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Bihar Chunav 2025: क्या NDA की लय रहेगी बरकरार या विपक्ष करेगा उलटफेर? बिहार चुनाव में बन रहे ये नए समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते-आते राजनीतिक हवा बदल रही है। एनडीए और विपक्षी गठबंधन (INDIA ब्लॉक) दोनों ही अगले चुनाव की रणनीति बनाने में लगे हैं। आइए देखें कौन-से नए समीकरण बन रहे हैं और ये कैसे तय करेंगे कि किसका सूबा होगा:


🔍 नए राजनीतिक समीकरण

  1. सीट बंटवारा: NDA में असमंजस
    एनडीए (BJP, JDU, LJP-रामविलास, HAM-सेक्यूलर आदि) के बीच सीट बंटवारे को लेकर जटिल चर्चाएँ चल रही हैं। JDU ने कुछ ऐसी सीटों पर दावा किया है, जो पिछली बार BJP के खाते में थीं—जैसे कि दीघा, कहलगांव, मोकामा, बाढ़। BJP के साथ जेडीयू की यह झड़प गठबंधन की एकजुटता पर प्रभाव डाल सकती है।

  2. वोटरों की सूची (Voter Roll) और SIR (Special Intensive Revision)
    विपक्ष ने SIR प्रक्रिया को चुनावी अधिकारों से छेड़-छाड़ के रूप में पेश किया है, यह आरोप लगाते हुए कि यह प्रक्रिया कुछ वोटरों को सूची से बाहर करने का कारण बन सकती है। यह मुद्दा विपक्ष के लिए ताकत का स्रोत बन सकता है, विशेषकर उन वर्गों में जो बूंदे-बूंदे हर वोट की लड़ाई लड़ते हैं।

  3. जन सुराज पार्टी और Prashant Kishor की भूमिका
    “जन सुराज” नामक पार्टी, प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पेशकश, इस चुनाव को एक अप्रत्याशित मोड़ दे सकती है। यह पार्टी सोशल मीडिया एवं जनसंपर्क की रणनीति से मैदान गर्म कर रही है, विपक्ष और सत्ता दोनों के लिए चुनौती बन सकती है।

  4. समान राजनीतिक वादे और सामाजिक न्याय की मांग
    विपक्षी गठबंधन ने “बेहतर सामाजिक न्याय”, “अत्यंत पिछड़े वर्गों (EBCs) को और अधिक आरक्षण”, “महिला रोजगार योजनाएँ” आदि वादों को छेड़ा है। साथ ही “बिहारी प्राइड” जैसे भावनात्मक मुद्दे उठाकर दिल्ली-नियंत्रण पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

  5. मगध-शाहाबाद क्षेत्र की चुनौती
    मगध-शाहाबाद की सीटें NDA के लिए कमजोर कड़ी बन चुकी हैं क्योंकि 2020 में इस क्षेत्र में उन्हें बड़ा घाटा हुआ था। इस बार वहां की रणनीति बदलने की कोशिश की जा रही है, जिससे परिणामों में बड़ा बदलाव हो सकता है।


⚙️ NDA की ताकतें और जोखिम

ताकतें

  • एनडीए का नाम जाना माना गठबंधन है, सत्ता की उपलब्धियाँ और योजनाएँ उनकी मजबूत खेप हैं।

  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व और भागीदारों के साथ गठबंधनों की लंबी दूरी की राजनीतिक साख।

  • बीजेपी का संगठनात्मक आधार और केंद्रीय सरकार की शक्ति भी उनके काम आएगी।

जोखिम

  • सीट बंटवारे की खींचतान (विशेषकर छोटे सहयोगियों में) गठबंधन को कमजोर कर सकती है

  • पलायन, बेरोजगारी, न्याय-वंचित वर्गों के बीच नाराजगी आदि सामाजिक मुद्दे विपक्ष द्वारा भुनाए जा सकते हैं।

  • जन सुराज पार्टी जैसे नए खिलाड़ी वोट विभाजन का कारण बन सकते हैं, जिसे NDA को संभालना होगा।


🏁 निष्कर्ष

अगर NDA अपना गठबंधन बनाए रख पाए, सीट बंटवारे पर संतुलन बनाये और युवाओं तथा पिछड़े वर्गों के मुद्दों को धैर्य के साथ सुलझाये, तो उन्हें बढ़त मिल सकती है। दूसरी ओर, यदि विपक्ष “वोट चोरी”, SIR, EBC आरक्षण जैसे मुद्दों को अच्छे से जनता तक पहुंचाये और जन सुराज पार्टी का प्रभाव सीमित हो, तो चुनावी उलटफेर संभव है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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