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हरियाणा IPS सुसाइड केस में नया अपडेट, आज हो सकता है पोस्टमार्टम, जानें SIT में कौन-कौन शामिल?

चंडीगढ़ / हरियाणा, 11 अक्टूबर 2025 — हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार (Y Puran Kumar) की संदिग्ध आत्महत्या से जुड़ी जांच में आज महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है। इसके केंद्र में पोस्टमार्टम की स्वीकृति, SIT की भूमिका और जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान है।


🕵️‍♂️ नए अपडेट — पोस्टमार्टम का मामला

  • पुणे से मिली खबरों के अनुसार, चार दिन बीतने के बावजूद अभी तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ है, क्योंकि मृतक के परिवार ने इसके लिए अनुमति देने से इंकार कर दिया है।

  • परिवार का कहना है कि वे तभी पोस्टमार्टम करवाएँगे, जब उनकी शर्तों को स्वीकार किया जाए — जैसे DGP और रोहतक SP को छुट्टी देना या गिरफ्तार करना।

  • हालांकि पुलिस ने PGIMER को आदेश भेजा है कि पोस्टमार्टम एक बोर्ड डॉक्टरों की टीम से किया जाए और वीडियो रिकॉर्डिंग भी हो।

  • आज यानी 11 अक्टूबर 2025 को पोस्टमार्टम की संभावना बनी हुई है, यदि परिवार की सहमति मिल जाए।


👥 SIT (विशेष जांच दल) में कौन-कौन शामिल हैं?

चंडीगढ़ पुलिस ने इस केस की संवेदनशीलता को देखते हुए छह सदस्यीय SIT का गठन किया है। SIT के सदस्यों की पूरी सूची इस प्रकार है:

पद नाम / विवरण
Team Lead (IG स्तर) IG Pushpendra Kumar (Chandigarh IGP)
SSP (UT, चंडीगढ़) Kanwardeep Kaur
SP (City / चंडीगढ़) K.M. Priyanka
DSP (Traffic) Charanjit Singh Virk
SDPO (South) Gurjit Kaur
SHO, PS-11 Jaiveer Singh Rana

SIT को निर्देश दिए गए हैं कि वे FIR नंबर 156/2025, रजिस्टर्ड एस.सी./एस.टी. अधिनियम एवं अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत जांच करें।


📄 FIR एवं आरोप

  • FIR में हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर और रोहतक के SP नरेंद्र बिजारणिया सहित अन्य अधिकारियों को आत्महत्या के लिए उकसाने / मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है।

  • लेकिन मृतक की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने कहा है कि FIR में आरोपियों के नाम “स्पष्ट रूप से” नहीं लिखे गए हैं, एवं FIR दस्तावेज़ में महत्वपूर्ण विवरणों की कमी है।

  • सुसाइड नोट में कुल 16 वरिष्ठ आईएएस / आईपीएस अधिकारियों का नाम बताया गया है, जिसमें राजेश खुल्लर (मुख्य मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी) को सहयोग वाला एकमात्र नाम बताया गया है।


🔍 जांच की चुनौतियाँ और संवेदनशील बिंदु

  • परिवार द्वारा पोस्टमार्टम रोके जाने का निर्णय न्याय प्रक्रिया में बाधा बन रहा है।

  • यदि पोस्टमार्टम के समय परिवार की मौजूदगी और वीडियो रिकॉर्डिंग सुनिश्चित नहीं हो, तो निष्पक्ष निष्कर्ष पर सवाल उठ सकते हैं।

  • पुलिस / प्रशासन को यह दिखाना होगा कि FIR, सबूतों का संग्रह एवं गवाहों की पूछताछ पूरी तरह स्वतंत्र, निष्पक्ष और समयबद्ध हो।

  • सुसाइड या हत्या के दावे के बीच अंतर करना इस मामले की जटिलता है — विशेषकर जब मृतक ने नोट में उच्च पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हों।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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