक लिया गया जिसके कारण मैं ट रूष्ट साहब तक अपनी बात नहीं रख पाया राजनगर ओ.सी.एम. द्वारा मेरा डिसमिस लेटर 29/08/ 2020 को निकाला गया था, जिनकी जानकरी मुझे नहीं दी गई थी। इसी बीच 09/09/2020 को मेरा ट्रांसफर कुसमुन्डा कर जिसकी जानकारी मुझे एक कर्मचारी द्वारा मेरे फोन पर बताया गया किन्तु उस समय मेरी तबीयत ज्यादा खराब थी जिसकी जानकारी मेरे द्वारा विभाग को दी जा चुकि थी इसके बाद भी मेरा स्थानान्तरण कर दिया गया था ईलाज कराकर लौटने के बाद मैं दिनांक 11/10/2021 को अपना ट्रांसफर को रुकवाने के लिए मैं बिलासपुर ष्ट. रूष्ट ऑफिस गया था ताकि मेरा ट्रांसफर उमरिया जिले में हो सके तब मुझे वहाँ डिसमिस ऑडर का लेटर दिया गया और मुझे वहाँ से वापस कर दिया गया मैं 2018 से लगातार बिमारी की हालात से परेशान हूँ इसके बाद भी मुझे परेशान किया जा रहा है और मेरा मेडिकल बिल नहीं निकाला जा रहा है और कार्य में ज्वाइनिंग नहीं कराया जा रहा है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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