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एक लम्बे अरसे के बाद सांसद आई: पार्ट-2

 

जब बज उठी चुनावी शहनाई

पुष्पराजगढ़ के घने बस्ती,घर और जंगल,ऊँघते अनमने जन,मन,वन…..

शहडोल सम्भाग।।
विनय मिश्रा..
हमने हिस्ट्री की किताबो और अपने शास्त्रों से एक अध्ययन किया है कि पिता की विरासत को पुत्र ही सम्हालता है यानि उसका उत्तराधिकारी कोई और नही बल्कि उसका खुद का संतान ही होता है वैसे इस बात में एक मिथक रजिया भी है जहाँ इल्तुतमिश के पुत्र होते हुए भी उसने रजिया को शासन दे दिया था, वो और बात है कि तुर्क सरदारों को रजिया का शासन रास नही आया और उसे सत्ता से उखाड़ फेंका। खैर वर्तमान चुनाव पर चर्चा कर लेते हैं यानि लोकसभा चुनाव कुछ ही महीनों में सम्पन्न होने वाला है और भाजपा सभी संसदीय क्षेत्र से अपने-अपने प्रत्याशी तय कर दी है।
इस कड़ी में शहडोल संसदीय क्षेत्र से एक बार पुनः हिमाद्री सिंह पर भाजपा ने भरोसा जताया है। हिमाद्री के पहले पाँच वर्ष की राजनीति और कार्य क्षेत्र की बात की जाए तो संसदीय क्षेत्र की जनता के तंग हाल, शहडोल सम्भाग के तीनों जिलों का विकास और उन्नति देखकर तकाजा लगाया जा सकता है कि कर्मठ,जुझारू,मृदुभाषीऔर लोकप्रिय नेत्री आम जनता के बीच कितनी लोकप्रिय व अपने कार्यक्षेत्र में कितना सक्रिय रही है।
अब गठबंधन पर बात कर लें तो भाजपा का भले किसी से गठबंधन न हो पर ईडी और सीडी ने अच्छे से अच्छे कद्दावर नेताओं को भाजपा की चौकठ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ उन्हें अपने सारे गुनाहों की वैतरणी पार लगाने के लिए भाजपा का सिम्बल मिल रहा है, फिर क्या सीडी और क्या ईडी??
सम्भव है इस बार मोदी मय देश और विपक्ष मुक्त लोकतंत्र में भाजपा 400 क्या 500 भी पार कर ले और इस कतार में सांसद हिमाद्री को भी छप्पर फाड़ वोट मिल जाए।
किंतु एक लम्बे अरसे से हिमाद्री का राजनीतिक सफर एक निष्क्रिय नेत्रियों की तरह था जिसे सत्ता या कुर्सी तो मिल जाए पर उसमें जनता के हित की सोंच न कर बराबर हो।
यह सर्वविदित है कि एक लम्बे अरसे से हिमाद्री के स्व. पिता-माता का राजनैतिक सफर और उनका कांग्रेस के प्रति समर्पण न सिर्फ शहडोल सम्भाग नही अपितु दिल्ली की संसद भवन तक मे किसी दीवारों पर अंकित होगी।

खैर “मैं तो छोड़ चली बाबुल का देश पिया का घर प्यारा लगे”की तर्ज पर हिमाद्री शायद देश के मौजूदा हालात पाँच वर्ष पूर्व ही भाँप गई थी और कांग्रेस में डूबते अपने राजनीतिक सफर को भाजपा से गठबंधन कर ली ।
फिर भी हम सांसद हैं….

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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