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एमपी में कफ सिरप से बच्चों की मौत पर सख्त कार्रवाई, 32 कंपनियों की जांच शुरू

7 दवा कंपनियों में गंभीर खामियां मिलीं

मध्यप्रदेश में कफ सिरप allegedly पीने के बाद बच्चों की मौत के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग और दवा नियामक तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। घटना सामने आने के बाद सरकार तुरंत एक्शन मोड में आ गई और प्रदेश में कफ सिरप बनाने वाली 32 फार्मा कंपनियों की व्यापक जांच शुरू कर दी गई है। जांच का फोकस उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता नियंत्रण, लैब परीक्षण, कच्चे माल के स्रोत और नियमों के पालन पर रखा गया है।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, 7 कंपनियों में गंभीर खामियां पाई गई हैं। इनमें मानक लैब टेस्ट न होना, बैच नंबर दर्ज न करना, स्टेबिलिटी टेस्ट अधूरे होना, मशीनों की कैलिब्रेशन रिपोर्ट न मिलना और गुणवत्ता-नियंत्रण प्रोटोकॉल का पालन न करना जैसी कमियां शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन खामियों के चलते बच्चों में दवा से प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने 5 कंपनियों के उत्पादन पर तत्काल रोक लगा दी है। जब तक ये कंपनियां सुधारात्मक कार्रवाई नहीं करतीं और पुनः निरीक्षण पास नहीं हो जाता, तब तक इन्हें किसी भी प्रकार की कफ सिरप या संबंधित दवाओं के निर्माण की अनुमति नहीं होगी। कार्रवाई का उद्देश्य राज्य में दवा सुरक्षा को मजबूत करना और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना है।

पोषण और बाल स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस घटना को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा है कि निम्न गुणवत्ता की दवाएं बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। सरकार ने जिलों को निर्देश दिए हैं कि अस्पतालों में उपलब्ध सभी कफ सिरप के बैचों की तुरंत जांच करवाई जाए और संदिग्ध बैचों को तुरंत बाजार से हटाया जाए।

फार्मा कंपनियों पर हुई इस कार्रवाई से साफ संकेत मिलते हैं कि राज्य सरकार दवा गुणवत्ता को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। आने वाले दिनों में और भी सैंपल रिपोर्ट आने के बाद जांच का दायरा और बढ़ सकता है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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