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सरोगेसी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ‘सरकार तय नहीं करेगी कि दंपत्ति कब बने पेरेंट्स’

सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी कानून पर दिया ऐतिहासिक फैसला — सरकार को नहीं है अधिकार तय करने का कि दंपत्ति कब बने मां-पापा


🏛️ क्या है फैसला?

  • सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कौन-से दंपत्ति “कब माता-पिता बनने योग्य” हैं। यह अधिकार व्यक्तिगत होता है और दंपत्तियों को अपनी स्थिति के अनुसार निर्णय लेने की आज़ादी होनी चाहिए।

  • विशेष रूप से, कोर्ट ने कहा है कि जो दंपत्ति इस प्रक्रिया (जैसे भ्रूण जमा करना / एम्ब्रियो फ्रीज़ करना / सरोगेसी की शुरुआत) किसी तरह से 2022 से पहले जुड़े हुए थे, उन पर 2021 के सरोगेसी कानून की आयु सीमा (age limit) लागू नहीं होगी।


📜 सरोगेसी (Regulation) Act, 2021 और आयु प्रतिबंध

  • सरोगेसी कानून 2021 के अनुसार, दंपत्ति की आयु सीमा निर्धारित की गई है — महिला के लिए 23-50 वर्ष, पुरुष के लिए 26-55 वर्ष की सीमा।

  • लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ये प्रतिबंध पूर्व की स्थिति (pre-2022) में सरोगेसी शुरू कर चुके दंपत्तियों पर लागू नहीं होंगे।


⚖️ क्यों यह महत्वपूर्ण है?

  • यह फैसला उन दंपत्तियों को बड़ी राहत देगा जो कानूनी अथवा प्रक्रियात्मक बदली के बाद अपने अधिकारों से वंचित होने की स्थिति में थे।

  • कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि किसी की प्रकृतिक गैमेट्स (sperms/eggs) जमा किए जा चुके हों या सरोगेसी प्रक्रिया शुरू हुई हो, तो केवल सरकार यह निर्णय नहीं ले सकती कि उनकी पहुँच इस प्रक्रिया से रोकी जाए।

  • यह निर्णय ‘реп्रोडक्टिव राइट्स’ (reproductive rights) और व्यक्तिगत आज़ादी एवं निजता के अधिकार (right to privacy) के तहत देखा जा रहा है।


🔍 किन मामलो में यह निर्णय लागू होगा?

  • जिन दंपत्तियों ने 2022 से पहले अपने embryos (भ्रूण) जमा किए थे या सरोगेसी के लिए जरूरी शुरुआती कदम उठाए थे, उन पर नई आयु-सीमा लागू नहीं होगी।

  • जिन दंपत्तियों ने 2022 के बाद इस प्रक्रिया की शुरुआत की है, उनके लिए अभी वह आयु सीमा लागू रहेगी।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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