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भारत का एक मात्र पुरुष नदी,ब्रह्मा का पुत्र है यह नदी

 

डेस्क…

●भारत का एक मात्र पुरुष नदी
●जानिए क्यों ब्रह्मपुत्र को ब्रह्मपुत्र कहते हैं
●क्या है इसके पीछे की कहानी

भारत में कई नदियां हैं और यहां नदियों को माता, देवी मानकर पूजा जाता है। गंगा, यमुना आदि नदियों के लिये स्त्रीलिंग का ही प्रयोग किया जाता है जबकि भारत मे एक ऐसी नदी भी है जिसे पुरुषों में गिना जाता है।

माना जाता है कि ब्रह्मपुत्र नदी को दिव्य और चमत्कारी माना जाता है, पौराणिक मान्यता कहती है कि, पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्तों को ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करना चाहिए। इससे व्यक्ति को खास लाभ भी मिलता है। ऐसा करने से ब्रह्म दोष नहीं लगता और शारीरिक रोग भी दूर हो जाते हैं।
ब्रह्मपुत्र ही एकमात्र नदी है जिसके लिये पुल्लिंग का प्रयोग किया जाता है या फिर इसे ‘नद’ कहा जाता है। भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करने के बाद यह नदी असम घाटी में बहते हुए फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है। ब्रह्मपुत्र नदी भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। भारत में इस नदी की लंबाई लगभग 2700 किलोमीटर है।
3000 किलोमीटर की लंबाई वाला ये जलाशय एशिया की सबसे ख़ूबसूरत नदियों में से एक है। इसकी उत्पत्ति कैलाश पर्वत के निकट मानसरोवर झील से होती है। जनश्रुतियों की मानें तो ब्रह्मपुत्र शब्द का अर्थ है, ब्रह्मा का पुत्र,ब्रह्मपुत्र को देवता मानकर पूजा जाता है, देवी नहीं ग्रन्थों में जय गंगा मैया कहा जाता है लेकिन जय ब्रह्मपुत्र मैया नहीं कहा जाता।
एक लेख के अनुसार, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, ऋषि शांतनु की पत्नी अमोघा पर मोहित हो गये. अमोघा ने ब्रह्मा को स्वीकार नहीं किया और वापस लौटा दिया। ब्रह्मा ने ऋषि शांतनु को बताया कि उस संगम से पैदा होने वाली संतान से संसार को लाभ होगा ऋषि ने अमोघा को दोबारा विचार करने को कहा लेकिन अमोघा टस से मस नहीं हुई। ऋषि ने अपनी शक्तियों से अमोघा और ब्रह्मा का संगम करवाया और अमोघा ने पुत्र को जन्म दिया, नाम रखा गया ब्रह्मकुंड. ब्रह्मकुंड को 4 पर्वतों के बीच रखा गया और बीतते वक़्त के साथ यही ब्रह्मपुत्र बन गया।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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