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सांसद-विधायक के इस क्षेत्र में इंसान और जानवर एक ही घाट में पानी पीते हैं

विकास भी सदियों से विकास पुरुषों की राह तक रहा है

हमने चुनाव के पहले बहुत सूरमाओं को देखा है जो विकास के बडे-बडे दावे करते हैं किंतु चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र और जनता का विकास हो न हो पर खुद का विकास दिखने लगता है।
शहडोल-अनूपपुर सीमा के दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ विकास अपने वजूद से अछूता है । हम उंगलियों में तो उन गाँवो और सड़कों का नाम नही गिना सकते पर हमारे पास समाचार के रूप में उन स्थानों के नाम जरूर मिल जाते हैं।
सांसद हिमाद्री सिंह के संसदीय क्षेत्र और विधायक फुन्देलाल के विधानसभा क्षेत्र का ऐसा हाल है जहाँ जानवर और इन्सान एक साँथ एक ही पानी को पीते हैं और बीजेपी ढोल नगाड़ों के साँथ विकास यात्रा निकालती है।
हमारे शरीर व पृथ्वी में भले ही जल की उपलब्धता अधिकांश हो पर अनूपपुर के पुष्पराजगढ़ के बीजापुरी गाँव मे पानी के लिए इंसान और जानवर एक घाट पर ही पानी पीते नजर आ रहे हैं।

अनूपपुर।।
जिले के नर्मदा नदी के किनारे बसा पुष्पराजगढ़ विकासखण्ड का ग्राम पंचायत बीजापुरी नंबर 1 की आबादी लगभग 300 और मतदाता लगभग 150 है। यहां के ग्रामीण आज भी आदिमानव काल में अपना जीवन यापन बसर कर रहें। मूलभूत सुविधाए नदारद हैं ग्रामीणों के चलने के लायक सड़क तक नहीं है। आंगनवाड़ी दूर होने के चलते बच्चे आंगनवाड़ी नहीं जा पाते जो विकास तस्वीरे सामने आ रही है वह वोट लेने वाले नेताओं के सारे दावों की पोल खोलती हैं। बीजापुरी नंबर 1 के संगम टोला का मामला जहां की कुल अबादी 300 और मतदाता 150 के लगभग हैं। जहां गांव पहुंचे के लिए सड़क तक नहीं हैं, जाने के लिए पगडण्डी रास्तों से होकर खाई व नदी को पार करते हुए खड़ी चढ़ाई चढ़ कर गांव के लोग आवागमन करते हैं। आंगनवाड़ी दूर होने के चलते बच्चे आंगनवाड़ी नहीं जा पाते। यहां तक गांव में 8वीं के बाद की पढ़ाई के लिए रास्ता ही आड़े आ रहा हैं। ऐसे में बच्चों की आगे की पढ़ाई को विश्राम देना पड़ रहा हैं। गांव में नल तो लगा दिया गया, लेकिन वह भी दिखावा मात्र हैं। झिरिया का गंदा पानी या नर्मदा नदी का पानी ग्रामीण और जानवर एक ही स्थान पर अपनी प्यास बुझाने को विवस हैं। बारिश के दिनों में नदी-नाले और बाढ़ की चपेट में आने से पीने के पानी की समस्या विकराल रूप ले लेती हैं। इस संबंध में ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों से पूछे जाने पर गोल-मोल जवाब प्रस्तुत किया जाता है कहीं आचार संहिता के बाद स्थिति देखकर काम करने की बात कही जा रही है तो कहीं अपने आप में इस बात को हकीकत मान करके कहा जाता है कि वास्तव में अव्यवस्था है और समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है परंतु आज दिनांक तक किसी के द्वारा इस मामले को गंभीरता लेकर के समस्या का निदान करने का प्रयास नहीं किया गया और ना ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि इस और ध्यान दिए हैं चुनाव सर पर है और ऐसे में ग्रामीणों से किस आधार पर उनके द्वारा वोट मांगी जाएगी यह तय करना यहां के ग्रामीणों को है साथ ही किसे जनप्रतिनिधि चुनना है जो इनका विकास कर सके यह क्षेत्र की जनता अवश्य तय करेगी।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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