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सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल— जब राज्य सरकार तैयार है

एमपी सरकार ने उम्र बढ़ाने पर सहमति जताई

मध्य प्रदेश के ज्यूडिशियल अधिकारियों की रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़ाकर 61 वर्ष करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और न्यायपालिका के बीच समन्वय पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि जब एमपी सरकार खुद रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के लिए तैयार है, तो न्यायिक अधिकारियों को इसका लाभ देने में देरी क्यों हो रही है। इस टिप्पणी के बाद मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाई कोर्ट प्रशासन से पूछा कि लाभ लागू करने में अड़चन कहाँ है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की सकारात्मक सहमति के बावजूद न्यायिक अधिकारियों को पुरानी सीमा के आधार पर रिटायर क्यों किया जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि सेवा शर्तों से जुड़े ऐसे मुद्दों में समय पर निर्णय लेना आवश्यक है, ताकि अधिकारियों का भविष्य अनिश्चितता में न रहे।

राज्य सरकार ने पहले ही कोर्ट में अपनी ओर से बताया था कि वह रिटायरमेंट आयु को 61 वर्ष करने पर सहमत है, और वित्तीय भार सहित सभी पहलुओं पर विचार किया जा चुका है। इसके बावजूद प्रक्रिया आगे न बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जताया। कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायिक अधिकारियों की सेवाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, ऐसे में प्रशासनिक देरी उनकी कार्यकुशलता और मनोबल दोनों को प्रभावित कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रशासनिक दक्षता दोनों के हित में पारदर्शी तथा समयबद्ध निर्णय लिया जाना चाहिए। अब आगे की सुनवाई में यह साफ होगा कि हाई कोर्ट प्रशासन रिटायरमेंट आयु बढ़ाने पर अंतिम निर्णय कब लेता है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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