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भाजपा जिलाध्यक्षो के नाम को लेकर अफवाहों का दौर या फिर तय हो गए हैं नाम

 

●नामों के चयन में संगठन में रस्साकस्सी जारी

●सोशल मीडिया में अफवाहों का बाजार गर्म या वही है अंतिम नाम

●कब तय होगा भाजपा जिल्ध्यक्षों का नाम

भोपाल।।शहडोल (विनय मिश्रा की कलम से…)

मप्र में हाल ही में चुने जा रहे जिलाध्यक्षो का चयन मानों पार्टी के आलाकमान के लिए गले का फाँस बना हुआ है 30 दिसम्बर तक फाइनल होने वाले जिलाध्यक्षों की सूची आज 12 जनवरी तक जिलों में जिलाध्यक्षो के नाम घोषित नही कर पाई।हमारे सूत्रों ने बताया कि इसका सबसे बड़ा फैक्टर ये है कि पहले तो जुगाड़ और सिस्टम से जिलाध्यक्ष होना था पर मण्डल अध्यक्षों के चयन में होने वाले सौंतेलेपन पार्टी मुख्यालय में बगावती सुर फूँक दी और शिकवा-शिकायतों का दौर जमकर चला। चयन प्रकिया में बकायदे चुनाव प्रभारियों पर भी आरोप लगे। सियासत की गर्मी में भोपाल से लेकर दिल्ली तक खूब उठापटक हुई और निर्देश हुआ कि जिलाध्यक्षों के चयन में ऐसी नौबत न आए और पार्टी में अंदरूनी कलह न बने इसका विशेष खयाल रखा जाए।
जिलाध्यक्षो के इस चयन प्रकिया में आम जनता तो हतप्रभ हैं और अब जनता उम्मीद भी लगाना छोड़ दी है कि जिलाध्यक्षो की सूची कब जारी होगी और शहडोल जिलाध्यक्ष कौन होगा??
जिलाध्यक्षो का चयन मानो गत वर्ष हुए विधानसभा में मुख्यमंत्री के नाम का चयन होना हो जैसे लग रहा है हलाकि यहाँ लोकतांत्रिक चयन नही है जिलाध्यक्षो का चयन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय होना है फिर भी पार्टी को जिलाध्यक्षो के नाम चयन में मशक्कत करना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया में अफवाह या फिर यही नाम तय…

बीते दिनों सोशल मीडिया से लेकर कुछ चैनलों की स्क्रीन पर जिलाध्यक्षों की रेस में शामिल होने वाले नामों का खूब प्रचार हुआ अब यह प्रचार सत्य है या अफवाह इस पर बिना अंतिम चयन के कुछ कह पाना “अंधेरे में तीर चलाने जैसा है”।जिमसें शहडोल जिले की जिलाध्यक्ष अघोषित रूप से अमिता चपरा को घोषित करार दिया जाने लगा है।हमने विधानसभा चुनाव के दौरान देखा था कि मुख्यमंत्री नामों में बडे-बडे दिग्गजों के नाम सामने आ रहे थे पर जब नाम सामने आया तो “छोटा बम बड़ा धमाका”जैसा हाल हुआ। हलाकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक जिलाध्यक्षों की सूची और नामों के चयन में कोई व्यक्तिगत या पार्टी की तरफ से कोई ऐलान नही किया है।हमने पार्टी के ‘X’ हैंडल से लेकर अन्य भाजपा साइट्स में जब किसी प्रकार की घोषणा या फरमान खंगालना चाहा तो हमारे हाँथ झूँठी अफवाहों के सिवाय कुछ नही लगा।

क्या अपने ही बनाए मापदण्डो को भूल जाएगी भाजपा…

दुनिया भर को अनुशासन, शिष्टाचार और नियम का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा मंडल अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष के नामों और उम्र में बन्दिशें तय की है यानि 35-45 (मण्डल अध्यक्ष)और 45-60 जिलाध्यक्ष,अगर अमिता चपरा जिलाध्यक्ष बनती हैं तो यह भ्रम भी खत्म हो जाता कि पार्टी की “कथनी और करनी” में “जमीन-आसमान”का अंतर है।वास्तव में अगर भाजपा जिलाध्यक्षो के चयन प्रक्रिया में कोताही नही बरतती और अपने बनाए हुए मापदण्डो का पालन करती है तो जिलाध्यक्ष की चयन प्रकिया साफ सुथरी मानी जाएगी अन्यथा फिर वही मण्डल अध्यक्षों वाला हाल और पार्टी के अन्य कनिष्ठ व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में मन मुटाव व अंदरूनी कलह अगले 5 वर्षों तक बना रहेगा और पार्टी फड़ में नजर आएगी ऐसा भी मुनासिब है।

महिलाओं को तरजीह तो क्या करेंगे पुरुष वर्ग….

हम नारी सशक्तिकरण का पूर्व सम्मान करते हैं और नारी प्रगति का भरपूर समर्थन करते हैं पर नगरपालिका, नगरपंचायत, नगरपरिषद से लेकर पँचायत,जनपद,जिला जैसे मुख्य पदों पर भाजपा ने नारियों को मुख्य वरीयता दिया है जबकि पुरुष वर्ग योग्य होने के साँथ-साँथ इन अच्छे पदों के दावेदार भी थे। अगर जिलाध्यक्षो के नाम मे महिलाओं को आगे लाया जा रहा है तो निश्चित रूप से यह पार्टी का अच्छा निर्णय है किंतु शहडोल की विराट धरा में मुट्ठी भर महिला राजनैतिक स्थिरता या यूँ कहें कि महज 5 फीसदी महिला नेत्री से भरा यह जिला अगले 5 सालों में भाजपा और संगठन को किस दिशा में व कहां ले जाकर छोड़ेंगी यह अभी से कह पाना मुश्किल है और राजनीति में अपना लोहा मनवाने वाला एक बड़ा पुरुष वर्ग अगले5 वर्ष में अपना करियर और अपने आपको पार्टी में कहाँ देखता है यह भी अभी से अंदाजा लगाना “तिल में ताड़” जैसा है।

यह कहा केंद्रीय नेतृत्व ने….

मध्य प्रदेश में बीजेपी के जिलाध्यक्षों को लेकर चल रहा सस्पेंस लगभग खत्म हो चुका है क्योंकि भोपाल से लेकर दिल्ली तक चली बैठकों के दौर के बाद यह तय हो गया है कि अब जिलाध्यक्षों की सूची जारी नहीं की जाएगी, बल्कि जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान अलग-अलग जिलों में पर्यवेक्षक करेंगे।वहीं नामों के ऐलान से पहले ही बीजेपी आलाकमान और प्रदेश संगठन की तरफ से भी नेताओं को हिदायत मिल चुकी है, बीजेपी के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने नसीहत दी है कि कोई भी जिलाध्यक्ष किसी भी बड़े नेता के घर जाकर स्वागत या सत्कार नहीं कराएगा उसे जिला मुख्यालय में ही कार्यभार संभालना होगा।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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