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टेस्ट क्रिकेट को विराट ने कहा अलविदा…क्रिकेट के एक युग का अंत

 

देश-दुनिया

भारतीय क्रिकेट इतिहास में कई सितारे आए और गए 80 के दशक में कपिल,गावस्कर, जैसे महान खिलाड़ियों ने भारत को वर्ल्डकप दिलाया तो  बीसवीं सदी में सचिन तेंदुलकर,सौरव गांगुली,राहुल द्रविड़ सहवाग, युवराज वीवीएस लक्ष्मण जैसे महान व दिग्गज खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम दिया।

इस युग का अंत होते ही धोनी व “रोको”अर्थात रोहित और कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने भारत को सफलता के शिखर पर बनाए रखा ।
बीसवीं सदी के इस युग का अंत तब होते दिख रहा है जब रोहित शर्मा जैसे महान खिलाड़ी के सन्यास लेते ही विराट कोहली ने भी टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ले लिया। बीसीसीआई ने विराट को इस पर विचार करने के लिए कहा था किंतु विराट अपने इरादों में अडिग रहे।
विराट कोहली ने तो अपने संन्यास से एक बहुत बड़ी लकीर खींच दी है। बेमिसाल फिटनेस और एनर्जी के नाम से जाने जाने वाले विराट कोहली में अभी भी काफी क्रिकेट बाँकी था किंतु किन वजहों से विराट ने ये फैसला लिया यह आज भी कई खिलाड़ियों के सन्यास की तरह रहस्य है।
पहले रोहित शर्मा अब विराट कोहली सप्ताह भर के अंदर क्रिकेट के दो दिग्गजों का टेस्ट से संन्यास भारतीय क्रिकेट के एक युग का अंत है। अब मैदान पर सफेद जर्सी में रो-को नहीं दिखेंगे। दोनों ने और खासकर विराट कोहली ने अपने संन्यास से भारतीय क्रिकेट में एक बड़ी लकीर खींच दी है।

इतनी जल्दी क्यों…

विराट और रोहित दोनों ने ऐसे वक्त में संन्यास लिया जब लगभग हर किसी के जुबां से यही निकल रहा है- इतनी भी क्या जल्दी थी।
संन्यास क्यों नहीं ले रहे’ जैसा सवाल ही नहीं उठने दिया
विराट कोहली 36 साल के हैं लेकिन उनकी फिटनेस, उनका एनर्जी लेवल, उनका जोश, उनकी फुर्ती, उनका जज्बा…सबकुछ ऐसा कि युवा से युवा क्रिकेटर नही उनकी फिटनेस के सामने फीका दिखाई देता है। टेस्ट की ही बात करें तो अभी उनमें काफी क्रिकेट बाकी थी। फिर भी विराट कोहली ने ऐसा किया जो भारत में बहुत ही दुर्लभ माना जाता है। शीर्ष पर रहते हुए संन्यास, न कि टीम पर बोझ बनकर करियर लंबा खींचने की कोशिश। ‘अब संन्यास ले ही लो’ की आवाज को उठने से पहले उन्होंने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया। करियर में कभी वह वक्त आने ही नहीं दिया कि लोग कहें ‘संन्यास क्यों नहीं ले रहे’। लोग ये पूछेंगे, ‘अभी संन्यास क्यों ले लिया।’

वर्ल्ड कप के बाद t20 से भी लिया था सन्यास…

हाल ही में वर्ल्ड कप जीतने के बाद विराट ने क्रिकेट के छोटे फार्मेट से सन्यास ले लिया था में भी शिखर पर रहते लिया था
विराट कोहली चाहते तो अभी और एक-दो साल टेस्ट क्रिकेट खेल सकते थे। बीसीसीआई तो उन्हें टेस्ट से संन्यास न लेने के लिए मना ही रही थी। लेकिन किंग कोहली ने दिल की सुनी। युवाओं के लिए रास्ता साफ किया। अंतरराष्ट्रीय टी-20 से भी उन्होंने तब संन्यास लिया जब अपनी शानदार बल्लेबाजी से टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।

टेस्ट में भारत के शीर्ष कप्तान रहे

कप्तानी को लेकर भी उनका यही रुख था। तब कप्तानी छोड़ दिया जब वह कप्तान के तौर पर बेस्ट थे। बतौर कप्तान उन्होंने 68 टेस्ट खेले जिनमें टीम इंडिया को 40 में जीत मिली। 17 में हार और 11 ड्रॉ रहे। उन्होंने विदेशी जमीन पर भारत की जीत को तुक्का नहीं, आदत के तौर पर स्थापित किया।
विराट शॉर्ट फॉर्मेट में तो लाजवाब रहे ही हैं , टेस्ट में भी बेजोड़ खिलाड़ी साबित हुए हैं।
एकदिवसीय मैचों में विराट कोहली का कोई सानी नहीं है लेकिन टेस्ट में भी वह अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में रहे। इस फॉर्मेट में वह भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तान हैं।

ये हैं टेस्ट आँकड़े..

विराट कितने महान खिलाड़ी हैं ये वो नही बल्कि उनके आंकड़े बताते हैं । 123 मैच, 210 पारी। 46.85 के शानदार औसत से 9230 रन। 30 शतक, 31 अर्धशतक। 7 दोहरे शतक। टेस्ट क्रिकेट में उनसे ज्यादा किसी भी भारतीय के दोहरे शतक नहीं हैं। सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग ने 6-6 दोहरे शतक जड़े थे।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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