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लगी है आग तो आएंगे कई घर जद में, यहॉँ सिर्फ अपना मकान थोड़ी है, माफियाओं में आपसी तकरार, पण्डित किशोरीलाल गिरप्तार :पार्ट-2

बर्चस्व की लड़ाई में बुरे फंसे किशोरी

जिसे उंगली पकड़ कर चलना सिखाया, उसी ने गिरेबान पर हाथ डाला 

डेस्क भोपाल।।

शहडोल।। बुढार :- काले धंधों पर बॉलीवुड में खूब फिल्में बनाई गईं, दर्शकों ने भी इन फिल्मों को हाथों हाथ लिया और निर्माता निर्देशकों ने भी इन फिल्मों से खूब पैसे बनाए , फिल्में भी समाज में घट रही घटनाओं का नाटकीय रूपांतरण होती हैं , कुछ ऐसी ही घटना पिछले दिनों जिले के कोयलांचल क्षेत्र में देखी गई जब काले कारोबार से हो रही मोटी कमाई का नशा चेलों पर ऐसा चढ़ा कि इन चेलों ने ही अपने गुरु को ढाई घर चलने का तरीका बता दिया, नतीजा यह हुआ की बाबा जी कानून की गिरफ्त में आ गए।

क्या है पूरा मामला

पण्डित किशोरीलाल पे अलग अलग थानों में दर्ज अपराध ने कई संशय पैदा कर दिए सवाल अहम यह है कि अगर पण्डित किशोरीलाल 8 वर्ष से फरार थे तो पुलिस अब तक क्या कर रही थी, क्या सिर्फ कोयला व्यवसायी में किशोरीलाल अकेले कोयला माफिया हैं जिनके नाम अपराध दर्ज हैं खैर इन बातों से अब क्या पण्डित किशोरीलाल तो बुरे फँसे अब देखना यह है कि पुलिस किसके किसके गिरेबान पर हाँथ डालती है ???

दिनांक 18.04.2016 को ट्रक क्रमांक MP18H 3357 का चालक घनश्याम मेहरा ने ट्रक मे आमाडाड़ से अवैध कोयला लोड कर बुढ़ार लाया था। बुढ़ार से अमर प्रेम ट्रांसपोर्ट का मैनेजर अनिल कुमार शर्मा और अमर प्रेम ट्रांसपोर्ट बुढ़ार का मालिक एवं ट्रक का मालिक किशोरीलाल चतुर्वेदी ने फर्जी बिल्टी तैयार कर अवैध कोयले को परिवहन कर सतना भेजा जा रहा था। मुखबिर की सूचना पर थाना ब्यौहारी में ट्रक को रोककर चेक करने व ट्रक मे लोड कोयले का बिल्टी की जांच करने पर फर्जी बिल्टी तैयार कर ट्रक से कोयले को अवैध रूप से सतना परिवहन करना पाये जाने पर अपराध क्रमांक 254/16 धारा 420, 467, 468, 471, 34 ताहि., 21 (4) खनिज अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया था। उक्त प्रकरण के विवेचना मे आरोपी चालक घनश्याम मेहरा और मैनेजर अनिल कुमार शर्मा की गिरफ्तारी पूर्व मे हो चुकी है। आरोपी किशोरी लाल चतुर्वेदी जो उक्त प्रकरण में फरार था, के विरूद्ध 5000 /- रूपये का ईनाम उद्घोषित किया गया था।
इसके अलावा भी पण्डित किशोरीलाल पे अलग-अलग थानों में अपराध दर्ज हैं। जिसकी पुष्टि पुलिस ने अपने प्रेस नोट में किया है।

जंगलराज का हूबहू चित्रण

अगर आप वन्य जीवों के जीवन शैली के जानकर हैं या इस विषय में रुचि रखते हैं तो आपने वन्य जीवों से संबंधित टीवी पर चलने वाले विभिन्न चैनलों को अवश्य देखा होगा , ताकतवर शेर जब तक जवान होता है जंगल में उसका राज होता है उसके द्वारा ही अपने कार्यक्षेत्र की सीमाएं तय की जाती हैं और शेरों का समूह उसके ही इशारे पर नाचता है किंतु जब शेर बूढ़ा होने लगता है तो धीरे धीरे समूह से वह नियंत्रण खोने लगता है और एक समय ऐसा भी आता है कि जब बूढ़े शेर की दुर्गति की शुरुआत होती है बूढ़ा शेर अगर समझदार हुआ तो वह चुपचाप समूह को छोड़ एकांत में चला जाता है और इसे ही अपने भाग्य की नियति मान कर अपना जीवन पार करता है , किंतु अगर बूढ़ा शेर अपने ढीठपाने का परिचय दिया तो समूह के नए सदस्य उसे उसकी राह दिखा देते हैं, कोयलांचल नगरी बुढार में भी कोयले के अवैध व्यापार से जुड़े समूह में यही घटना घट गई।

अपनों ने ही लूटा

बाबा जी पर तो एक उर्दू का एक शेर बिल्कुल की सटीग साबित होता हुआ दिखा “मुझे अपनों ने ही लूटा, गैरों के
में कहां दम था , मेरी कश्ती भी वहां डूबी, जहां पानी भी कम था”, बाबाजी ने अपने जिन खास छर्रों को कोयले के काले कारोबार का ककहरा सिखाया उन्हीं लोगों ने बाबा जी की कश्ती में छेद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

पर्दे के पीछे का खेल

हालांकि इस पूरे घटना पर लोग तरह तरह की कयासें लगा रहें हैं लेकिन सूत्रों की मानें तो इस पूरे घटनाक्रम में बुढार के एक राजनैतिक परिवार के “राजकुमार” की अहम भूमिका है, सत्ताधारी दल से जुड़ा यह परिवार भी वर्षों से कोयले के कारोबार से जुड़ा हुआ है, कानूनी पेचीदिगियों की उलझन से जूझ रहा यह परिवार अभी भी कोयले के काले कारोबार से मोह नहीं छोड़ पाया फर्क केवल यह आया है की अब यह परिवार अपने चेलों को काले कारोबार के लिए केवल वित्तपोषण इस शर्त पर करता है कि प्यादे इस काले कारोबार में आईपीएल की तर्ज पर चौके छक्के लगाएंगे लेकिन इन प्यादों का रिमोट कंट्रोल इस परिवार के हाथों ही रहेगा और इस कारोबार से होने वाली कमाई का एक मोटा हिस्सा इस परिवार की डेहरी तक भी पहुंचेगी।

प्यादों की उड़ान, लोग हैरान

कोयले के इस काले कारोबार के की डोर भले ही तथाकथित राजनैतिक परिवार के हाथों में हो लेकिन इस कारोबार से जुड़े फ्रंट फुट पर खेलने वाले प्यादों का जलवा भी देखने लायक है, कभी धनपुरी ओसीएम के पास एक टपरानुमा होटल में दूर दराज से आए ट्रक चालकों को पांच रुपए प्लेट में दाल – चावल खिला कर जीवन यापन करने वाला ओपीएम का पाण्डे आज कबाड़, अवैध शराब के कारोबार का पर्याय बन चुका है कई बार जेल यात्रा करने और दर्जनों आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद इसका रसूख देखने लायक है पुलिस विभाग के जिम्मेदार भी इसकी चौखट पर हाजिरी देना अपने लिए सौभाग्य का विषय मानते हैं कुछ इसी तरह की कहानी बटुरा के यादव की है कभी रेत खदान में बाबा की मुंशीगिरी करने वाला इस शख्स पर भी कई आपराधिक मुकदने लदे हुए हैं लेकिन पुलिस की क्या मजाल जो इस यादव के काले कारोबार को रोक सके, सूत्र यह भी बताते हैं की इन अवैध कारोबारियों के तार एक पूर्व मंत्री से जुड़े हुए हैं जो पिछला विधानसभा चुनाव हार चुका है ।

पुलिस की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल

बीते कुछ दिनों से शहडोल जिला प्रदेश में अपने अपराधों को लेकर चर्चा में रहा है, चाहे वह रेत के अवैध कारोबार से जुड़े हुए तस्करों के द्वारा पटवारी और एएसआई की हत्या हो, नाबालिग के साथ दुराचार हो या क्षेत्र में चल रहे अवैध कारोबार हों, ऐसा नहीं कि इन अवैध कारोबार की जानकारी एक सिपाही से लेकर संभाग स्तर पर बैठे पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को ना हो लेकिन स्थानीय जानकर यह भी आरोप लगाने से नहीं चूक रहे है कि पुलिस द्वारा इन अपराधों पर अंकुश लगाना तो दूर उल्टा इन अपराध से जुड़े कारोबारियों को पुलिस ही संरक्षण दे रही है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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