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ये जनता की है ‘ललकार’ बंद करो ये ‘भ्रष्टाचार’…

शहडोल।।

सत्ता और सत्ताधारियों की तानाशाही और उनके भ्रष्टाचार जब आम आदमी के सहन से बाहर हो जाता है तो आम आदमी सड़क पर उतर आता है आपने भ्रष्टाचार, राजनीति और राजनैतिक लोगों से प्रेरित कई फिल्में देखी होंगी किंतु भ्रष्टाचार पर बने इस गाने को आज भी जनता और विपक्ष भुना रही है।
ये जनता की है ललकार बंद करो ये भ्रष्टाचार” बन्द करो ये भ्रष्टाचार…”ये जनता की है ललकार”.. 1989 में रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने खूब वाहवाही बटोरा खासकर गाने का बोल आज भी भ्रष्टाचार के लिए “मील का पत्थर साबित” हो रहा है। भ्रष्टाचार के इस काले कारनामे को उजागर करने के लिए अब विपक्ष सड़क पर उतर आया है और परिषद में हुए दर्जनों खयानतों पर सवाल उठा रही है।
हाल ही में गठित नगर परिषद बकहों का विवादो से नाता परिषद गठित होने के साँथ ही जारी है परिषद में फर्जी तरीके से नियुक्ति हो,आहरण हो या फिर खरीदी बिक्री के नाम पर किया गया भ्रष्टाचार हो इन सभी विषयों पर कांग्रेस के ऊर्जावान नेता ब्लाक अध्यक्ष राजीव शर्मा पूरे कांग्रेस सांथियो को लेकर नगरपरिषद में हुए भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार कर रहे हैं और बीते 4 दिनों से क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं समय समय पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रतिनिधि ने अनशन का समर्थन किया है किंतु परिणाम अभी तक नही आया।

नल जल के नाम पर वसूली क्रय विक्रय पर भ्रष्टाचार...

आपको बता दें कि नल जल योजना सरकार की एक ऐसी योजना है जिसने लाखों प्यासों के कंठ को तर कर दिए इस योजना ने आम आदमी को न सिर्फ नदी-नाले तालाबों से निजात दिलाया बल्कि उनके दरवाजे व घर पहुँच पानी की उपलब्धता को पूर्ण किया ।
सरकार की इस योजना पर नगर परिषद बकहों ग्रहण लगाने में गुरेज नही कर रहा है और नल जल कनेक्शन के नाम पर वार्डवासियों से 2500-3000 रु की वसूली की जाती है जिसका जाँच नितांत आवश्यक है।इसी प्रकार परिषद में खरीदी बिक्री के नाम पर लाखों का गड़बड़झाला हुआ जो बाउचर और कैशबुक में तो दिख रहा है पर उनका धरातल से कोई सरोकार नही।निर्माण कार्यो में अनियमितताओं के व्यापक भंडार पड़े हुए हैं कहीं गुणवत्ता में कोताही बरती गई है कहीं तो कहीं निर्माण कार्य ही पूर्ण नही हुआ और लागत मात्र दिखाकर राशि आहरण कर ली गई है।

वृक्षारोपण के नाम पर भी घपला..

आरोप है कि नगरपरिषद में
वृक्षारोपण के नाम पर 40 लाख के आसपास का घपला किया गया है जिसका हिसाब तो है पर पौधों की संख्या और उनका वास्तविक मूल्यांकन करने पर भ्रष्टाचार जमीन में ही नजर आ जाएगा।इन सारे तथ्यों को जाँच के दायरे में लाने के लिए विपक्ष लगातार क्रमिक अनशन पर है किंतु सरकार और उनके अधीनस्थ कार्य करने वाले जाँच अधिकारी अभी तक जाँच करने की जहमत नही उठा पा रहे हैं।

ऐसा ही होता है अपने सरकार की आलोचना कौन करे…

वैसे सत्ताधारियों की ये नीति समझ से परे है निश्चित रूप से यह आवाज विपक्ष ने उठाया है किंतु सता पक्ष की अपनी एक जवाबदेही जनता के प्रति भी है इसे सियासी प्रोपेगैंडा न समझकर बल्कि सता पक्ष को आगे आकर जनता की समस्या को मूल समस्या समझते हुए उस पर पहल करना चाहिए ताकि सिस्टम में ट्रान्सपेरेंसी का संदेश जाए ।अगर स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा अब तक या आगे इस पर कोई पहल नही होता तो निश्चित तौर पर यह समझा जाएगा कि अपने ही सरकार पर हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ मुह कौन खोले..??

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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