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उपन्यास मां – भाग 6- फिजियोथैरेपिस्ट

रश्मि रामेश्वर गुप्ता

बिलासपुर छत्तीसगढ़

फिजियोथेरेपिस्ट ने माँ के पैरों को देखा तो वो अवाक रह गयी। उन्होंने माँ से सवाल पूछने शुरू किये। 

जब माँ की बातों से संतुष्ट नही हुई तो मिनी से सवाल किये। मिनी ने सभी सवालों के उचित जवाब के लिए भैया की बात फिजियोथेरेपिस्ट से करवाई क्योकि मां के साथ क्या हुआ इसका सही जवाब वही दे सकते थे।

जब सवाल के ऊपर सवाल किये गए तो पता चला कि सात महीने पहले जुलाई के महीने में जब माँ शाम को टहलने जा रही थी तब रास्ते में गिर पड़ी, तब उनके पैर में कमर के पास की हड्डी में हेयर फ्रेक्चर था। तब से मां बिस्तर पर है। आते समय भैया ने मिनी को वो एक्सरे और कैल्शियम की दवाइयां दी थी। फिजियोथेरेपिस्ट ने कहा-“एक बार फिर से एक्सरे करवाइए।”

माँ को दूसरे दिन अस्थि रोग विशेषज्ञ को दिखाने ले के गए। एम्बुलेंस बुलाई गई। डॉक्टर ने फिर से एक्सरे लिए। माँ के पैरों की अच्छी तरह जांच की। मिनी को बुलाए और खूब गुस्से से बोले- “माँ को इतनी जल्दी क्यों ले आए ? कुछ दिन और घर में रख लेते।”

मिनी ने पूछा- “सर! क्या हुआ ?”

डॉक्टर ने कहा- ” अब तुम कुछ भी कर लो माँ के पैरों को सही नही कर सकते।”

मिनी ने कहा- “ऐसा मत कहिये सर! कोई तो उपाय होगा? डॉक्टर ने बताया कि माँ को कुछ नही हुआ है वो नेग्लाइजेशन की शिकार है। मिनी ने पूछा वो कैसे? डॉक्टर ने कहा कि माँ के तरफ ध्यान नही दिया गया इसलिए उनकी हालत ऐसी हुई। अब चाहे तुम कुछ भी कर डालो माँ के पैरों को ठीक नहीं कर सकती। 

मिनी के होश उड़ गए। पसीने से लतफत हो गयी। गिड़गिड़ाने लगी सर! कुछ तो उपाय होगा। मां मेरे पास नही थी सर!

तब सर कुछ विनम्र हो कर बोले- “माँ के पैर के ऊपर कमर के पास जो बॉल है वो बीच से टूटी हुई है, और क्योकि मां 5 महीने से अपने पैरो को मोड़ी हुई सोई रही इसलिए उनके पैर हमेशा के लिए मुड़ गए । टूटी हुई हड्डी को मैं रॉड डालकर सही कर सकता हूँ पर दोनो घुटने तो मुड़े हुए हैं जो सही नही किये जा सकते। इसे ही कहते है नेग्लाइज़ेशन। फिर भी मैं कुछ दवाइयां दे रहा हूँ । इसे लंबे समय तक खिलाना होगा खूब मालिश भी करनी होगी। देखिए अगर ईश्वर की इच्छा होगी तो ही कुछ हो सकता है।”

मिनी को कुछ राहत मिली……….

क्रमशः

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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