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जिलाध्यक्ष का पद और मुख्यालय की दौड़,पार्ट-3

 

हाड़ कँपाती इस ठंड में ताजपोशी के गर्मी का बेसब्री से इन्तेजार

शहडोल।।

दिसम्बर अंत तक तय होने वाले जिलाध्यक्ष का पद ठंड की ठिठुरन में मानो रजाई ओढ़कर नया वर्ष मना रही है खैर नया वर्ष तो पद की तरह ही आता-जाता रहता है इन्तेजार का भी अपना एक तकाजा होता है जिन लोगों के नाम रायशुमारी में तय हुए हैं जरा उनसे पूँछिए की सब्र का भी अपना एक इम्तिहान होता है पर अब तो सब्र का भी बाँध टूटने लगा है दिल्ली से लेकर प्रदेश की गलियारों में चर्चा का सबब बना जिलाध्यक्ष का पद मानो जिलाध्यक्ष न हुआ कोई पीएम-सीएम का पद हो। सबने जितनी एड़ी-चोंटी लगानी थी लगा ली पर अंतिम नाम पर जो मुहर लगना था वो तो तय था।हमारे अपने सूत्रों ने बताया कि माननीय-सम्मानीय भी जिलाध्यक्ष के लिए अड़े हैं यानि सांसद-विधायक भी अपने पसंदीदा चेहरे पर दांव लगाकर उनकी जीत तय करने में तुले हैं।40 के आसपास नामांकन करने वाले दावेदारों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पद की लालसा भला किसे नही है।हमारे पास कुछ भाई साहेब का देश की राजधानी से फोन आया उन्होंने पूँछा की क्या हाल है जिलाध्यक्ष तो फला व्यक्ति बन रहे हैं आप मीडिया वालों की क्या राय है।हमने भी ठहाके लगा दिए, भाई साहेब; भला हमे क्या ऐतराज होगा?”कोई होई हमहि का हानि चेरी छांड न होइहें रानी” भाई साहेब ने बताया कि 3 जनवरी तक फाइनल तीन सदस्यीय पैनल नाम घोषित कर देंगे जो महज एक औपचारिकता है क्योंकि यह पद तो पहले से ही तराजू के पलड़े में भारी वजनदारों के लिए भारी हो चुका है।
फिलहाल कोयलांचल से कुछ नामों की चर्चा बड़े गर्मजोशी से भोपाल मुख्यालय में इस भरी ठंड में गर्मी का एहसाह करा रही हैं ।कयास यह भी है कि शहडोल के चंद चेहरे पहले निर्णायक मंडल में थे तो किन्तु संगठन के लोगों के आपसी कलह और 8 पीएम का मजाकिया तर्क उनके लिए नासूर बन गया।
खैर हम यह दावा नहीं करते की जिलाध्यक्ष कौन होगा न ही हम संगठन के कोई पदाधिकारी हैं और न ही हमारे निर्णय मात्र से किसी को सत्ता या पद मिल जाएगा हम सिर्फ अपने सूत्र और पान की गुमटियों और चाय पर होने वाले चर्चाओं से अटकलें लगा रहे हैं।

फिलहाल गयासुद्दीन तुगलक को निजामुद्दीन औलिया का कहा गया यह शब्द दोहरा देते हैं  ‘हनूज’ “दिल्ली दूरस्थ” अर्थात साहब दिल्ली अभी दूर है…

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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