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आपको कलेक्टर इसलिए नही बनाया गया कि आप लोगों को प्रताड़ित करें…

आपको कलेक्टर इसलिए नही बनाया गया कि आप लोगों को प्रताड़ित करें;जस्टिस विवेक अग्रवाल
रीवा।।
वैसे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मे भले ही जनता सर्वोपरि है किंतु आज भी जनता पर राज करने वाले जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों की एक लंबी फेहरिस्त है ऐसे में संविधान ने विधायिका-कार्यपालिका से ऊपर न्यायपालिका को रखा है जहाँ न्यायपालिका के कटघरे में जनप्रतिनिधियों समेत नौकरशाहों को भी खड़ा होना पड़ता है।जमीन और मुआवजे के फेर में अटका रीवा के किसान के मामले में जब जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर को कोर्ट में ही फटकार लगा दी।

यह है पूरा मामला…

कलेक्टर प्रतिभा पाल सिंह वर्तमान में रीवा कलेक्टर हैं जब कोर्ट ने डांट लगाई और 4 बजे शाम तक कोर्ट में हाजिर होने को कहा तो भागते भागते कोर्ट में हाजिर होने पहुंची। जहां जज साहब ने कलेक्टर प्रतिभा पाल को जमकर डांटा और कहा कि आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया गया है कि आप लोगों को प्रताड़ित करें। आपको कलेक्टर इसलिए बनाया गया है कि आप उनका अधिकार प्रदान करें।
हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर की जगह जूनियर अधिकारी को देख डांट तो लगाई ही साथ ही नाराजगी जताते हुए मामले की सुनवाई नहीं की। जज साहब ने शाम को 4 बजे तक रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल सिंह को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया जिसके बाद कलेक्टर प्रतिभा पाल सिंह दौड़ी-दौड़ी हाईकोर्ट पहुंची । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को किसान की भूमि अधिग्रहण के मामले में फटकार लगाई। न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर से कहा कि कलेक्टर का काम लोगों की हक छीनना नहीं है। उन पर 10000 का जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं अदालत ने किसान की जमीन के अधिग्रहण आदेश को निरस्त कर दिया।
मामला रीवा के किसान राजेश कुमार तिवारी की ज़मीन से जुड़ा है। 1993 में उनकी ज़मीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 2024 तक उन्हें मुआवज़ा नहीं मिला। तिवारी ने 2015 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कलेक्टर की तरफ से लगातार कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की जा रही थी। इससे नाराज़ होकर जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कलेक्टर प्रतिभा पाल को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने पाया कि कलेक्टर और सरकारी अधिवक्ता ने मुआवजा न लेने को लेकर विरोधाभासी बयान दिए।पहले कहा गया कि याचिकाकर्ता ने मुआवजा लेने से इनकार किया, फिर कहा कि याचिकाकर्ता ने मुआवजे के लिए संपर्क नहीं किया. अदालत ने पूछा कि विस्थापितों को मुआवजे की भीख मांगने के लिए मजबूर करने का कानूनी प्रावधान कहां है?

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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