दिव्यकीर्ति सम्पादक-दीपक पाण्डेय, समाचार सम्पादक-विनय मिश्रा, मप्र के सभी जिलों में सम्वाददाता की आवश्यकता है। हमसे जुडने के लिए सम्पर्क करें….. नम्बर-7000181525,7000189640 या लाग इन करें www.divyakirti.com ,
Search
Close this search box.

तो थाना प्रभारियों की मूक सहमति ने अनाथ बना दिया मासूम बेटियों को

तो थाना प्रभारियों की मूक सहमति ने अनाथ हो गए मासूम बेटियाँ

 

 

रविवार की शाम हुई घटना ने शहडोल ही नही राजधानी में भी मातम का माहौल बना दिया विपक्ष प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मामले में ट्वीट करते हुए सत्ताधारियों पर आरोप लगाया कि उनके संरक्षण में कोयले का यह अवैध काम चल रहा था जिससे पाँच मासूम बेटियाँ अनाथ हुई हैं बड़े शर्म की बात है तीन विधायक और सांसद सत्ता पक्ष के हैं किंतु अब तक किसी की संवेदना उन मासूम बेटियों के लिए नही जागी ये और बात है कि काम मे इनकी अलग भागीदारी रहती है जिससे माननीयों का समय-समय पर ख्याल रखा जाता है। मीडिया कैमरे के सामने ग्रामीण समेत कुछ चिन्हित माफियाओं ने बुढ़ार थान प्रभारी और सोहागपुर थाना प्रभारी के इंट्री लिस्ट की बात कही और एक निश्चित चढ़ोत्तरी की भी बात कही और छापने न छापने से कोई फर्क नही पड़ता जैसे शब्दों को भी दोहराया कितनी अचरज की बात है कि एक कालम प्रकशित होने मात्र से समूचे क्षेत्र में कार्यवाही और न्याय मिल जाता था पर आज का दौर ऐसा है कि हर माफिया यह बोलता है कि जाओ छाप लो जो छापना है कुछ नही होगा,इस लचर व्यवस्था का एक ही कारण है कि माफिया का सरकार से तालमेल होना और प्रशासन पर दबाव बनाना।खैर अब ये बातें आम हो चुकी है कि दाम बताओ काम हम करेंगे।

पूरे जिले में अपने न्याय प्रिय और अच्छी कार्यशैली के लिए जाने, जाने वाले बने नवागत कप्तान से उम्मीद है कि नेता न सही कप्तान तो उन मासूम बेटियों के जख्मो पर मरहम जरूर लगाएंगे और अवैध काम को मौन स्वीकृति देने वाले थाना प्रभारियों पर लगाम लगाएँगे

शहडोल।।

तन की भूँख और मन की प्यास कई बेबशों को कुछ भी कर गुजरने के लिए विवश कर देता है।दिन भर दिहाड़ी कमाने वाला व्यक्ति एक पूंजीपति को बड़े मुकाम पर तो पहुँचा देता है किंतु वह सर्वहारा वर्ग कभी खुद पूंजीपति नही बन पाता।ऐसा ही एक मामला कल यानि रविवार को शहडोल मुख्यालय में देखने को मिला जहाँ पाँच बेटियों को पालने के लिए दो दम्पत्तियों ने अपने जान गंवा दिए हलाकि यह चोरी सरकार की चोरी थीं तो शायद उनके मासूम बेटियों को कोई कम्पनसेशन भी न मिले और जिले में शायद ऐसे जनप्रतिनिधि भी नही है जो आगे आकर इन बेटियों के लिए किसी प्रकार की कोई शासकीय लाभ दिला सके।फिलहाल इस मौत का असल जिमेदार कौन है आप सभी पाठकगण जानते हैं….??

यह है पूरा मामला…

रविवार की शाम शहडोल जिले के धनगंवा ग्राम में चुनारगढ़ी के अवैध कोयले की खदान में दो दम्पत्ति कोयला खोदने के दौरान खदान धसने से अंतिम साँस ली। ग्रामीणों ने बताया कि ओमकार यादव अपनी पत्नी पार्वती यादव के साथ खदान में कोयला खनन कर रहा था, इस दौरान अचानक खदान धंसक गई। जिसमें दबने से दोनों की दर्दनाक मौत हो गई।मामले की पुष्टि के लिए प्रशासनिक अमला दल-बल सहित पहुँचा हालांकि घटनास्थल पर मरने वालों की संख्या में सिर्फ दो लोगों के ही नाम सामने आए और बाँकी कितने ऐसे लोग कोयले की इन खदानों में दफन हो गए यह आज भी रहस्य है।
ग्राम धनगंवा में कोयला कारोबारी एक लंबे अरसे इस क्षेत्र में अवैध तरीके से खदान संचालित करते आ रहे हैं किंतु आजतक सम्बंधित विभाग और प्रशासन इस पर अंकुश नही लगा पाया।जानकारों और मीडिया टीम के सामने ही कुछ लोगों ने बताया कि धनगवां से निकलने वाला यह अवैध कोयला दो थानों के बीच चल रहा जिसमे बुढ़ार और सोहगपुर थानों के नाम शामिल हैं। मीडिया कैमरों में इस काम के लिए बकायदे थानों में एक पेशगी जाती थी जिसका एक निश्चित दाम तय था।
इस अवैध काम मे कुछ आदिवासी वर्ग के लोगों को सामने रख आसपास के गांवों के ही प्रभुत्व वर्ग काम को बकायदे अंजाम देते थे।जिसे आसपास के दर्जनों भट्ठों में एक निश्चित दाम पर खपाया जाता था।ऐसा नही है कि इसकी जानकारी अन्य जवाबदेहियों को नही है किंतु हमेशा की तरह तकियाकलाम शब्दो को दोहराते हुए मीडिया कैमरों में बड़ी बेबाकी से झूँठ कह दिया जाता है।

बटुरा क्षेत्र में भी हुई कार्यवाही

घटना के बाद प्रशासन एलर्ट मूड में हैं, सोमवार को सुबह से ही पुलिस की टीम बटुरा क्षेत्र पहुंची और वहां अवैध कोयला उत्खनन के क्षेत्र का निरीक्षण किया और इन गड्ढों को पाटकर समतल करनें की कार्यवाही की गई। जानकारी के मुताबिक सोमवार को इस क्षेत्र में अवैध कोयला उत्खनन के लगभग 40 गड्ढो को मशीनों से पाटकर समतल किया गया। स्थानीय स्तर पर तैनात अमले नें बताया कि लगभग 60 से ज्यादा ऐसे गड्ढे है जिनसे अवैध कोयला उत्खनन किया जा रहा था, उन्हें भी आगामी दिनों में बंद कर इस दिशा में ठोस कार्यवाही की जायेगी।

जानकारों नें बताया कि घटना स्थल क्षेत्र में लंबे अर्से से चल रहे इस कारोबार मेें स्थानीय स्तर पर कई लोगों की संलिप्तता थी। सूत्रों नें बताया कि एक तरफ जहां माइनिंग की टीम लगातार अवैध रेत व कोयले के उत्खनन पर कम अमले के साथ कार्यवाही में जुटी रहती है वहीं स्थानीय थानों का जिम्मेदार अमला महल पेशगी तक सीमित रहता है। जानकारों नें बताया कि बुढार थाना क्षेत्र के अंर्तगत संचालित इस अवैध कोयला खदान से उत्खनन की जानकारी जिम्नेदारों को थी लेकिन पेशगी के फेर में पूरा मामला दिखावे तक सीमित था, और इस तरह कि घटना सामने आ गई।
अहम पहलू यह है कि इस तरह की घटनाएं सामनें आनें के बाद प्रशासनिक अमले द्वारा कार्यवाही भी की जाती है लेकिन मूल कारणों की ओर प्रशासन का ध्यान नहीं जाता और घटनाओं की पुर्नावृति हो जाती है। ऐसे में सवाल अब यह है इस घटना के बाद प्रशासन कितनी सीख लेता है और इस तरह के अवैध कारोबार पर कितनी लगाम लग पाती है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

ये भी पढ़ें...

error: Content is protected !!