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अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़ा हुआ जिले का संगठन

व्यक्तिगत हितों को साधने के फिराक में रुका रेत का उत्खनन

शहडोल।।

प्रदेश में भले ही इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर सरकार बेरोजगारी समाप्त करने का दावा करती हो लेकिन शहडोल जिले में सत्ताधारी दल के कुछ जिला और मंडल स्तर के पदाधिकारी अपने व्यक्तिगत हितों को लेकर अपनी ही सरकार की मंशा पर पलीता लगाने पर उतारू हो गए हैं , ऐसा ही मामला जिले में जैतपुर के समीप लुकामपुर रेत खदान से आया है जहां सत्ताधारी दल के ही कुछ छुटभैया वैधानिक रूप से स्वीकृत जिले में रेत उत्खनन के लिए अधिकृत सहकार ग्लोबल के कार्यों में हस्ताक्षेप कर रहे हैं।

नियमों के तहत हैं रेत खदानें

खनिज उत्खनन के लिए शासन और राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल के नियमों के तहत ही खनिज संपदा की स्वीकृति प्राप्त होती है , सहकार ग्लोबल के जिम्मेदारों द्वारा शासन द्वारा तय मापदंडों की पूर्ति की गई है जिस आधार पर जिला प्रशासन द्वारा इस कंपनी को रेत उत्खनन की स्वीकृति प्रदान की गई है।

छुटभैयों की हठधर्मिता, ग्राहक हो रहें हैं परेशान

सत्ताधारी दल से जुड़े कुछ पदाधिकारियों के व्यक्तिगत हितों की भरपाई जिले के रेत उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है , जिले में रेत उत्खनन में खड़ी हो रही परेशानियों के कारण रेत के उपभोक्ताओं को पड़ोसी जिलों से रेत का क्रय करना पड़ रहा है जो कि अपेक्षाकृत महंगे दामों में मिल रही है।

स्थानीय झेल रहे हैं बेरोजगारी की मार

सहकार ग्लोबल द्वारा सैकड़ों स्थानीय युवकों को रोजगार प्रदान किया गया है लेकिन स्थानीय सत्ताधारियों की हठधर्मिता का शिकार युवक भी हो रहे हैं , विगत चार माहों से एनजीटी के नियमों से रेत उत्खनन का कार्य बंद था लेकिन अब एनजीटी खुलने के बाद स्थानीय सत्ताधीशों की जिद सैकड़ों परिवार के चूल्हे जलने में बाधाएं खड़ी कर रहा है।

ट्रांसपोर्टर भी झेल रहे हैं मार

किश्तों में डग्गी और हाइवा लेकर रेत के परिवहन से जुड़े स्थानीय ट्रांसपोर्टर भी सत्ताधारियों की धौंसों की मार झेलने पर मजबूर हैं , रेत का परिवहन बंद होने के कारण गाड़ी मालिकों को काम नहीं मिल पा रहा है , कमाई न होने के और किस्तों के समय पर जमा न होने का संकट भी इन वाहन मालिकों के सामने उठ खड़ा हुआ है और परिवार का भरण पोषण इनके लिए एक कठिन चुनौती बन गई है ।

प्रशासन से आस

स्थानीय बेरोजगार और वाहन मालिकों की अंतिम आस अब जिले में बैठे प्रशासनिक जिम्मेदार ही बचे हैं , अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस मामले में हस्तक्षेप कर मामले का पटाक्षेप करेगा ।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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