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कलेक्टर साहब! भूमाफियाओं ने लील लिया इस तालाब को

●पानी भराव का रास्ता बंद कर बना रहे बेशकीमती व्यावसायिक संरचना
●तत्कालीन तहसीलदार,आरआई पटवारी की भूमिका संदिग्ध…

विनय मिश्रा की कलम से

बीते कुछ वर्षों में हमने शहडोल जिले के तालाबों का इतिहास खंगाला तो तालाबों के शहर से तालाब का नामोनिशान तो क्या तालाब का एक हिस्सा यानि मलबे तक को जिले के भूमाफिया और राजस्व के नुमाइंदे निगल गए । यह सोंचकर भी हास्यपद लगता है कि 300 से ऊपर तालाबों की इस धरा में 30 तालाब भी आम इंसान के निस्तार के लिए नही बचे। जब से जिले के आसपास शहरीकरण हुआ और सड़कों का निर्माण हुआ मानो भूमाफियाओं के “दसो अंगूरी घी में हो”। तालाब हो या गड्ढे सड़क हो या नदी या फिर किसी प्रकार का मलबा उसे चौड़ीकरण और निकासी का जुगाड़ बनाकर महँगे से महँगे दामों में बेंचेते हैं।हालात इस कदर बदतर हैं कि जमीनों का नक्शा तरमीम तक नही होता, कब्जा कहीं और पट्टा कहीं और का बसाहट कहीं और का रहता है किंतु सरकार के अधीनस्थ काम करने वाले राजस्व के कारिंदे इन्ही भूमाफियाओं से मिलकर उन बेशकीमती जमीन और तालाब को देखते ही देखते निजी स्वामित्व में तब्दील करते हैं।
शहडोल।।सरईकापा

हरदी-खैरहा मार्ग में स्थित ग्राम सरईकापा आज सबसे दयनीय स्थिति में है नगरपालिका और नगरपंचायत से लगा यह गाँव भूमाफियाओं के लिए कमाऊ गाँव तो है किंतु यहाँ के विकास और उत्थान का हश्र गांव को देखकर बयाँ होता है जहाँ खसरा क्रमांक 507 तालाब के जल भराव को रोंककर आज दर्जन से ऊपर लोग इस रकवे के बाशिंदे हो गए वो और बात है कि आज भी इसका नक्शा तरमीम नही हुआ और तत्कालीन तहसीलदार, आरआई,पटवारी ने मिलकर इसमें खेल कर दिया।

यह है पूरा मामला…

ग्राम सरईकापा राजस्व निरीक्षक मंडल धनपुरी तहसील बुढार स्थित निम्नलिखित चौह‌द्दी की तालाब प्रार्थी के पूर्वजों द्वारा करीब 100 वर्षों पूर्व निर्माण कराया गया था। उसके मेढ पर आम आदि के पेड लगाकर उनके लकडी फल आदि का उपयोग-उपभोग करते आये हैं। इसी तालाब में ही ग्रामीणों के लिए श्मशान घाट भी बनाया गया था।
जिसमे उत्तर में -अर्जुन एवं टहलू महरा के खेत
पूर्व में – लक्ष्मण सीताराम गडारी आदि के खेत पश्चिम में-तालाब के सार्वजनिक निस्तार की खाली भूमि फिर हरदी रोड और दक्षिण- तालाब के सार्वजनिक उपयोग की खाली भूमि फिर ग्राम सरईकापा जाने वाली सडक
उक्त तालाब राजस्व रिकार्डो में खसरा कमांक 65,66,67, एवं 507 में इंद्राज है. तालाब के किनारे- किनारे सार्वजनिक उपयोग उपभोग के भराव, रास्ता, श्मसान आदि के उपयोग की खाली पड़ी भूमियों पर कीमती जमीन होने के नाते खसरा क्रमांक 507 के राजस्व रिकार्डो में छेडछाड करते हुये भू माफिया किस्म के लोग कब्जा करने के इरादे से पिछले कुछ महीनों से नाली खोदाई कर ईंट की चहार दीवारी का निर्माण कर तालाब का निस्तार बंद कर दिए हैं तालाब के मेडों को काट कर भराव का रास्ता बंद कर तालाब का पूरा स्वरूप परिवर्तित कर उस पर कब्जा कर लेने व सार्वजनिक निस्तार बंद किया चुका है और कर भी रहे हैं।

वर्चस्व और प्रभावशाली लोगों की नजर…

ज्ञात हो उक्त भूमि मुख्य मार्ग के किनारे से लगे होने के कारण बुढार और धनपुरी नगर से लगे पूंजीपतियों ने राजस्व के जिम्मेदारों से सांठगांठ करके उक्त भूमि की खरीद-फरोख्त कर लिए हैं  भोलेभाले और जागरूकता के आभाव में ग्रामीण इन्हें कुछ बोलने या कानूनी कार्यवाही से भय खाते हैं ये लोग काफी सबल व ऊँचे ओहदे वाले ताकतवर लोग हैं पूरे गांव वालों के साथ अन्याय कर रहे हैं। मौके पर बाहर के ही कुछ लोग खड़े होकर काम करवाते है और धीरे-धीरे उस पर बाउंड्रीवाल खड़ा करके अपना कब्जा कर लेते हैं।
नवागत कलेक्टर इस ओर ध्यान आकृष्ट करें तो शासन की आराजी भी सुरक्षित हो जाएगी और ग्रामीणों के लिए तालाब निस्तार और सार्वजनिक मार्ग की व्यवस्था पुनः हो जाएगी।

इनका कहना है

फोन लगाने पर नही लगा,भावना डेहरिया तहसीलदार बुढार

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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