दिव्यकीर्ति सम्पादक-दीपक पाण्डेय, समाचार सम्पादक-विनय मिश्रा, मप्र के सभी जिलों में सम्वाददाता की आवश्यकता है। हमसे जुडने के लिए सम्पर्क करें….. नम्बर-7000181525,7000189640 या लाग इन करें www.divyakirti.com ,

‘महिला अधिकारी नरम नहीं, प्रोफेशनल होती हैं’:

वर्कप्लेस स्टीरियोटाइप पर खुलकर बोलीं अधिकारी

एक इंटरैक्टिव कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने वर्कप्लेस से जुड़े सवाल पूछकर माहौल को रोचक बना दिया। सवाल था—“क्या ऑफिस में लेडी ऑफिसर हमेशा सॉफ्ट होती हैं?” इस पर नगर निगम कमिश्नर ने बेहद स्पष्ट और प्रभावी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारी भी उतनी ही प्रोफेशनल, सख्त और जिम्मेदार हो सकती हैं जितने पुरुष अधिकारी।

उन्होंने बताया कि समाज में अक्सर यह धारणा बना दी जाती है कि महिलाओं को हर परिस्थिति में नरमी दिखानी चाहिए। लेकिन जब कोई महिला अधिकारी काम के दौरान कड़े सुर में बात करती है या अनुशासन लागू करती है तो लोग तुरंत उनके लिए कई तरह के नाम रख देते हैं। जबकि वही व्यवहार पुरुष अधिकारी के मामले में “सख़्त”, “डिसिप्लिन्ड”, “स्ट्रॉन्ग लीडर” कहलाता है।

कमिश्नर ने बच्चों को समझाया कि नेतृत्व का मूल्य व्यक्ति के लिंग पर नहीं बल्कि उसकी क्षमता, निर्णय लेने की योग्यता और पेशेवर जिम्मेदारियों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आज की महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं—प्रशासन, पुलिस, सेना, विज्ञान, शिक्षा, व्यवसाय—और वे अपने काम को पूरी दृढ़ता और अनुशासन के साथ निभा रही हैं।

कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों और अभिभावकों ने भी इस बात का समर्थन किया कि बच्चों को शुरुआती उम्र से ही लैंगिक समानता और सम्मान की सीख देना आवश्यक है। अगर बचपन से ही उनके मन में यह समझ बैठ जाती है कि महिलाएं और पुरुष दोनों बराबरी से नेतृत्व कर सकते हैं, तो भविष्य में कार्यस्थलों का माहौल और अधिक स्वस्थ व संतुलित होगा।

कमिश्नर ने अंत में कहा—“महिला अधिकारी की सख्ती को कमजोरी या गुस्सा समझने के बजाय, इसे जिम्मेदारी और प्रोफेशनलिज़्म समझना चाहिए। ऑफिस में हर इंसान अपने काम के लिए जवाबदेह होता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

ये भी पढ़ें...

error: Content is protected !!