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कोयले और कबाड़ के अवैध कारोबार को किसका संरक्षण….?

प्रशासन बना  “बद्री की दुल्हनियां”

शहडोल: बुढार।।

दीपक पाण्डेय की रिपोर्ट….

कुछ वर्षों पूर्व देश के प्रधानमंत्री का यह जुमला “ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा” को देश की जनता ने काफी पसंद किया और भारी जनसमर्थन के जनता ने उन्हें सत्ता सौंप दी, प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी अपनी सभाओं में माफियाओं को जमीन में गाड़ देने की चुनौती देते रहें हैं, लेकिन जिले में प्रशासन की बागडोर संभाले कुछ जिम्मेदार देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुखिया के मंसूबे पर पानी फेरते दिख रहे हैं, शहडोल जिले का कोयलांचल क्षेत्र माफियाओं की शरणस्थली बनी हुई है और कोयला और कबाड़ का अवैध कार्य यहां तेज गति से फल फूल रहा है ।

जिले के पूर्व पुलिस कप्तान ने डाली थी माफियाओं की नाक में नकेल

समाज में एक कहावत है की यदि प्रशासन चाहे तो किसी की इतनी हिम्मत नहीं कि वह सड़क पर पड़ी सुई को भी हाथ लगाए, इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए जिले में पदस्थ रहे पुलिस कप्तान अवधेश गोस्वामी ने कोयलांचल के नामी माफियाओं को बिलों में घुसने को मजबूर कर दिया था, किंतु उनके स्थानांतरण के बाद तो मानो इन माफियाओं के इरादों को पंख लग गए और वर्तमान में कोयले और कबाड़ का अवैध कार्य निर्बाध रूप से अपने चरम पर है ।

कौन है इन अवैध गतिविधियों का मास्टरमाइंड  

यूं तो इन अवैध कारोबार में शामिल लोगों की लंबी फेहरिस्त है जो समय समय पर समाजसेवी बने का ढोंग और राजनैतिक दलों का चोला ओढ़ने से भी परहेज नहीं करते लेकिन अगर इन्ही अवैध कारोबार से जुड़े सूत्रों की माने तो कोयलांचल में इस कारोबार का मास्टरमाइंड बद्री नाम का शख्स है ।

बद्री का फर्श से अर्श तक का सफरनामा

कुछ वर्षों पूर्व उत्तरप्रदेश से आकर धनपुरी ओसीएम के गेट में ठपरानुमा होटल में बाहर से आने वाले ट्रक ड्राइवरों को दस रुपए थाली में खाना खिला कर उनकी थाली धोने वाला यह शख्स आज कोयला और कबाड़ के कारोबार का बादशाह बना हुआ है, अवैध शराब की पैकारी से लेकर सट्टेबाजी और रेत के अवैध उत्खनन के कारोबार से इस माफिया के तार जुड़े हुए हैं, तत्कालीन पुलिस कप्तान अवधेश गोस्वामी के कार्यकाल के दौरान इसपर ताबड़तोड़ कार्यवाहियां हुईं थी, इन कार्यवाहियों ने इस मठाधीश की कमर तोड़ कर रख दी थी एसपी के स्थानांतरण के बाद बद्री के गुलशन में एक बार फिर से बहार आ गई ।

पत्रकारिता और समाज की ठेकेदारी का रौब दिखाकर बनाता है दवाब

अपने काले कारोबार को जारी रखने के लिए इस शख्स ने कभी पत्रकारिता की खाल ओढ़ी तो कभी समाज का ठेकेदार बनने से भी गुरेज नहीं किया , किसी समय में यह अपने आप को किसी पत्रकार संगठन का संभागीय अध्यक्ष भी बताता था और यहां तक की अपने कुछ खास गुर्गों को लेकर जिला स्तरीय ब्राह्मण समाज का स्वयंभू अध्यक्ष होने का दम भी भरता था, वर्तमान में भी यह शख्स अपने आप को सत्ताधारी दल का समर्पित कार्यकर्ता बता कर प्रशासन पर दवाब बनाता है।

राजनैतिक संरक्षण से फल फूल रहा है कारोबार

सूत्र यह बताते हैं कि बद्री को कोयलांचल क्षेत्र के एक नामी राजनैतिक परिवार का खुला संरक्षण प्राप्त है , प्रशासन जब भी बद्री पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही की कोशिश करती है तो यह परिवार बद्री के लिए ढाल बन कर प्रशासन के सामने आ जाता है।

कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है प्रशासन

ऐसा नहीं है की प्रशासन के जिम्मेदारों को बद्री की इन करतूतों की जानकारी नहीं है बद्री द्वारा समय समय पर मिलने वाले मोटे नजरानों ने प्रशासन की आखों में पट्टी बांध दी है, रोजाना कोयला और कबाड़ के दर्जनों ट्रकों पर नजर डालने से बचने वाला प्रशासन सड़क पर गिरे हुए बोरियों से कोयला ढोकर परिवार का गुजारा करने वाले गरीबों पर कार्यवाही कर अपनी पीठ थपथपा कर खुश है ।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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