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कलेक्टर साहब!बुढार की बेशकीमती शासकीय जमीनों को सरगना बेंच रहा मनमाना,तहसील व रजिस्टार के तमाम जिम्मेदार संलिप्त

 

बुढार।।

शहर में भूमाफियाओं ने इस कदर रायता फैलाया है कि शासकीय जमीन से लेकर आदिवासियों की जमीनों तक मे जुगाड़ जमा डाला इस पूरे खेल में नीचे के बाबू से लेकर तहसीलदार और रजिस्टार का अहम रोल रहता है।
बुढार नगर के इर्दगिर्द शासकीय जमीनों का ढेर था किंतु उन शासकीय रकबों के साँथ शहर के चिल्लर से लेकर थोक भूमाफियाओं ने उसे खुर्द बुर्द कर बेंच डाला। आज के समय मे बुढार,धनपुरी,और खैरहा हल्का क्षेत्र अंर्तगत न के बराबर शासकीय आराजी बचे हुए हैं। कई ऐसे भूखंड है जिनके नक्शा तरमीम तक नही हुए और उनकी रजिस्ट्री होकर पट्टा तक बन गया।माँमले कि जानकारी तहसीलदार और जिम्मेदारों को दिया जाए तो ऐसा रिएक्ट करते हैं जैसे उन्हें कुछ पता ही नही। खैरहा-सरईकापा-करकटी से लेकर रूंगटा हाईवे और इसके इर्दगिर्द की जमीनें भूमाफियाओं का हब बन गया है। पंचवटी मोहल्ला,इमली टोला, पुरानी बस्ती के पीछे ,रूंगटा मोड़ से श्रीवास्तव मोड़,रूंगटा मोड़ से लालपुर हवाई अड्डा, यहाँ तक कि जरवाही रोड में भी सड़क किनारे की जमीन में खेल करके भूमाफिया इसे करोड़ो में बेंच रहे हैं जमीन का डायवर्सन खेती के रेट में होता है किंतु उसे बेचा अपने रेट में जाता है। एक ही प्लाट के कई भूखण्ड माफीयाओं द्वारा बेचा जा रहा है जिसकी रजिस्ट्री बकायदे रजिस्टार और उसके अधीनस्थ करवाते हैं ।
जमीन कॉलोनाइजर के तहत फला इन टू फला स्केवयर फिट में बेचे जाते हैं और देखते ही देखते वह भूमि पूरे कालोनी की तर्ज पर डेवलप हो जाती है किंतु उसका टीएनसीपी और रेरा कानून मानों अपने आप मे मखौल उड़ाते हैं ।
कभी इन भूमियों के चिल्लर दलाल हुआ करते थे किंतु अब इन सबका आक छोटू नामक शख्स बन गया है और रुपये के दम पर तहसील से लेकर रजिस्टार तक को मैनेज कर जमीनों को खुर्दबुर्द कर रहा है । हद तो तब हो गई जब कलेक्ट्रेट में चर्चा के समय किसी शख्श ने चुहाडी में कहा कि छोटू का नाम सुनकर रजिस्टार भी रजिस्ट्री करा देता है फिर क्या फर्क पड़ता है कि भूमि शासकीय है या आदिवासी
नवागत कलेक्टर अगर जमीन के इस माँमले को गम्भीरता से लें तो दर्जन भर शासकीय आराजी खाली हो सकते हैं ।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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