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कभी कांग्रेस कभी भाजपा, लगते रहे हैं शरद की पूर्णिमा पर ग्रहण

विकास की बयार, ढूँढ़ती रही शरद की उजियार 

दिव्य कीर्ति शहडोल, ब्यौहारी।।

कहते हैं राजनीति एक ऐसी तवायफ है जो किसी भी फूल को अपने सिर पर अपने गजरे का हार बना सकती है और कई भंवरे उस पर मंडराते रहते हैं ठीक ऐसा ही चलन राजनीति में है यहाँ कोई किसी का सगा नही मतलब कोई भी व्यक्ति कभी भी बदल सकता है यह तो नेताओं की पुरानी प्रवत्ति है या फिर यूं कहें ऐसा “कोई बचा नही जिसे हमने डसा नही।

इन शब्दों को पिरोते हुए हम उस शरद की बात कर रहे हैं जो कभी कांग्रेस के लिए मुखर होकर बगावत किया करता था किंतु महज एक छोटे से स्वार्थ ने शरद को बागी बना दिया और शरद अपने बचपन के राजनीतिक दल का परित्याग कर भाजपा की गोदी में जा बैठे।शरद के सितारे आसमान में थे तो भाजपा के ठीक गोद लेने पर शरद को 2018 में विधानसभा चुनाव में फतेह मिली। मात्र 2 वर्ष बाद राजनैतिक उथल-पुथल हुआ और शरद का नाम नारायण त्रिपाठी के साँथ पुनः कांग्रेस में शामिल का जुडने लगा।

ये हैं वो आंकड़ें, जब शरद तैयार थे कांग्रेस का दामन थामने के लिए

शरद कोल जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर शहडोल जिले के ब्यौहारी सीट से जीत दर्ज की थी। सूत्र बताते हैं कि जब पार्टी में तोड़-मरोड़ चल रहा था शरद पुनः घर वापसी के लिए आतुर थे। जानकार बताते हैं कि पिछले पंचवर्षीय हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ब्यौहारी सीट से कांग्रेस की टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तब वह युवा कांग्रेस के नेता थे इसलिए विधानसभा चुनाव से ठीक 10 दिन पहले वह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गये और ब्यौहारी सीट से बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया. वह चुनाव जीत कर विधायक बन गये शरद को बीजेपी की संस्कृति ठीक नहीं लग रही है और वह सोचते हैं कि उसे पार्टी बाहरी समझते हैं।हम और हमारा आंकड़ा जरूर गलत हो सकता है पर पूरे ब्योहारी में जनचर्चा है कि पिता कांग्रेसी पुत्र भाजपाई।

विकास के पहिए थमे और पुनः टिकेट की दौड़ में

सूत्र बताते हैं कि अपने बड़बोले स्वभाव के धनी शरद का स्वयं के गाँव क्षेत्र में जमकर विरोध है यही नही उनका स्वयं के जाति समुदाय का आक्रोश शरद के लिए किसी बवंडर से कम नही कई ऐसे कार्य हैं जिनके सिर्फ भूमिपूजन हुए हैं किंतु शिलालेख के अलावा शरद ने वहाँ कुछ नही किया अपने ही ग्राम से पिछड़ते हुए शरद की पूर्णिमा को इस बार ग्रहण लगना लाजमी है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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