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सावधान!यहाँ बच्चों की थाली में खाना कम कीड़ा ज्यादा परोसा जाता है

 

अनूपपुर।।

विनय मिश्रा

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में छात्र-छात्राओं के लिए आवास और भोजन की समस्याएं सुधरने का नाम नहीं ले रहीं, आए दिन छात्र-छात्राएं हाथ लहराते धरने पर बैठ जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एक निर्माणाधीन बालिका छात्रावास का निर्माण कार्य अप्रैल तक पूरा हो जाएगा जिससे छात्राओं के आवास की सुविधा का इलाज हो जाएगा लेकिन, भोजन कि गिरी हुई गुणवत्ता पर प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा, सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी ही अपने गृहक्षेत्र से परिचित के कैटरिंग सर्विस वाले को लाकर अप्रत्यक्ष तौर पर विश्वविद्यालय परिसर स्थित मेगा मेस सहित अन्य कैन्टीन का संचालन करा रहे हैं।

 

एलबीआई को बना दिए हैं ढाबा

ज्ञात हो कि पूर्व कुलपति टीवी कट्टीमनी ने विश्वविद्यालय परिसर में आजीविका मिशन योजना के तहत (एलबीआई) जिसमें मोटे अनाज सहित आदिवासी महिलाओं को एकत्रित कर के स्व-सहायता समूह बना के आदिवासी केन्द्रित उत्पादों को बढ़ावा दिए जाने के की योजना थी, जो कि कोदो, कुटकी, महुआ आदि जैसे मोटे अनाजों और इनसे बने उत्पादों के उत्पादन और विक्रय का एक बड़ा बाजार बनाने का कार्य चल रहा था लेकिन अन्दरूनी सांठ-गांठ से जनजातीय विकास के उक्त सभी योजनाओं को बंद कर के भवन में जबलपुर से आए एक कैटरिंग सर्विस वाले ने चाउमिन, मोमोज, पराठा, चाट, फुलकी, मंचूरियन आदि बेचने लगे हैं। जिसका भुगतान और अनुमति आज भी संकायों और गड़बड़ियों से घिरी हुई है।

मेगामेस की थाली में काक्रोच और स्क्रू

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्रा आए दिन प्रबंधन से साक्ष्य सहित शिकायत करते हैं कि उनकी थाली में जहरीले कीड़े मकोड़े और स्क्रू आदि जैसी चीजें मिल रही हैं। लेकिन प्रबंधन के जिम्मेदार, छात्रों को बहला फुसलाकर वापस भेज देते हैं।

इनका कहना है..

नही ऐसा नही है कई छात्र ऐसे हैं जिनके मेष के पैसे समय पर जमा नही होते जिससे प्रबन्धन पर दबाव बनाने के लिए शिकायत करते हैं, आप कभी औचक निरीक्षण करिए मैं आपको दिखाता हूँ कि क्या व्यवस्था है, पीआरओ विजय दीक्षित

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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