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यहाँ एसडीएम कोर्ट कब…??

 

हप्ते में दिन हुआ था तय,फिर रुक गया सिलसिल

कब मिलेगा बुढ़ार को एसडीएम कार्यालय

क्या राजनैतिक शून्यता अभी भी बरकरार
शहडोल।।

वैसे बुढ़ार-धनपुरी-अमलाई ,ओपीएम और आसपास के शहरी गाँव के बढ़ते विकास और उनसे प्राप्त होने वाले राजस्व की ओर नजरें फेरें तो मालूम हो जाएगा की कोयलांचल के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा मुख्यालय में जाता है जबकि कोयलांचल निवासी राजस्व कार्यालय के एसडीएम कोर्ट से महरूम है शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे तमाम कागजी दस्तावेज हैं जो एसडीएम कोर्ट-कार्यालय न होने से अधूरे पड़े रह जाते हैं और एक पूरा दिन निकालकर बुढ़ार व इससे लगे आसपास के रहवासियों को शहडोल जाना पड़ता है।

कोयलांचल के नामचीन और प्रतिष्ठित व्यक्तियों की प्रतिष्ठा दाँव पर और राजनैतिक सक्रियता शून्य

वैसे में फोटो वाले नेताओं की बात करूं तो शायद नेताओ की संख्या कम पड़ जाएगी और अगर हम काम वाले नेता की बात करें तो भी फजीहत है। कोयलांचल व इसके के इर्दगिर्द सैकड़ो ऐसे प्रतिष्ठित व्यवसायी बनाम राजनेता हैं जिनसे मुख्यालय शहडोल सहित सरकार को अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होता है किंतु इन नेताओं ने अपने इस राजस्व के बदले कोयलांचल को बदहाल करने में कोई कसर नही छोड़ा है और न ही ऐसे जन हित के मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से पहल करते हैं।हलाकि कभी नेता कभी व्यवसायी ऐसे लोगों को ऐसी जनहितैषी मुद्दों को मुखर रखने पर उनके खुद के कारोबार का भय भी सताता है कि कहीं बात उनके खुद के कारोबार पर न आ जाए।

कितने सांसद-विधायक आए और गए पर बुढ़ार जस का तस ही रहा

आपको बता दूं कि बुढ़ार और इससे लगे समूचे गाँव व कस्बे से एक बड़े मतदाताओं का समूह है जिनमे से सत्ताधारी पार्टी के कोर वोटर हैं किंतु उन्हें सुविधाओं के बदले महज एक मतदाता का झुंड मान लिया गया है और उनके राजस्व के इस चक्कलस को न ही स्थानीय विधायक सांसद को कोई सरोकार है और न प्रशासन को। एसडीएम कोर्ट न होने से न सिर्फ कई मामले पेंडिंग रहते हैं बल्कि राजस्व प्रकरणों के लंबित होने के तमाम आसार बने रहते हैं और कोयलांचल का एक बड़ा वर्ग शहडोल मुख्यालय जाने के लिए विवश रहता है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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