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ठंड ने तोड़ा नवंबर का रिकॉर्ड: नन्हे विद्यार्थी सबसे ज्यादा प्रभावित

मध्य प्रदेश में इस बार नवंबर का महीना कड़ाके की सर्दी लेकर आया है। राजधानी भोपाल में तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचने के बाद यह नवंबर की सबसे ठंडी रात दर्ज की गई। इतनी तीखी ठंड के बीच भी स्कूलों के समय में कोई बदलाव नहीं होने से छोटे बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई अभिभावकों ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि इस तापमान में बच्चों का सुबह-सुबह स्कूल जाना न केवल मुश्किल है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है।

सुबह की पहली घंटी के साथ ही शहर की गलियों में ठंड से जूझते बच्चे दिखाई दिए। कई स्कूलों में छात्रों ने बताया कि कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते उनके हाथ-पैर सुन्न हो गए। वहीं अभिभावकों का कहना है कि बढ़ती ठंड के कारण बच्चों में खांसी, जुकाम और बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरी हवाओं के सक्रिय होने से पूरे मध्य प्रदेश में तापमान सामान्य से काफी नीचे जा रहा है। भोपाल सहित इंदौर, उज्जैन और जबलपुर में भी न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। अगले कुछ दिनों तक मौसम शुष्क रहने और ठंड में और बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

अभिभावक संघ ने प्रशासन से मांग की है कि तापमान सामान्य होने तक स्कूल का समय आगे बढ़ाया जाए या ऑनलाइन परिचर्चा के माध्यम से क्लास का विकल्प दिया जाए। कई निजी स्कूलों ने भी अपने स्तर पर समय में बदलाव पर विचार करना शुरू कर दिया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि बच्चों को सुबह गर्म कपड़े, टोपी और मफलर पहनाकर ही घर से बाहर भेजें और ठंड के कारण किसी भी प्रकार की शिकायत आने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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