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वाह! मंत्री जी…रियल लाइफ को रील लाइफ बना दिया..

खाट पर लेटे सिस्टम का शिकार अमन

हॉस्पिटल की दीवारों में दम तोड़ रही सिसकियां

बंद कमरों में कौन सुने अमन की चीख

 

शहडोल सम्भाग।

राजनीति में अब फोटोजीवी नेताओं की बाढ़ आ चुकी है और रियल लाइफ में हुए सामाजिक कार्यो या घटना पर फोटोबाजी करके रील बनाना अब मंत्री, संतरी के लिए आम हो चुका है यह रील राशन बाटने से लेकर पेड़ लगाने और मुर्दा को कफन देने तक मे खूब वायरल हो रहा है।रील के इस दौर में मुर्दो के जनाजे तक में फोटोजीवी नेताओ का मन नही भरता और काम से ज्यादा रील बनाने का तुकबंदी शुरू कर दिया जाता है।सिस्टम मानो अब रील के सहारे ही समाज को चलाने व उसे नई दिशा देने की होड़ में है।काम हो न हो काम करने का फोटो रील सहित वायरल हो ।
अनूपपुर जिले के कोतमा नगर में हुई अमन नामक युवक का एक्सीडेंट भी किसी पटकथा से कम नही पहले फिल्म की कहानी में अमन का एक्सीडेंट होना फिर उसे दो बार कुचलने का प्रयास करना फिर प्रशासन द्वारा मामले को नजरअंदाज करना रहवासियों और विपक्ष के नेताओं का हल्ला बोल करना और फिल्म में क्लाइमेक्स के तौर पर मंत्री जी का एंट्री करना और एंट्री के बाद अमन के परिजनों से मिलना व वोट मांगने की तर्ज पर उन्हें 50 हजार की पेशगी देने की बात करना,आप पाठकगण स्वयं सोंचिए क्या यह पूरी घटना किसी फिल्म की कहानी से कम नही है।क्या आप जानते हैं कि इस 50 हजार की मदद के पीछे मंत्री जी ने किसका सहयोग लिया,अगर नही तो जानिए मंत्री जी ने अमन के साँथ किंतनी रुसवाई की।

ठेकेदार का शराब,ठेकेदार की स्क्रिप्ट और असल हीरो मंत्री जी…

आपको बता दें कि जिस ठेकेदार के गुर्गों ने अमन को कुचलने का प्रयास किया दरअसल इस घटना के बाद ठेकेदार ने इस फिल्म का न सिर्फ स्क्रिप्ट लिखा बल्कि प्रोड्यूसर, निर्देशक और हीरो मंत्री जी को बना दिया सूत्र और अखबारों के हवाले से जनकारी आई कि शराब ठेकेदार ने अमन को कुचलने के नाम से खैरात के तौर पर 50 हजार आबकारी विभाग को दिया आबकारी से वह पैसा पटवारी, पटवारी को एसडीएम और एसडीएम से पहुँचा नगरपालिका अध्यक्ष के पास।आप लोगों ने प्रथमिक कक्षाओं में पढ़ा है कि मुद्रा वह धुरी है जो अर्थव्यवस्था के इर्दगिर्द चक्कर लगाती है यहाँ ठेकेदार के रुपयों का भी यही हाल रहा और अर्थव्यवस्था के रूप में आखिरकार यह रुपये पुनः सरकार यानी मंत्री जी के पास पहुँच गए और सरकार से जनता यानी अमन के परिजन तक,अंदाजा लगाइए की यह सिस्टम कितना खोखला है और इस खोखले सिस्टम के पैरोकार स्वयं सरकार के लोग हैं।
मंत्री जी नगर की जनता को आक्रोशित होते देख और उनका अपने खिलाफ लामबंद होना नगवार गुजरा किसी तरह मंत्री जी ने ढाढस बाँधा और बिगड़ते वोट व्यवस्था के भय से मन्त्री जी अमन के परिजनों से मिलने गए और वहाँ पहुँचते ही फोटोबाजी शुरू हो गई और इस रियल घटना का रील भी बन गया।

 

अमन के पोस्ट ने खोल दिए सिस्टम और मंत्री जी का पोल

 

गनीमत है आज के डीजिटल जमाने में सोशल मीडिया जैसे संचार के साधन हैं जहाँ अभिव्यक्ति से लेकर अपने मन का भड़ास बड़ी आसानी से निकाल लिया जाता है। हलाकि यहाँ अमन अपनी भड़ास नही अपनी वेदना प्रकट कर रहा है अमन ने लिखा मैं हॉस्पिटल में बहुत बद्दतर व्यवस्था से जूझ रहा हूँ व्यवस्था के जिम्मेदार बॉटल और वेंटीलेटर में मेरी आखिरी साँसों का इन्तेजार कर रहे हैं कोतमा में थाना प्रभारी से लेकर जिला प्रशासन को बार-बार फोन लगाने पर फोन नही उठता यहाँ तक कि विधायक को फोन लगाने पर उनका भी फोन नही उठता।खाट पर लेटे इस चिकित्सा व्यवस्था के दुर्गंध में अमन अपनी चीखें सुनाए भी तो किसे..?अमन के जान की परवाह किसे है..?मंत्री जी ने तो रुपयों के सौगात देकर फोटोबाजी कर ली पर अमन के वास्तविक व्यवथा का फोटो कौन खींचे और इसका रील कैसे बने यह अब मंत्री जी ही बता पाएँगे।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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