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लगी है आग तो आएँगे कई घर जद में,यहाँ सिर्फ अपना मकान थोड़ी है, माफियाओं में आपसी तकरार,पण्डित किशोरोलाल गिरप्तार

जो गजलें आज से 90 के दशक में गाए जाते थे आज वर्तमान में उनका फिर एक बार चलन और चर्चा जारी है बुढार नगर में बदलती परिस्थितियों में आज के बदले में उनकी मांग फिर होने लगी है।
हम इस बदलती परिस्थितियों के धुँध से गुजरे काले बादलों और गमगीन माहौल पर कहेंगे….
“ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है,

लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है,
यह चर्चित गजल बुढार नगर के कोयला व्यापारी पंडित किशोरीलाल की गिरप्तारी पर बखूबी फिट हो रहा है ।
रात की जुगनुओं की रोशनी में कोयले के काले कारोबार ने जिस तरह पण्डित किशोरीलाल के एक साम्राज्य को ढहाया वह आम दर्शक और पुलिस की नजर में काफी दिलचस्प रहा। बीते कुछ माह से चल रहे कोयले कि इस अकूत कमाई और उससे होने वाले मुनाफे के फेर में पंडित किशोरोलाल बागी हो गए हमारे अपने नेटवर्क और चर्चाओं के अनुसार, किशोरोलाल पुराने रेत माफिया बनाम कोयला तस्कर के घर पहुँचे और उसके न मिलने पर उसके पुत्र के साँथ हाथापाई कर बैठे यही नही विवाद इस तरह तूल पकड़ा की पंडित जी ने स्थानीय पुलिस महकमा से लेकर भोपाल डीजीपी तक कोयले के इस खेल को शिकायत के तौर पर पहुँचा दिया।अब आप समझ सकते हैं की पुराने सिस्टम की तर्ज पर कोयला का कारोबार चलता तो रहा पर अब सिस्टम और सरकार दोनों नए हैं.भोपाल मुख्यालय राजधानी की घण्टी स्थानीय पुलिस तक पहुँची कही अनकहीं बातें हुईं होंगी इसका दावा हम नही करते,फिर क्या पंडित किशोरोलाल के इतिहास खंगालने शुरू हो गए होना भी चाहिए आखिर कोयले के इतने बड़े अवैध व्यवसाय से कईयों का नुकसान हो रहा था किसी के महीने तो किसी के रोजाना,इस पूरे फिल्म के मोहरा पंडित किशोरोलाल का पुराना रिकार्ड निकालकर मुजरिम बना दिया गया खुद की कलई न खुले और बहुत सारे राज बेपर्दा न हों इससे पहले पुलिस ने प्रेस नोट जारी कर पंडित किशोरोलाल के अपराध गिनाकर आम दर्शक की नजर में इस पूरे फिल्म का विलेन बना दिया। सवाल तो बहुत सारे हैं पर किससे पूँछे बताएगा कौन वर्तमान पुलिस प्रशासन या पूर्व पुलिस प्रशासन।
फिर भी हम सवाल खुद ही कर लेते हैं और पाठक-दर्शक गण के मन मे जो सवाल है उसे भी लिख देते हैं….
1.पण्डित किशोरोलाल तीन बार चुनाव लड़े जिमसें एक बार जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहे,फिर भी पुलिस की नजर उन पर नही पड़ी इस दौरान कलक्ट्रेट आते जाते नामांकन भरने के दौरान उन पर शायद किसी की नजर नही पड़ी।
2. हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा और चल रहे लोकसभा चुनाव में अपराधियों की एक सूची तैयार होती है, यहॉँ भी शायद इनसे चूक हो गई
3.पण्डित किशोरोलाल का इस दरमियान स्थानीय थाना से लेकर अलग-अलग थानों के कस्बों में आना जाना जारी रहा शायद यहाँ भी पुलिस वालों से गलती हुई होगी।
4.बीते कुछ वर्ष पहले पण्डित किशोरोलाल के कार्यालय में जिले भर की पुलिस ने घेराबंदी की और अपराधियों पर चल रहे दनादन कार्यवाही में पंडित किशोरोलाल को जेल नही हुआ और न ही तब के जिला प्रशासन ने यह प्रेस नोट जारी किया कि किशोरोलाल फरार हैं या उन पर कोई इनाम घोषित है।
5.जिन चर्चित माफियाओं के भवरजाल में पंडित किशोरोलाल फँसे उनमें से पूर्व में पुलिस ने किसी के घर तोड़े तो किसी को जेल तक पहुंचाया, अलबत्ता आज के उन जयचन्दों पर रासुका जैसी कार्यवाही भी हुई ।
6.क्या पुलिस का नेटवर्क इतना कमजोर था कि इतने वर्षों से फरार आरोपी को उसके घर मे ही नही ढूंढ पाई । खैर यह सवाल मेरा अपना नही है,यह तो नगर में चल रहे हर शख्स की चर्चा और सवाल है जो हम सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर कोयले से जुड़े अन्य कारोबारी ये सोंच रहे हैं कि हम बरी हैं तो शायद यह उनकी अपनी मानसिकता है क्योंकि पण्डित किशोरोलाल के मन मे लगी ज्वाला कईयों के आशियाने को ढहाएँगे या फिर यूं कहें कि वो नाम भी अभी आना बाँकी हैं जो इस पूरे फिल्म के डायरेक्टर और किरदार हैं।
क्योंकि लगेगी आग तो आएंगे कई मकान जद में यहाँ सिर्फ अपना मकान थोड़ी है….
पिक्चर अभी बाँकी हैं…..

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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