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विभाग के नकारेपन ने छीना मासूम बच्चों के मुँह से निवाला

 

छात्र ले जा रहे घर से टिफिन

शासन दे रहा समूह को खाते में पैसा

शहडोल।।

विनय मिश्रा की रिपोर्ट….

मध्यप्रदेश में मध्‍यान्‍ह भोजन कार्यक्रम का क्रियान्वयन वर्ष 1995 से प्रारंभ किया गया है। वर्ष 2001 में पके हुए भोजन के रूप में दलिया व खिचड़ी का वितरण किया जाता था। वर्ष 2004 से रूचिकर मेनू अनुसार भोजन प्रदाय किया जाने लगा।
सप्ताह के हर दिनों में अलग-अलग वरायटी के अनुसार बच्चों को पोषण उपलब्ध कराने हेतु उनके सर्वांगीण विकास का आधारशिला रखा गया। मप्र शासन ने इस योजना को क्रियान्वित करके गरीब से गरीब बच्चे को शिक्षा के लिए अग्रसर किया ताकि शिक्षा स्तर में वृद्धि तो हो और गरीब पँक्ति में खड़ा होने वाला एक निम्न स्तर का बच्चा भी अपने विकास और उत्थान के लिए सोच सके। किन्तु शहडोल जिले के बुढार जन शिक्षा केन्द्र अन्तर्गत सरकार की यह योजना दम तोड़ रही है विद्यालय और समूह के विवाद के उलझनों में अटका मासूम बच्चों का न सिर्फ पोषण अपितु मुह से निवाला भी छीना जा रहा है।
शहडोल।।

बुढार जन शिक्षा केन्द्र अन्तर्गत हथगला के मौहार टोला के प्राथमिक शिक्षा केन्द्र में बीते दो माहों से बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नही हो पा रहा है और बच्चे अपने घरों से टिफिन लेकर ही विद्यालय में लंच करते हैं इस पूरे मामले की पड़ताल मीडिया ने किया तो ज्ञात हुआ कि अधयापक से लेकर बीएसी, बीआरसी व अन्य शिक्षा जगत के आलाकमान बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध करा पाने में विफल साबित हो रहे हैं।

*मैंने बीआरसी को पत्र लिखा है*

इस पूरे मसले की जानकरी लेने के लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा पहले कोई और समूह मध्यान्ह भोजन की आपूर्ति करता था किंतु एक अन्य समूह के दखल से दोनों में तनातनी हो गई है जिसका भरपाई बच्चों का पेट काटकर करना पड़ता है और इस पूरे मामले की जानकारी मैंने बीआरसी को दिया है किंतु अभी तक हल नही निकला है।

*तो बीआरसी की निष्क्रियता से रुका बच्चो का निवाला*

बीते दो माहों से विद्यायल में बच्चो को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध न होने से कहीं न कहीं बीएआरसी बुढार की निष्क्रियता या उनका नकारापन सबसे ज्यादा समझ आ रहा है।प्राथमिक स्तर के बच्चो के प्रथम मानीटरिंग उन्ही के सिर है और बीते दो माह से यदि बच्चों को भोजन नही मिल पा रहा है तो उनकी मानीटरिंग और सक्रियता पर प्रथम दृष्टया सवाल तो बनता है।

इनका कहना है…

वैसे मध्यान्ह भोजन का फंड व उनका वितरण मेरे से परे है मैं जिला पंचायत सीईओ से बात करके बता पाऊँगा की क्यों उनका भोजन वितरण रुका हुआ है,डीपीसी ए एन सिंह

मेरे द्वारा पत्र लिखा गया है किंतु अभी तक भोजन नही मिल पाया है मैं क्या कर सकता हूँ,बीएसी शिवप्रसाद

फोन लगाने पर फोन नही उठा,सीताराम दुबे बीआरसी बुढार

मैं इस बारे में कुछ नही कह सकता आप एसी साहब से पूँछ लीजिए,जिला शिक्षा अधिकारी पीएस मरपाची

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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