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राख के साँथ ठंडी हो गई मृत आशीष की अस्थियाँ ,नही मिला संदेहियों का सुराग

न्याय ने बांध लिया आंख में पट्टी

 

 

बुढ़ार।।

यकीन मानिए अगर आप इस देश मे न्याय चाहते हैं तब शायद आपको ताउम्र अपनी रीढ़ की हड्डी मजबूत करनी पड़ जाएगी और आपको अपने पैरों में पड़े चप्पल-जूतों को बदलने की आदत डालनी पड़ेगी ताकि उनके घिसावट का एहसास सिर्फ आपको हो औरो को नही।मानो फरियादी रेलवे पुलिस से लेकर स्थानीय पुलिस का चक्कर लगा रहा है किंतु न्याय की दहलीज पर इंसाफ अभी भी माथा पटक रहा है रेलवे पुलिस आज 10 दिन बीत जाने के बाद संदेहियों की तपतीश नही कर पाई तो स्थानीय थाने में रेलवे पुलिस के परिणाम का इन्तेजार है पर जब तक दोनों न्याय के नतीजे पर पहुँचेगे तब तक मामले में सन्नाटा पसर जाएगा और एक समय के बाद आक्रोशित भीड़ और जनता भी उस मृत युवक के मामले में दिलचस्पी रखना छोड़ देगी जिसने तहसील सहित थाना जाकर इसका विरोध किया था।खैर किताबो में लिखा है देर सबेर ही सही पर न्याय एक दिन मिलता जरूर है वो और बात है कि तब न्याय मांगने वाला कौन था और अब न्याय पाने वाला कौन है यानि न्याय जो माँग रहा था उसी व्यक्ति को मिला है या उसके आने वाली पीढी को।

यह है पूरी घटना….

फरियादी आनन्द त्रिपाठी मृतक का बड़ा भाई है उन्होंने एसडीएम व थाना प्रभारी बुढ़ार को ज्ञापन देते हुए लिखा है कि आज से दो दिन पूर्व शुक्रवार दिनांक 08/11/2024 को मेरा भाई कियोस्क संचालक मृतक आशीष त्रिपाठी बुढार रेल्वे स्टेशन में चंदिया चिरमिरी पैसेंजर ट्रेन के सामनें कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
मृतक नें आत्महत्या के पूर्व अपनें मोबाइल क्रमांक 9713600355 पर What’s up स्टेटस डालकर इस बात का उल्लेख किया था कि उसे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बुढार शाखा के कर्मचारी अमित सिंह (फील्ड ऑफिसर), शिवम शाह सहित मरजाद के रहनें वाले अजय सिंह नामक व्यक्तियों द्वारा 11 लाख 80 हजार रुपये की रिकवरी निकालकर वसूली का दबाव बनाया जा रहा था। जिससे मृतक मानसिक रुप से काफी प्रताडित था और परेशान था, जिनकी प्रताड़ना से तंग आकर उसे इस तरह का आत्माघाती कदम उठानें पर विवश होना पड़ा। महोदय यह आत्महत्या नहीं बल्कि एक हत्या है जिसकी निष्पक्ष जांच होनी
चाहिये व उक्त संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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