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प्रमाणित भ्रष्टाचार के बाद भी सीएमओ इंजीनियर दे रहे नगरपालिका में हाजिरी

 

ले आये कोर्ट से स्टे

धनपुरी।।

भ्रष्टाचार की भी अपनी एक सीमा है पर यहाँ तो सीमा से परे भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचार प्रमाणित होने के बाद भी नगरपालिका में जमे इंजीनियर पर कार्यवाही की आँच तक नही आई।पालिका में दिखावे की बैठकें हुई शोरगुल हुआ और अंत मे पूरा दोष ठेकेदार पर मढ़कर सरकारी तंत्रो ने अपने करतूतों से पल्ला झाड़ लिया।
करोड़ो की लागत से बन रही पुलिया भरभरा कर बह गई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई उससे पूर्व बनाई गई पुलिया पर आकंठ भ्रष्टाचार किया गया पर सरकारी तंत्र वही है वही सीएमओ है वही इंजीनयर है और ले देकर वहीं जनप्रतिनिधि हैं। न जाँच न कार्यवाई मनचाहा काम,मनचाहा निकासी। नगरपालिका धनपुरी में बीते दिनों हुए भ्रष्टाचार की खबरों से अखबार के पन्ने भरे पड़े मिलेंगे किन्तु जिला के आला अधिकारियों को उस पन्ने को खंगालने और इस भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करने की फुर्सत ही नही।अखबार के अलग-अलग खबरों को खंगालने पर जानकारी हुई कि इंजीनियर ब्रजेश पाण्डेय का स्थानातरण हो गया है किंतु इसके विपरीत इन्होंने कोर्ट से सटे ले लिया है। बेहतर है प्रशासन इन पर कड़ी कार्यवाई करता तो स्टे लेने की नौबत न आती।

यह है पूरा मामला…

जिले के धनपुरी नगर अंतर्गत स्थित बगैया नाला पर निर्माणाधीन स्टापडेम में भले ही सरकार के 1 करोड़ 12 लाख से भी अधिक की राशि खर्च की गई, लेकिन उसका निर्माण भ्रष्ट अमले ने इस घटिया तरीके से कराया कि वह पहली बरसात में ही दम तोड़ गया। इस मामले ने तूल पकड़ा और कमिश्नर नगरीय प्रशासन भोपाल ने 24 अगस्त को संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन को जाँच कर प्रतिवेदन और आरोपपत्र का प्रारूप पेश करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश के परिपालन में संयुक्त संचालक ने 28 अगस्त को जांच प्रतिवेदन व आरोप पत्र का प्रारूप कमिश्नर के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। लेकिन इसके बाद आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि दो माह का समय बीत चुका है और जांच में अधिकारी कर्मचारी दोषी भी पाए गए थे। वरिष्ठ कार्यालय की इस हीलाहवाली का लाभ दोषी अमला आज भी उठा रहा है, जबकि उसे दण्ड प्रक्रियाओं के कठघरे में होना चाहिए था किन्तु ऐसा न हो सका और भ्रष्ट तंत्र से जुड़े अफसर व कर्मचारी गर्व का सीना लिए नगरपालिका में अटखेलियाँ ले रहे हैं।
नगरपालिका क्षेत्र अन्तर्गत रहने वाले व जानकार लोगो का मानना है कि नगरपालिका के इतने बड़े निर्माण की क्षति हुई है और नगरपालिका के भ्रष्ट अधिकारियों की पोल भी खुल गई है इसके बाद भी चोरों को यदि पकड़ा नहीं जाए तो इसे किस तरह के कानून व्यवस्था की संज्ञा दी जाएगी? नीचे से लेकर ऊपर तक केवल भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है, न्याय और कानूनी प्रावधान तो वैसे भी उपेक्षित हैं। अफसर लाख अनियमितता कर ले, शासन का खजाना डकार जाए लेकिन उसके विरुद्ध कार्रवाई करने में बड़े अफसर और कार्यालयों को थरथरी छूटती है। धनपुरी नगरपालिका में स्टापडेम के मामले में कोताही बतरना भी शायद इसका एक उदाहरण है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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