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बांधवगढ में 10 हाँथियों के मौत का रहस्य

मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान

डेस्क…दिव्यकीर्ति

उमरिया।।

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत भारत मे हाथी परियोजना शुरुआत साल 1992 में हुई थी इसका उद्देश्य विलुप्त होते जा रहे भारतीय हाथियों की रक्षा करना, इस परियोजना के तहत, हाथियों, उनके आवासों, और प्रवास गलियारों की सुरक्षा की जाती है. इसके अलावा, मानव-हाथी संघर्ष को कम करने और हाथियों के कल्याण को सुनिश्चित करने का भी काम किया जाता है.
आपको बता दें कि मप्र के बांधवगढ से उमरिया जिले के टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जंगली हाथियों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है । जिसमे ल मौत का आंकड़ा 10 हो चुका है। टाइगर रिजर्व और डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी और इलाज में लगे होने के बाद भी सफल नहीं हो पाई। अब पीएम रिपोर्ट आने के बाद उनकी मौत की वजह सामने आ गई है।
भोपाल से आए ए पी सी सी एफ वन्य जीव एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि अब तक 10 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 29 को 4 हाथी, 30 को 4 हाथी और कल यानी 31 को 2 हाथी की मौत हो चुकी है। सभी हाथियों का जो वेटनरी की टीम इलाज करने के लिए आई थी, उनसे चर्चा के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए तथ्य के अनुसार हाथियों के पेट के अन्दर से काफी मात्रा में कोदो निकला है। जंगल के अंदर खेतों में लगे कोदो-कुटकी में माइकोटॉक्सिन (एक प्रकार का कवक विष) बन गए थे। डॉक्टरों ने हाथियों के पीएम के दौरान पेट के अंदर से इंफेक्टेड कोदो पाया है।
इस पूरे मामले को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी संज्ञान लिया है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बांधवगढ़ में हाथियों की मौत के मामले पर मुख्य सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपने निवास पर बैठक की। इस दौरान सीएम यादव ने कहा है कि जो भी व्यक्ति जांच में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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