दिव्यकीर्ति सम्पादक-दीपक पाण्डेय, समाचार सम्पादक-विनय मिश्रा, मप्र के सभी जिलों में सम्वाददाता की आवश्यकता है। हमसे जुडने के लिए सम्पर्क करें….. नम्बर-7000181525,7000189640 या लाग इन करें www.divyakirti.com ,
Search
Close this search box.

उपन्यास मां – भाग 8- एक्सरे

रश्मि रामेश्वर गुप्ता

बिलासपुर छत्तीसगढ़

दूसरे दिन मिनी पति के साथ फिजियोथेरेपिस्ट के पास गयी। उन्हें एक्सरे दिखाया। देखकर उनकी आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा- “अभी कुछ दिन पहले मेरे हाथो में हेयर फ़्रैक्चर था, मैं उसके दर्द को सह नहीं पा रही थी। मां इतने दर्द को कैसे सहती रही होगी ? ”

उसने कहा -“मैं कल आती हूँ घर।”
दूसरे दिन वो घर पर आईं, माँ के पैरों को फिर से देखा। उन्होंने कुछ एक्सरसाइज बताए और कहा कि धीरे-धीरे मालिश करते हुए ये एक्सरसाईज़ करना होगा। देखते हैं कुछ तो लाभ होगा।
अब मिनी का काम था , सुबह शाम दोपहर जब भी जितना भी समय मिले माँ के पैरों की मालिश करना। जब मां को लेकर आई थी तब माँ के पैर घुटने के पास ऐसे चिपके थे कि लगता था कही ऐसा तो नही कि बीच में बहुत बड़ा घाव हो ? माँ करवट बड़ी मुश्किल से लेती थी और जब करवट लेती तो माँ के दोनो पैर एक साथ घूमते थे। जिधर का बॉल टूटा था वो पैर तो ठीक भी था पर दूसरा पैर पोलियोग्रस्त जैसा हो चुका था और दूसरे पैर से लिपट जाता था। मिनी बार-बार उसे अलग करती रहती थी। बहुत ही कठिन चुनौती थी माँ के पैरों को सही करना फिर भी मिनी ने हार नही मानी। उसके दिमाग में बस इतना ही चलता रहता कि वो पूरी कोशिश करेगी जिससे माँ के पैर सही हो जाए।

लोगों को जब पता चला कि मां की तबियत सही नहीं तो उनसे मिलने लोग घर आने लगे। चूंकि मां का कमरा हॉल से लगा हुआ था तो उन्हें जो भी देखने आते, मिनी सीधे उनके कमरे में ले जाती। माँ सबसे बातें करती। जब तक चारों घर में रहते, माँ चहल-पहल देखती, सुनती। जब सभी स्कूल चले जाते तभी माँ को अकेले रहना होता था। प्रतिदिन मिनी 20 मिनिट के दीर्घ अवकाश में माँ के पास हर हाल में आती ही थी । शाम को फिर सभी आ जाते थे। माँ के कमरे में टी वी की आवाज़ आती रहती। मां के कमरे में एक बड़ी सी खिड़की थी । खिड़की के पास ही मां का बिस्तर था। इसलिए शुद्ध हवा भी मां तक पहुचती थी और ईश्वर की ऐसी कृपा कि मां के ऊपर धूप भी पहुचती थी जो उनके शरीर के लिए फायदेमंद थी। पूजा करने की आवाज़ भी मां सुनती। रसोई में आज क्या बन रहा है मां को पता होता था। माँ के कमरे में बाहर दूर में स्थित मंदिर में चलने वाले गीत और लाउडस्पीकर की आवाज़ भी पहुचती थी।

अब माँ हँसती भी थी, बोलती भी थी। अपनी राय भी देती थी। नाती-पोते से बातें भी करती थी। माँ का मन और मिनी के खुश रहने से घर का वातावरण भी खुशहाल होने लगा। मिनी का घर डुप्लेक्स था। बेटे का कमरा अब नानी का हो चुका था। बेटा ड्राइंग रूम में रहता था। ड्रॉइंग रूम, हॉल, मां का रूम, पूजा कक्ष और किचन नीचे था। माँ के कमरे की दीवार से लगी हुई सीढ़ी थी। ऊपर दो बेडरूम जो मिनी और बेटी का था। मिनी बेटे से कहती थी- “जाओ बेटा! ऊपर जा के सो जाओ।” पर वो नही जाता था। कहता था-“नही मम्मी! आप दिन भर नानी के पास रहती हो , रात में मैं रहूंगा नानी के पास। आप भी थोड़ा आराम कर लिया कीजिये नही तो आपकी तबियत खराब हो जाएगी।”

मिनी बेटे को बहुत समझाती पर बेटा मानने को तैयार नहीं। वो सही में रात में नानी की देखभाल में रहता था। रात में नानी को उठ-उठ कर देखता कि नानी को किसी चीज़ की जरूरत तो नही है , नानी को पानी पिलाता। रात की जिम्मेदारी उसने स्वयं ही ले रखी थी। पहले तो मिनी की रातें सीढ़ियों पर, कभी सोफे में, कभी हॉल में, कभी माँ के कमरे में ही कट जाती थी।

दिन भर घर का काम करना ,बच्चों को, पति को स्कूल भेजने के बाद मां को बिस्तर पर ही नहलाना, खाना खिलाना, मालिश करना, मां को दवाइयां देना,फिर स्वयं स्कूल जाना, 20 मिनिट के लिए फिर घर आना, शाम को नाश्ते के बाद मां के पैरो की मालिश करना, अगर किसी के आने से मालिश नही हो पाई तो हर हाल में देर रात तक मालिश करना, रात्रि का भोजन बनाना, माँ का पाचन तंत्र अभी पूरी तरह से सही नही हुआ था तो दिन में कई बार मां के बिस्तर की सफाई करना। रात में अकेले बैठकर रोना, भगवान से दिन-रात मां के उत्तम स्वास्थ्य की विनती करना, यही मिनी की दिनचर्या हो चली थी।

मिनी ने कभी अपने विद्यालय के बच्चों से भी नाइंसाफी नही की । अपने विषयो को गंभीरता से पढ़ाती ही थी बल्कि उसके साथ अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रहती थी।

पति देव और बच्चे मिनी का बहुत ध्यान रखते रहे। पति देव ने एक कॉल बेल लेकर मिनी को दिया और कहने लगे- “अगर इसी तरह आप नींद से दूर रहे तो आपकी तबियत बिगड़ जाएगी फिर मां की सेवा हममें से कोई भी नही कर पायेगा। ऐसा करो, मां को रात में बस बेल का बटन दबाना सिखा दो और थोड़ी देर सोने की कोशिश करो।” मिनी ने माँ को समझाया -“माँ ! बेटा आपके साथ है ही पर आपको जब भी रात में कुछ भी लगे या किसी चीज़ की जरूरत हो बटन दबा दीजियेगा। मै तुरंत ही आ जाऊंगी………………..

क्रमशः

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

ये भी पढ़ें...

error: Content is protected !!